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पति को मारी गोली फिर पत्नी को खिलाए खून से सने चावल, कश्मीरी हिंदुओं की दर्दनाक दास्तां सुन कांप उठेगा कलेजा
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मानवाधिकारों पर अमेरिकी कांग्रेस में हुई बैठक में सुनंदा वशिष्ठ ने एक ऐसी घटना को याद किया जिसे सुनकर सब शॉक्ड रह गए। उन्होंने 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ आतंकवादियों की हैवानियत को बताया था।
सुनंदा वशिष्ठ के मुताबिक, कश्मीर में उनका और उनके लोगों की पूरी जिंदगी कट्टरपंथी इस्लाम की वजह से बर्बाद हो गई। इतना ही नहीं, उन्होंने टीचर गिरिजा टिक्कू और बीके गंजू जैसे लोगों के साथ हुई अमानवीय घटनाओं का भी जिक्र किया।
सुनंदा वशिष्ठ के मुताबिक, आतंकियों ने बांदीपोरा की टीचर गिरिजा टिक्कू को पहले किडनैप किया और फिर उन्हें बर्बरता के साथ काट डाला। गिरिजा टिक्कू को मारने से पहले उनके साथ गैंगरेप भी किया गया। उनके साथ ऐसा करने वालों में वो लोग शामिल थे, जिन्हें गिरिजा टिक्कू ने पढ़ाया था।
सुनंदा वशिष्ठ के मुताबिक, कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) बीके गंजू जैसे लोगों को पड़ोसियों पर विश्वास करने के बदले सिर्फ और सिर्फ धोखा मिला। बीके गंजू को आतंकवादियों ने कंटेनर में ही गोली मार दी थी। इसके बाद उनकी पत्नी को खून से सने चावल खिलाए थे। बीके गंजू के बारे में आतंकियों को पूरी जानकारी उनके पड़ोसियों ने दी थी।
वैसे, कश्मीर घाटी (Kashmir Ghati) में हिंदुओं की हत्या का सिलसिला 1989 से ही शुरू हो चुका था। सबसे पहले पंडित टीका लाल टपलू की हत्या की गई। श्रीनगर में सरेआम टपलू को गोलियों से भून दिया गया। वह कश्मीरी पंडितों के बड़े नेता थे। आरोप जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के आतंकियों पर लगा लेकिन कभी किसी के खिलाफ मुकदमा नहीं हुआ।
इसके डेढ़ महीने बाद रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई। गंजू ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के नेता मकबूल भट्ट को मौत की सजा सुनाई थी। गंजू की पत्नी को किडनैप कर लिया गया और उसके बाद वो कभी नहीं मिलीं।
4 जनवरी 1990 को श्रीनगर से छपने वाले एक उर्दू अखबार में हिजबुल मुजाहिदीन का एक बयान छपा। इसमें हिंदुओं को घाटी छोड़ने के लिए कहा गया था। इस वक्त तक घाटी का माहौल बेहद खराब हो चुका था। हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ भाषणों की भरमार थी। उन्हें खुलेआम कश्मीर छोड़ने या फिर इस्लाम कबूल करने की धमकियां दी जा रही थीं।
इसके बाद वकील प्रेमनाथ भट को मार दिया गया। 13 फरवरी 1990 को श्रीनगर के टेलीविजन केंद्र के निदेशक लासा कौल की हत्या कर दी गई। ये तो वो लोग हैं, जो रसूख वाले थे। साधारण लोगों की हत्या की तो गिनती भी नहीं की जा सकती। एक तरफ कश्मीर घाटी में दहशत का माहौल था तो दूसरी तरफ फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में 70 अपराधी जेल से रिहा किए थे।
इसके बाद तो कश्मीरी हिंदुओं के मकानों व धर्मस्थलों पर हमले शुरू हो गए। कश्मीरी हिंदू नेताओं, बुद्धिजीवियों और यहां तक की महिलाओं को भी निशाना बनाया जाने लगा था। एक सर्वे के मुताबिक, कश्मीर में आतंकवाद का दौर शुरु होने से पहले वहां 1242 शहरों, कस्बों और गांवों में करीब तीन लाख कश्मीरी पंडित परिवार रहते थे। लेकिन कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार और पलायन के बाद 242 जगहों पर सिर्फ 808 परिवार रह गए हैं।
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