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फौजी नहीं बन सका, तो 12th के बाद लौट आया गांव, लोगों ने मारे ताने, आज कमाता है 40 लाख रुपए सालाना
जो लोग यह समझते हैं कि खेती-किसानी लाभ का धंधा नहीं है, उन्हें 26 साल के इस किसान से सबक सीखना चाहिए। सबकी जिंदगी में कठिन दिन आते हैं। कभी-कभार निराशा होती है, लेकिन जो लगातार कोशिश जारी रखता है, कुछ नया करने में लगा रहता है, वो सफल रहता है। ये हैं रोहित सिंह। इनका सपना था कि वे फौजी बनें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। बिहार के हाजीपुर के रहने वाले रोहित हिमाचल प्रदेश के एक सैनिक स्कूल में पढ़ते थे। जब सपना टूटा, तो 12th के बाद गांव लौट आए। इससे घरवाले नाराज हुए। गांववालों ने ताने मारे। लेकिन रोहित नहीं डिगे। उन्होंने तरबूज, केले, खीरा आदि की खेती शुरू की। आज वे 40 लाख रुपए तक सालाना मुनाफा कमा रहे हैं।
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रोहित बताते हैं कि जब वे सैनिक स्कूल में पढ़ते थे, तब सोचते थे कि बिहार से लोग पलायन क्यों कर रहे हैं? जब उनका आर्मी में सिलेक्शन नहीं हुआ, तो उन्होंने दूसरों की नौकरी करने के बजाय खुद का कुछ काम-धंधा शुरू करने की सोची।
रोहित 12th करने के बाद 2015 में गांव लौट आए थे। तभी उन्होंने सोच लिया था कि वे खेती को बिजनेस मॉडल बनाकर रहेंगे। रोहित के पास जमीन काफी है। घर में खेतीबाड़ी पहले से होती आ रही थी, लेकिन पारंपरिक खेतीबाड़ी। रोहित ने नई तकनीक से खेतीबाड़ी शुरू की।
रोहित आज अपने खेतों में तरबूज, केले, संतरा, अनार और सब्जियां उगाते हैं। सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। आज रोहित के साथ कई लोग काम कर रहे हैं।
जो लोग बागवानी से संबंधित जानकारी लेना चाहते हैं, वे राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से संपर्क कर सकते हैं। इसका पता है-
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार
85, इंस्टीट्यूशनल एरिया, सेक्टर - 18
गुरुग्राम - 122,015 (हरियाणा)
टेलीफोन : 0124-2342992, 2347441
फैक्स : 0124-2342991
Email ID:md@nhb.gov.in
Website: http://www.nhb.gov.in
बता दें कि 1950 के बाद से बागवानी फसलों का उत्पादन करीब 10 गुना बढ़ गया है। भारत फलों और सब्जियों का दुनिया में दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। चूंकि सही प्रबंधन नहीं होता, इसलिए करीब 25-30 प्रतिशत फसल खराब हो जाती है। अगर आप इसके स्टोरेज पर ध्यान दें, तो मुनाफ बढ़ सकता है।
बागवानी अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिकों का दावा है कि नये कृषि सुधार कानूनों से बागवानी क्षेत्र में क्रांति आएगी। किसानों को फसल की उचित कीमत मिल सकेगी। बता दें कि बागवानी का कृषि में 30.4 प्रतिशत योगदान है।