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जिस लड़की पर था शादी का घनघोर दबाव..घर में रहकर ही UPSC की तैयारी करके बन गई IAS अफसर
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निधि बेसिकली गुरुग्राम, हरियाणा से हैं। अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं और उनकी शुरुआती शिक्षा वहीं हुई। उन्होंने ग्रेजुएशन भी हरियाणा के एक कॉलेज से किया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद हैदराबाद की एक कंपनी में काम करने लगीं। यहां उन्होंने दो साल काम किया पर उनका यहां मन नहीं लगा। हालांकि इस पड़ाव तक आकर भी उन्होंने सिविल सर्विसेस के बारे में कभी नहीं सोचा था।
इस बीच उन पर घर से शादी का प्रेशर भी पड़ने लगा था। निधि को जीवन अधूरा सा लगता था वे शादी के पहले जीवन को किसी मुकाम पर पहुंचाना चाहती थीं, कुछ करना चाहती थीं। खासकर कुछ ऐसा जिससे वे देश सेवा कर पाएं।
इसी विचार के साथ उन्होंने एएफसीएटी (AFCAT) परीक्षा दी और लिखित परीक्षा पास कर ली। इसके बाद के दिए एसएसबी इंटरव्यू ने उनकी जिंदगी बदल दी। वहां इंटरव्युअर ने उनसे कहा कि उन्हें डिफेंस की जगह सिविल सर्विसेस चुनना चाहिए। बस यहीं से निधि को सिविल सर्विसेस का ख्याल आया।
निधि ने जब पहला अटेम्पट दिया था उस समय परीक्षा के बस तीन महीने बचे थे, वे प्री का सिलेबस भी खत्म नहीं कर पायी थीं। दूसरे अटेम्पट में भी उनकी तैयारी वो नहीं थी जैसी की इस परीक्षा के लिए चाहिए होती है। इस समय वे नौकरी भी कर रही थीं और उनके लिए पढ़ाई का समय निकालना मुश्किल होता था। ये वो समय भी था जब घर वालों ने निधि से कहना शुरू कर दिया था कि अब काफी समय हो गया है करियर सेट करते, जहां हो अच्छी हो अब शादी कर लो। घर की बड़ी संतान अगर लड़की हो तो यह प्रेशर कई बार और बढ़ जाता है।
खैर निधि किसा हाल यूपीएससी के सपने को छोड़ना नहीं चाहती थीं। उन्होंने अपने पिता से एक और आखिरी मौके की गुज़ारिश की। इस बार वे नौकरी छोड़कर अपने घर आ गयीं और दिन रात मेहनत करने लगीं। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए सेल्फ स्टडी का रास्ता अपनाया।
निधि के डेडिकेशन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी के मकसद से जब निधि ने घर में कदम रखा तो पहली बार 6 महीने के बाद उन्होंने अपने घर का मेन गेट देखा प्री परीक्षा देने के लिए। निधि एक साक्षात्कार में कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि घर में पढ़ाई करने के दौरान डिस्ट्रैक्शंस नहीं होते, लेकिन किसी भी प्रकार के डिस्ट्रैक्शन से खुद को बचाना पड़ता है।
निधि की तैयारी के साथ गौर करने वाली एक और बात यह है कि वे यूपीएससी की तैयारी से जुड़े सारे मिथ तोड़ती हैं। न उन्होंने कभी कोचिंग ली, न किसी ग्रुप से जुड़ी जो परीक्षा की तैयारी करवा रहे हों या कर रहे हों और न ही कभी कोई उनके परिवार से यूपीएससी तो छोड़ो सरकारी नौकरी में भी सेलेक्ट हुआ हो जहां से उन्हें गाइडेंस मिल सके। इस प्रकार एक कैंडिडेट को जहां-जहां से मदद मिल सकती थी, वे सब रास्ते निधि के लिए बंद थे फिर भी उन्होंने न केवल यूपीएससी में सफलता पायी बल्कि अच्छी रैंक भी प्राप्त की।
निधि के यूपीएससी कैंडिडेट्स के लिए टिप्स-
निधि कहती हैं घर में बंद रहने का मतलब यह कतई नहीं होता है कि आप बाहर की दुनिया के कांपटीशन से ही कट जाओ। ऑनलाइन सब सुविधाएं हैं, उनका इस्तेमाल करो और देखो की बाकी बच्चों की भीड़ में तुम कहा स्टैंड कर रहे हो और तुम्हारी तैयारियों का लेवल क्या है। निधि खूब मॉक टेस्ट देती थीं और खुद ही इंटरनेट पर मौजूद टॉपर्स के उत्तरों से उन्हें मैच भी करती थीं।
निधि का यूपीएससी के सफर के दौरान एक ही लक्ष्य था अपनी गलतियों से सीखना। वे बार-बार चेक करती थीं की कमी कहा है और उसे कैसे दूर करना है। प्री के लिए निधि बताती हैं कि कैलकुलेटेड रिस्क लेकर परीक्षा दी क्योंकि वह केवल क्वालीफाइंग पेपर होता है. निधि मात्र 80 प्रश्न करके आयी थीं क्योंकि वे निगेटिव मार्किंग से बचना चाहती थी।
इसके बाद मेन्स के लिए उन्होंने मॉक टेस्ट दिए ताकी आंसर राइटिंग की स्किल को सुधारा जा सके। यही नहीं मेन्स पेपर के दिन उनकी कॉपी पर पीछे वाले कैंडिडेट का पानी का ग्लास भी गिर गया था लेकिन निधि घरबरायी नहीं। वे कहती हैं यूपीएससी आपके बहुत से गुणों की परीक्षा लेता है जैसे पेशेंस, मेहनत, स्मार्ट वर्क, ज्ञान का इंप्लीमेनटेशन वगैरह।
निधि की कहानी हमें सिखाती है कि परीक्षा की तैयारी के लिए सुविधाओं का रोना रोने से कुछ नहीं होता, जो है उसी में तैयारी करिए और यकीन मानिये हार्डवर्क के आगे कोई कमी नहीं ठहरती।
(Demo Pic)