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दूसरों की नौकरी करने से बेहतर है आप खेती-किसानी में काम-धंधा तलाशें, पढ़िए एक सक्सेस स्टोरी

कोशिशें कभी बेकार नहीं जातीं। वहीं, दुनिया में बदलाव के साथ खुद को ढालना ही समझदारी होती है। अब इस किसान से मिलिए! बात तीन साल पुरानी है। यह परंपरागत तरीके से खेतीबाड़ी करता था। ऐसे में मेहनत ज्यादा और मुनाफ न के बराबर होता था। कई बार तो दिमाग में आया कि खेती-किसानी छोड़कर कोई नौकरी कर ली जाए। लेकिन कहते हैं कि जब इंसान कुछ नया करने का ठान ले, तो सब संभव है। तीन साल पहले इस किसान ने परंपरागत खेती के बजाय नई तकनीक से किसानी शुरू की। आज यह किसान न सिर्फ खुद मालामाल है, बल्कि कइयों को रोजगार भी दे रहा है। यह हैं जयंत सिंह। ये यूपी के चंदौली जिले के चहनिया ब्लॉक में रहते हैं। ये मानते हैं कि किसानों को समय के साथ बदलना चाहिए। जयंत केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं। वे कहते हैं कि इससे किसानों की उन्नति होगी। उन्हें खेती-किसानी के नए तौर-तरीके सीखने को मिलेंगे। पढ़िए इसी किसान की सक्सेस कहानी...

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Asianet News Hindi
Published : Dec 19 2020, 01:46 PM IST| Updated : Dec 19 2020, 01:50 PM IST
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जयंत ने कुछ मित्र किसानों का एक ग्रुप बना लिया है। ये करीब 100 बीघा खेत में  टमाटर, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, गोभी, बीन्स, केला, पपीता, स्ट्राबेरी आदि की खेती करते हैं। इससे उन्हें अच्छा मुनाफ होता है। जयंत के साथी किसान राहुल मिश्रा, रवि सिंह, अनूप और सोनू सिंह ने बताया कि शुरुआत में जब उन्होंने यह निर्णय लिया, तो गांववालों ने हंसी उड़ाई। आज सब उनसे सीखते हैं। आगे पढ़ें इसी किसान की सक्सेस स्टोरी...
 

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जयंत ने सबसे पहले केले की खेती से शुरुआत की थी। जयंत कहते हैं कि किसानों को परंपरागत खेती बदलनी होगी। नए तौर-तरीके अपनाएंगे, तो निश्चय ही फायदा होगा। आगे पढ़ें इन्हीं किसानों की सक्सेस स्टोरी...

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जयंत के साथ किसान पहले गेहूं, बाजारा आदि बोते थे। कुछ साल पहले उन्होंने एक कृषि प्रदर्शनी में गमलों में खेती-किसानी के तौर-तरीके देखे। इसके बाद उन्होंने आधुनिक तरीके से खेती-किसानी अपनाई। आगे पढ़ें-लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद मालूम चला कि 'अरे...ये तो लाखों का आदमी है'
 

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नई दिल्ली. इस शख्स की लॉकडाउन में नौकरी चली गई। यह इसके और पत्नी के लिए गहरा सदमा था। इस कपल को यूं लगा कि अब जिंदगी गुजारना मुश्किल होगा। लेकिन इन्होंने हिम्मत की और अपनी कार में राजमा-चावल की दुकान लगाई। कभी एक सासंद के यहां मामूली सैलरी पर ड्राइवर की नौकरी करने वाला यह शख्स आज महीने में लाख रुपए तक कमा रहा है। ये हैं 35 साल के करण कुमार, जो अपनी पत्नी अमृता के साथ दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम के पास कार में फूड स्टाल लगाते हैं।  करण और अमृता रोज सुबह फरीदाबाद से तालकटोरा स्टेडियम आते हैं। इन्होंने एक पोस्टर बनवा रखा है। साइड में गाड़ी खड़ी करके पोस्टर कार पर टांगते हैं और गाड़ी की डिग्गी में अपना रेस्त्रा ओपन कर लेते हैं।  करण कहते हैं कि नौकरी जाने के बाद बेहद तनाव में था। लेकिन अब सब ठीक हो गया। वे कहते हैं कि अब किसी की नौकरी नहीं करना। संभव हुआ, तो आगे चलकर अपना बड़ा-सा रेस्त्रां खोलेंगे। आगे पढ़ें इसी कपल की सक्सेस कहानी...

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करण जिस सांसद की गाड़ी चलाते थे, उन्होंने सरकारी बंगले के सर्वेंट क्वार्टर में इनके रहने का इंतजाम किया था। चूंकि यह जॉब प्राइवेट थी, इसलिए लॉकडाउन में उन्हें निकाल दिया गया। इस बीच उन्हें अपना सामान किसी की मदद से एक गैरेज में रखना पड़ा और रात यहां-वहां गुजारनी पड़ीं। करीब दो महीने इसी कार में सोए। कभी गुरुद्वारों में लंगर खाया, तो कभी किसी से मदद ली। आगे पढ़ें इसी कपल की सक्सेस कहानी...

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करण बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने दूसरी नौकरी पाने खूब हाथ-पैर मारे, लेकिन कहीं बात नहीं बनी। फिर घर-गृहस्थी का सामान बेचकर यह काम शुरू किया। पहले दिन अमृता ने तीन किलो चावल, आधा किलो राजमा और आधा किलो छोले बनाया था। रास्ते में कई जगह रुक-रुककर खाना बेचने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। बाद में सारा खाना भिखारियों को खिला दिया। आगे पढ़ें इसी कपल की सक्सेस कहानी...

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अमृता रोज 8 किलो चावल, ढाई किलो राजमा, 2 किलो छोले, 3 किलो कढ़ी और 5 किलो रायता बनाकर बेचती हैं। इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि ये सुबह 11 बजे गाड़ी लेकर दुकान खोलते हैं और दोपहर 2 बजे तक सारा खाना खत्म हो जाता है। आगे पढ़ें इसी कपल की सक्सेस कहानी...
 

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आज इनकी दुकान पर रोज 100 लोग आते हैं। ये हाफ प्लेट 30 रुपए, जबकि फुल 50 रुपए में बेचते हैं। इस तरह महीने में ये लाख रुपए तक का सामान बेच देते हैं। इसमें से 60-70 प्रतिशत तक इनका मुनाफ होता है। अमृता को इसके लिए तड़के 3 बजे उठना पड़ता है।

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