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- Father's Day 2020: किसान बाप ने चावल बेचकर बेटी को पढ़ाया...IAS अफसर बन बेटी ने कर दिया पिता का सिर ऊंचा
Father's Day 2020: किसान बाप ने चावल बेचकर बेटी को पढ़ाया...IAS अफसर बन बेटी ने कर दिया पिता का सिर ऊंचा
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एनीस का जन्म केरल के पिरवोम जिले के एक छोटे से गांव पंपाकुड़ा में हुआ। उनके पिता पंपाकुड़ा गांव में ही धान की खेती करते हैं। श्रमिकों की कमी होने के कारण उनकी मां भी उनके पिता के साथ खेती में हाथ बटाती हैं। एनीस ने 10वीं की पढ़ाई पिरवोम जिले के एक स्कूल से पूरी की और हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए वे एर्नाकुलम गईं।
एनीस कनमनी जॉय को पिता ने डॉक्टर बनाने के लिए पढ़ाया। पर हालात ऐसे रहे कि वो MBBS में दाखिला नहीं मिला तो नर्स ही बन गई। पर बेटी कुछ बड़ा करना चाहती थी। उसे समाज में नर्स के तौर पर वो सम्मान नहीं मिल रहा था जिसकी उसे इच्छा थी। मुश्किल हालातों में एनीस को सही मार्गदर्शन मिला। दो अलग रेल यात्राओं में उन्हें UPSC (IAS) एग्जाम की तैयारी करने की सलाह मिली।
पर समस्या ये थी कि उनके गरीब किसान पिता कोचिंग की लाखों रु. की फीस नहीं भर सकते थे। ऐसे में अखबार पढ़-पढ़ के एनीस ने तैयारी करने की ठानी और एक नर्स ने अपने अफसर बनने तक के सफर को तय किया।
एनीस बचपन से ही एक डॉक्टर बनना चाहती थीं और इसी के लिए उन्होंने 12वी में खूब मेहनत की। परन्तु मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट में ख़राब रैंक आने के कारण उन्हें MBBS में दाखिला नहीं मिला। इसीलिए उन्होंने त्रिवेंद्रम गवरमेंट मेडिकल कॉलेज से नर्सिंग में BSc की पढ़ाई पूरी की।
एनीस बताती हैं की डॉक्टर ना बन पाने के कारण वह काफी निराश थी लेकिन उन्होंने वास्तविकता को स्वीकारा और मन लगाकर नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की।
उन्होंने एनीस को IAS के बारे में बताया और UPSC सिविल सेवा की तैयारी करने की सलाह दी. हालांकि एनीस कहती हैं की उस समय तक उन्हें यह भी नहीं पता था की नर्सिंग की डिग्री के साथ IAS एग्जाम दिया जा सकता है या नहीं?
इसी तरह एक अन्य ट्रेन यात्रा में जब एनीस मैंगलोर से त्रिवेंद्रम लौट रहीं थीं तो एक साथ बैठी महिला ने बातचीत में बताया की उनकी बेटी दिल्ली से UPSC एग्जाम की कोचिंग ले रही है। उन्हीं महिला ने परीक्षा को लेकर एनीस की सारी दुविधा दूर की और यह भी बताया की UPSC की परीक्षा किसी भी ग्रेजुएशन डिग्री के साथ दी जा सकती है। इन दो रेल यात्राओं में मिली जानकारी से प्रभावित हो कर एनीस ने UPSC सिविल सेवा की तैयारी करने का फैसला लिया।
एनीस के परिवार के आर्थिक हालात इतने अच्छे नहीं थे की वह IAS की कोचिंग के लिए लाखों रुपये खर्च कर सके. इसीलिए उन्होंने खुद से ही पढ़ने का निर्णय लिया। एनीस बताती हैं की वह अखबार पढ़ना कभी नहीं भूलती थी और इसीलिए उनके करंट अफेयर्स हमेशा ही अपडेट रहते थे।
2010 में दिए UPSC सिविल सेवा के अपने पहले एटेम्पट में एनीस ने 580वी रैंक हासिल की। हालंकि उनका IAS बनने का लक्ष्य अधूरा रहा। अपने लक्ष्य को पाने के लिए एनीस ने अगले वर्ष फिर मेहनत की और UPSC सिविल सेवा 2011 की परीक्षा में 65वी रैंक हासिल कर वह IAS बन गई।
एनीस कनमनी जॉय इस बात का सबूत हैं कि अगर सही मार्गदर्शन मिले और सच्ची लगन के साथ अपने लक्ष्य की और कदम बढ़ाया जाए तो सफलता पाना आसान हो जाता है। एनीस ने नर्स बनने के बावजूद जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा को जगाये रखा और लक्ष्य निर्धारित कर पूरी मेहनत से उसे पाने का प्रयास किया। यह उनकी लगन और आत्मनिर्भरता का ही नतीजा है की वह अब एक IAS अफसर बन गई हैं। अपनी सफलता का श्रेय वो अपने पिता को देती हैं। पिता ने गरीबी के बावजूद भी बेटी के सपनों को मरने नहीं दिया। फादर्स डे पर पिता के संघर्ष से अफसर बनी एनीस कनमनी जॉय की कहानी दूसरों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।