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बुखार से तप रहा था शरीर फिर भी दी UPSC जैसी कठिन परीक्षा, 23 की उम्र में IAS बन बेटी ने किया पिता का नाम रोशन

करियर डेस्क.  IAS Success Story Saumya Sharma: देश के सबसे प्रतिष्ठित एग्जाम यूपीएससी (UPSC Exam)  को सबसे मुश्किल भी कहा जाता है। लेकिन इस एग्जाम में भी लोग टॉप कर जाते हैं और वो यूपीएससी टॉपर्स (UPSC Toppers) कहलाते हैं। ये टॉपर्स अपनी मेहनत और जज्बे के दम पर यहां तक पहुंचते हैं। सफलता के लिए सिर्फ जरूरी है जोश व लगन। आज कल अक्सर देखा जा रहा है कि कॉम्पटेटिव एग्जाम्स की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स अक्सर एक या दो बार असफल होने के बाद नर्वस हो जाते हैं। वह अपना संतुलन खो बैठते हैं उन्हें ये लगने लगता है कि अगर वह सफल न हुए तो जिंदगी में क्या कर सकेंगे। उन्हें आगे का रास्ता नहीं सूझता है। पर सला 2017 बैच की IAS सौम्या शर्मा की कहानी अपने आप में मिसाल है जो मुश्किल में घबराने की बजाय डटकर सामना करने का संदेश देती है। सौम्या ने 103 डिग्री बुखार और तपते शरीर के साथ यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा दी और पास भी हो गई।  आइएएस सक्सेज स्टोरी (IAS Success Story)  में हम आपको सौम्या के संघर्ष की कहानी सुनाने जा रहे हैं- 

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Asianet News Hindi
Published : Jul 27 2020, 11:20 AM IST| Updated : Jul 27 2020, 11:37 AM IST
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सौम्या शर्मा मूलतः दिल्ली की रहने वाली हैं। उनके माता पिता दोनों डॉक्टर हैं। 16 साल की उम्र में सौम्या ने सुनने की क्षमता खो दी थी। वे सुनने के लिए कान की मशीन पर निर्भर हैं। सौम्या शर्मा ने महज 23 साल की उम्र में UPSC का एग्जाम क्रैक किया।

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सौम्या ने 2017 में दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से एलएलबी पूरी की। 2017 में ही उन्होंने UPSC सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। उसी साल उन्होंने UPSC प्रीलिम्स और UPSC मेन्स परीक्षा दी।

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सुनने की क्षमता न होने के कारण सौम्या को विकलांग श्रेणी में शामिल किया गया। लेकिन उन्होंने इसे खारिज करते हुए सामान्य श्रेणी में एग्जाम देने के फैसला किया। उन्होंने UPSC की तैयारी के लिए किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया।

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सुनने की क्षमता न होने के कारण सौम्या को विकलांग श्रेणी में शामिल किया गया। लेकिन उन्होंने इसे खारिज करते हुए सामान्य श्रेणी में एग्जाम देने के फैसला किया। उन्होंने UPSC की तैयारी के लिए किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया।

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सौम्या की तबियत उस समय इतने खराब थी कि उन्हें दिन में तीन बार स्लाइन ड्रिप चढ़ाई जा रही थी। परीक्षा के दिन भी ब्रेक के दौरान सौम्या को ड्रिप चढ़ाई गई थी। लेकिन सौम्या का हौसला इतना बुलंद था कि उन्होंने अपने हौसलों से लाचारी को मात दे दी।

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सौम्या ने साल 2017 में दी गई UPSC की परीक्षा पहले ही प्रयास में क्लियर कर लिया। उन्हें देश भर में 9 वीं रैंक मिली। सौम्या के जज्बे और कड़ी मेहनत ने आखिर रंग ला दिया। उन्होंने अपनी मेहनत से पिता का नाम पूरे देश में रोशन कर दिया। सौम्या की कहानी सैकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा है जिससे हमें जीवन में मुश्किलों से लड़ने की सीख लेनी चाहिए।

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