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मामूली बस कंडक्टर की बेटी कड़ी मेहनत से बनी थी IPS अफसर, नाम से ही कांप उठते हैं अपराधी
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हिमाचल के ऊना के दूरदराज गांव ठठ्ठल की आईपीएस अधिकारी शालिनी अग्निहोत्री एक ऐसा नाम है जो ना केवल सभी के लिए एक मिसाल है बल्कि अपराधियों का काल भी हैं। इनके काम करने का ढंग ऐसा है की नाम से ही नशे के कारोबारी घबराते हैं। बहुत ही साधारण परिवार में पली बढ़ी शालिनी ने कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल किया है। कुल्लू में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने नशे के सौदागरों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया था।
30 साल की शालिनी ने IPS की सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी का खिताब अपने नाम किया था। ऐसा करके उन्होने ना सिर्फ अपने घर परिवार का बल्कि अपना गाँव का अभी नाम ऊंचा किया। जिसकी वजह से उन्हे प्रधानमंत्री के प्रतिष्ठित बेटन और गृह मंत्री की रिवॉल्वर भी दी गई।
आपको बता दें की IPS अधिकारी शालिनी के पिता रमेश एचआरटीसी बस में एक कंडक्टर के तौर पर काम करते हैं और उनकी मां हाउस वाइफ है। हिमाचल के ऊना के ठठ्ठल गांव की रहने वाली शलिनी का जन्म 14 जनवरी 1989 में हुआ था। उनके बार में बताया जाता है की शलिनी को बचपन से उनके माता पिता ने कभी किसी भी चीज़ के लिए माना नहीं किया। उन्हे हर वो आजादी दी जो वो चाहती थी।
वो बचपन से ही अपने देखे सपने को पूरा करने में लगी रहीं। शालिनी हमेशा से ही मेहनती छात्र में गिनी जाती थी। स्कूल में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहता था। उनकी शिक्षा धर्मशाला के DAV स्कूल से हुई है और आगे की पढ़ाई उन्होने हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से की है झन से उन्होने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
आज IPS अधिकारी बन चुकी शालिनी बताती हैं की जब उन्होंने UPSC की तैयारी करने के बारे में सोचा तो इसका जिक्र किसी से नहीं किया था। वो जानती थी ये देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है और ऐसे बहुत से लोग हैं जो कई वर्षों की कठिन मेहनत के बाद भी इस परीक्षा को पास नही कर पाते हैं। मगर यहां पर शलिनी के दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास ने उन्हे बहुत हिम्मत दी और मई 2011 में उन्होंने UPSC की परीक्षा दी थी जिसका इंटरव्यू मार्च 2012 में हुआ और परिणाम भी उसी वर्ष मई में आ गया।
जब UPSC परीक्षा का फ़ाइनल परिणाम आया तो उसमे शलिनी को ऑल इंडिया लेवल पर 285वीं रैंक मिली थी। इसके बाद उनका सफर शुरू हो गया था जब दिसंबर 2012 में हैदराबाद में उन्होने ट्रेनिंग ज्वॉइन की और उनको मिला 148 का बैच, जिसमें वह टॉपर रहीं। शालिनी अपनी मेहनत और लगन के दम पर ना केवल आईपीएस अधिकारी बनी बल्कि ट्रेनिंग (65वां बैच) के दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी का खिताब से भी नवाजा गया।
सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर ट्रेनी आफिसर होने के कारण उन्हें देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित भी किया गया। अपनी उपलब्धियों के चलते वह राष्ट्रपति की मौजूदगी में हुए पासिंग आउट परेड में आकर्षण का केन्द्र रहीं।
ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें उनकी पहली पोस्टिंग हिमाचल में हुई, जब उन्होंने कुल्लू में पुलिस अधीक्षक का पदभार संभाला तो अपराधियों में दहशत हो गई। उन्होंने नशे के सौदागरों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया था जिसके कारण वो सुर्खियों में रहीं।
शालिनी ने बताया कि हम दो बहनें और एक भाई हैं। बड़ी बहन डॉक्टर है, जबकि छोटा भाई इंडियन आर्मी में है। बस्ती जिले के एसपी संकल्प शर्मा से शालिनी की शादी हुई। शालिनी को बचपन से पुलिस अधिकारी बनने का शौक था। शालिनी का कहना है कि बेटियों को खूब पढ़ाओ-लिखाओ, अब लड़कियां लड़कों से किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, लड़कियां लड़कों से आगे निकल रही हैं।