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दिवाली: बोनस में कर्मचारियों को कार-फ्लैट देने वाले कारोबारी ने इस बार क्या किया?
| Published : Oct 27 2019, 02:31 PM IST / Updated: Oct 27 2019, 04:27 PM IST
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सावजी की कंपनी दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में निर्यात करती है। अमेरिका, बेल्जियम, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), हॉन्ग-कॉन्ग, चीन जैसे देशों में उनकी सहायक कंपनियां हैं।
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अबकी बार गुजरात के सूरत में 5 लाख से अधिक कर्मचारी नुकसान में रहने वाले हैं। और नजर लगी है मंदी की। ढोलकिया का कहना है कि हीरा उद्योग वर्ष 2008 की मंदी से भी ज्यादा भीषण मंदी से गुजर रहा है। ऐसे में वो अपने कर्मियों को कोई कीमती तोहफा नहीं दे पाएंगे।
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ढोलकिया ने कहा जब पूरा उद्योग मंदी का शिकार है तो हम कैसे गिफ्ट का खर्च उठा सकते हैं? हम हीरा कर्मचारियों की आजीविका को लेकर ज्यादा चिंतित हैं।
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ढोलकिया ने बताया कि पिछले सात महीने में हीरा उद्योग से 40 हजार लोगों की नौकरियां गई हैं। काम कर रहे कर्मियों की भी सैलरी 40 फीसदी तक घटा दी गई है। आलम ये है कि हीरे की दिग्गज कंपनी डी बीयर्स को अपना उत्पादन घटाना पड़ा है।
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सावजी ढोलकिया अमरेली जिले के दुधाला गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में स्कूली शिक्षा छोड़ दी और सूरत में अपने चाचा के डायमंड बिजनस में हाथ बंटाने लगे।
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अपने चाचा से कर्ज लेकर उन्होंने हीरा कारोबार शुरू किया और अपनी मेहनत से उसे इस मुकाम तक पहुंचाया।
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डायमंड पॉलिशिंग में 10 साल की कठोर मेहनत के बाद ढोलकिया ने वर्ष 1991 में हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स की स्थापना की। उस वक्त कंपनी की सेल नाम मात्र की थी।
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मार्च 2014 तक आते-आते कंपनी का टर्नओवर 4 अरब रुपये तक पहुंच गया। कंपनी का टर्नओवर 2013 के मुकाबले 2014 में 104 प्रतिशत बढ़ गया।
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सावजी डायमंड इंडस्ट्री एवं अपने एंप्लॉयीज के बीच 'काका' के नाम से जाने जाते हैं। अभी सूरत की 2,500 से ज्यादा फैक्ट्रियों में हीरा कटिंग और पॉलिशिंग के काम में करीब चार लाख लोग काम कर रहे हैं।
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सावजी ढोलकिया का लगाव और समर्पण किसी प्रेरणा से कम नहीं है। कभी सूखे का दंश झेलने वाले गुजरात के अपने पैतृक गांव दुधाला को सावजी ने अपने समर्पण और त्याग के जरिए एक खुशहाल गांव में तब्दील कर दिया है। जहां कभी लोग पानी के लिए तरसते थे, आज उस गांव में 45 तालाब हैं। ढोलकिया का लक्ष्य गांव में 70 तालाब बनाने का है।