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'शेरशाह' के 7 दमदार डायलॉग जो किसी स्क्रिप्ट राइटर ने नहीं बल्कि खुद कैप्टन विक्रम बत्रा ने बोले थे
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कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर, 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। विक्रम में बचपन से देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी और इस का उदाहरण कारिगल युद्ध के दौरान साफ दिखाई दिया था, जहां उन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
शेरशाह में जहां कैप्टन बत्रा (सिद्धार्थ मल्होत्रा) अपने दोस्त को कहते है, कि तिरंगा लेकर आउंगा, नहीं तो उसमें लिपट कर आउंगा, लेकिन आउंगा जरूर.. ये बात विक्रम बत्रा ने खुद कही थी।
फिल्म में एक सीन में जहां सिद्धार्थ मल्होत्रा अपने कैप्टन जामवाल (दोनों उस वक्त लेफ्टिनेंट हैं) से यह कहते हैं, कि वो गोली मेरे लिए थी और मेरी जगह वो...ये बात असल जिंदगी में कैप्टन बत्रा ने अपनी बहन से फोन पर कही थी और बोला था कि दीदी, यह गोली मेरे लिए थी और मैंने अपना आदमी खो दिया।
विक्रम बत्रा ने वास्तव में पेप्सी के स्लोगन 'ये दिल मांगे मोर' को अपने विनिंग नारे के रूप में चुना था और जीत के बाद उन्होंने यही कहा था। कैप्टन बत्रा ने यह बात पत्रकार बरखा दत्ता के साथ शेयर की, जब उन्होंने प्वाइंट 5140 पर सफलतापूर्वक कब्जा करने के बाद उनका इंटरव्यू किया था।
इस पूरे इंटरव्यू को फिल्म में भी दिखाया गया है, जिसमें वह हिस्सा भी शामिल है जहां उन्होंने अपने कोडनेम (शेरशाह) को पाकिस्तानी सैनिकों के इंटरसेप्ट किए जाने और उनकी धमकियों पर उनके सैनिकों की प्रतिक्रिया के बारे में बात की थी। उन्होंने बताया था कि पाकिस्तानी सोल्जर ने कहा था, कि ओ शेरशाह तु आ गाया, इसके बाद मेरे लड़कों में और ज्यादा जोश आ गए थे।
लड़ाई के बीच में, एक पाकिस्तानी सैनिक ने कैप्टन बत्रा से कहा था कि माधुरी दिक्षित हमें दें, अल्लाह की कसम हम सब यहां से चले जाएंगे। ये वाकया असल में हुआ था, जिसपर विक्रम ने करारा जवाब दिया और पॉइंट-ब्लैंक रेंज पर उसे गोली मारी और कहा कि यह माधुरी दीक्षित की ओर से एक तोहफा है।
लड़ाई के दौरान जब विक्रम बत्रा ने एक और सिपाही को अपने आगे जाने से रोका, क्योंकि उसकी एक पत्नी और बच्चे थे। उन्होंने कहा था कि रघु साहब रुको, आप बाल-बच्चों वाले हो, मैं जाता हूं।
जब विक्रम बत्रा ने लड़ाई में अपनी जान जोखिम में डालकर एक साथी सिपाही की जान बचाई थी और कहा था कि अन्ना, तुम्हें नीचे जाना चाहिए। आपको इलाज करवाना चाहिए। मैं इन बगर्स को सुलझा लूंगा! कारगिल युद्ध के कैप्टन नवीन नागप्पा ने एक इंटव्यू के दौरान ये बताया था।
बता दें कि कैप्टन विक्रम बत्रा ने प्वाइंट 4875 पर पुनः कब्जा करते हुए शहादत दी थी। लेकिन उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। देश उनके लिए हमेशा ऋणी है और उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।
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