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भारत के इस प्राइमरी स्कूल टीचर को मिला 7 करोड़ का पुरस्कार, खुशी-खुशी दोस्तों को दान कर दी आधी रकम
करियर डेस्क. Global Teacher prize 2020: एक प्राइमरी स्कूल टीचर ने हाल में भारत की आन-वान और शान को बढ़ाया है। सोलापुर (महाराष्ट्र) के बुरी तरह से सूखाग्रस्त गांव में जिला परिषद प्राइमरी स्कूल के टीचर रंजीतसिंह दिसाले (Ranjitsinh Disale) को उनकी कोशिशों के कारण दुनिया के सबसे अद्भुत टीचर का अवॉर्ड मिला है। दिसाले लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उसे तकनीक से जोड़ने की कोशिशों में जुटे हैं। आज उन्हें 10 लाख अमेरिकी डालर वाले ग्लोबल टीचर प्राइज पुरस्कार (Global Teacher Prize) से नवाजा गया है। उनकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही हैं साथ ही महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे ने भी दिसाले को बधाई दी है।
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32 साल के विजेता रंजीत सिंह दिसाले को इसके तहत 10 लाख डॉलर (लगभग 7 करोड़ 38 लाख रुपए) का पुरस्कार मिला है। दिसाले अब इस राशि को आधा हिस्सा अपने साथियों को देने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि साथियों के सहयोग से ही वो इस ईनाम के हकदार रहे हैं।
दिसाले ने वार्षिक ‘ग्लोबल टीचर प्राइज 2020’ के लिए टॉप 10 प्रतिभागियों की सूची में जगह बनायी। शिक्षक द्वारा भारत में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड पाठ्यपुस्तक को लेकर किये गए उनके प्रयासों को देखते उन्हें इस पुरस्कार के लिए शीर्ष 10 प्रतिभागियों में जगह दी गई है।
वीडियो कॉल पर पुरस्कार ग्रहण करते समय वो परिवार के साथ मौजूद थे। अपना नाम की घोषणा सुनते ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। अवॉर्ड लेते समय अपनी स्पीच में दिसाले ने कहा: "कोविड -19 महामारी ने शिक्षा और संस्थानों के कई तरीकों से उजागर किया है। इस दौर में स्कूल पूरी तरह से बंद पड़े हैं। स्कूलों में डिजिटल लर्निंग हो तो रही है लेकिन वो काफी नहीं। खासकर लड़कियां इसमें पीछे जा रही हैं क्योंकि उनके हाथ में मोबाइल कम ही आता है। वहीं इसी दौर में देश के एक छोटे से गांव के शिक्षक ने लड़कियों की पढ़ाई में शानदार योगदान दिया। इस कठिन समय में, शिक्षक अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं क्योंकि अच्छी शिक्षा हर छात्र का जन्मसिद्ध अधिकार है।"
दिसाले को क्यों मिला ये अवॉर्ड
रंजीत सिंह दिसाले (31) 2009 में जब सोलापुर जिले के परितेवाडी गांव में जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय में आये थे, जब यह एक जीर्ण-शीर्ण इमारत थी। उन्होंने वहां बदलाव लाने का फैसला किया और यह सुनिश्चित किया कि छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकें स्थानीय भाषा में उपलब्ध हों। दिसाले ने न केवल पाठ्यपुस्तकों को छात्रों की मातृभाषा में अनुवाद किया बल्कि उनमें क्यूआर कोड भी जोड़ा ताकि छात्रों की पहुंच श्रव्य कविताओं, वीडियो व्याख्यान, कहानियों तक हो।
लड़कियों की 100 प्रतिशत उपस्थिति
दिसाले के इस प्रयास का यह प्रभाव हुआ कि गांव में अब कम आयु में विवाह नहीं होते और विद्यालय में लड़कियों की सौ प्रतिशत उपस्थिति है। शिक्षा प्रचारक, अभिनेत्री-लेखक सोहा अली खान ने कहा, ‘‘यह अविश्वसनीय उपलब्धि है जिसे दुनिया भर से 12,000 से अधिक नामांकनों एवं आवेदनों में से चुना गया है। रंजीत, आपने वास्तव में लड़कियों और उनके परिवारों को स्कूल में रहने के महत्व के बारे में सिखाया है।’’
पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद किया
अभिनेता, लेखक और स्टीफन फ्राई ने दिसाले की तारीफ करते हुए कहा था, ‘‘यह पता चलने के बाद कि पाठ्यक्रम आपके छात्रों की प्राथमिक भाषा कन्नड़ में नहीं है आपने स्वयं भाषा सीखने का फैसला किया। आपने पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद किया और उसमें क्यूआर कोड डाला जिससे कि छात्रों की श्रव्य कविताओं, वीडियो व्याख्यानों तक पहुंच मिल सके।’’
वेब लिंक को पढ़ा जा सकता है
मानव संसाधप विकास मंत्रालय ने 2018 में घोषणा की थी कि राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों में क्यूआर कोड होगा। क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड मशीन से पठनीय काले और सफेद चौकोर से बना विशेष प्रकार का कोड होता है। स्मार्टफोन के कैमरे द्वारा इसमें स्टोर किए गए वेब लिंक या अन्य सूचना को पढ़ा जा सकता है।
लोगों के लिए प्रेरणा होगी दिसाले की कहानी
स्टीफन फ्राई ने कहा, ‘‘अब आपके स्कूल को जिले में सर्वश्रेष्ठ स्कूल का दर्जा प्रदान किया गया है जिसकी 100 प्रतिशत उपस्थिति है। बधाई रंजीत, और आपने जो कुछ किया है उसके लिए धन्यवाद।’’ यूनेस्को में शिक्षा के लिए सहायक महानिदेशक स्टीफनिया गियानिनी को उम्मीद है कि दिसाले की कहानी शिक्षण पेशे में प्रवेश करने वालों को प्रेरित करेगी और हर दिन पूरे भारत और दुनिया भर में अविश्वसनीय काम करने वाले शिक्षकों को सामने लाएगी।
ये शिक्षक भी हैं शामिल
दिसाले के अलावा ग्लोबल टीचर प्राइज पुरस्कार (Global Teacher Prize) सूची में नाइजीरियाई शिक्षक ओलासुनकनमी ओपिफा, ब्रिटिश शिक्षक जेमी फ्रॉस्ट, इतालवी शिक्षक कार्लो मेज़ोन, दक्षिण अफ्रीकी शिक्षक मोखुदू सिंथिया मचाबा, अमेरिकी शिक्षक एल जुएलके और दक्षिण कोरियाई शिक्षक यूं जियॉंग-ह्यून शामिल हैं।