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Women's Day 2021: भारतीय सेना की 6 बहादुर लेडी ऑफिसर्स, महिला दिवस पर इनके कारनामे सुन दंग रह जाएंगे आप
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दरअसल, महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन का विवाद साल 2016 में खत्म हो गया था। फरवरी 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने घोषणा करदी थी कि, महिलाओं को भारतीय सशस्त्र बलों के सभी वर्गों में कॉम्बैट रोल यानी युद्ध लड़ने की अनुमति दी जाएगी। यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और पुरुष-प्रधान समाज में लैंगिक समानता की ओर बड़ा कदम था। इसलिए हम महिला दिवस पर 6 पावरफुल अफसरों की बात कर रहे हैं। इन्होंने वर्दी की शान और देश की आन-बान में चार चांद लगाए और अपने हुनर से इतिहास रचा दिया।
1. प्रिया झिंगन: 21 सितंबर, 1992 को प्रिया झिंगन भारतीय सेना में शामिल होने वाली पहली महिला कैडेट बनीं। लॉ ग्रेजुएट प्रिया ने हमेशा से सेना में शामिल होने का सपना देखा था। 1992 में उन्होंने खुद आर्मी चीफ को एक चिट्ठी लिखी और उसमें सेना में महिलाओं की भर्ती के लिए अपील की। उनकी बात मान ली गई। प्रिया के साथ 24 नई महिला भर्तियों ने यहीं से अपनी यात्रा शुरू की। जब प्रिया झिंगान सेवानिवृत्त हुईं तो उन्होंने कहा, ‘यह एक सपना है जो मैं पिछले 10 वर्षों से मैं हर दिन जी रही हूं।’ महिला अफसरों की नौसेना में भर्ती का श्रेय काफी हद तक प्रिया झिंगान को भी जाता है।
2. पुनीता अरोड़ा: पुनीता भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने भारतीय सशस्त्र बल की दूसरी सबसे ऊंची रैंक लेफ्टिनेंट जनरल का पद संभाला। वे भारतीय नौसेना की पहली महिला वाइस एडमिरल भी थीं। लाहौर के पंजाबी परिवार में पैदा हुईं पुनीता तब 12 साल की थीं, जब विभाजन के दौरान उनका परिवार यूपी के सहारनपुर आकर बस गया था। वह 2004 में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज की कमांडेंट थीं। सशस्त्र बलों के अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में सशस्त्र बलों के लिए चिकित्सा अनुसंधान की को-ऑर्डिनेटर भी रही हैं। बाद में वह सेना से नौसेना में चली गईं, क्योंकि एएफएमएस में अधिकारियों को आवश्यकता के आधार पर एक सेवा से दूसरी सेवा में जाने की अनुमति है।
3. गुंजन सक्सेना: गुंजन सक्सेना को इंडिया एयरफ़ोर्स के इतिहास में "कारगिल गर्ल" के रूप में जाना जाता है। कारगिल युद्ध के दौरान गुंजन सक्सेना वह पहली महिला थी, जिन्हें कारगिल के युद्ध मे महिला हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में तैनात किया गया था। उन्होंने कारगिल युद्ध में चीता हेलिकॉप्टर उड़ाया था कई भारतीय सैनिकों की जान बचाई थी। गुंजन पर फिल्म भी बन चुकी हैं।
4. पद्मावती बंदोंपाध्याय: आंध्र प्रदेश के तिरुपति में जन्मी पद्मावती बंदोपाध्याय भारतीय वायु सेना की पहली महिला एयर मार्शल थीं। उन्होंने 1968 में वायु सेना जॉइन की थी। साल 1978 में उन्होंने डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज कोर्स पूरा किया। ऐसा करने वाली वह पहली महिला अधिकारी बन गईं। इतना ही नहीं, वह एविएशन मेडिसिन विशेषज्ञ बनने वाली पहली महिला अधिकारी थीं। इसके अलावा उत्तरी ध्रुव पर वैज्ञानिक अनुसंधान करने वाली वह पहली महिला थीं और एयर वाइस मार्शल के पद पर पदोन्नत होने वाली पहली महिला रही हैं। पद्मावती बंदोपाध्याय को साल 1971 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान सराहनीय सेवा के लिए विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
5. अवनी चतुर्वेदी: मध्यप्रदेश के रीवा जिले से ताल्लुक रखने वाली अवनी चतुर्वेदी भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों में से एक हैं। अवनी चतुर्वेदी को जून 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वार्डन में शामिल किया गया।
6 प्रिया सेमवाल: प्रिया का सेना से जुड़ने का सफर दर्दनाक रहा है। उनके पति नाइक अमित शर्मा सेना में थे लेकिन एक काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन में शहीद हो गए थे। वह देश के सैन्य अधिकारी की पत्नी के तौर पर सेना में बतौर अधिकारी सेवा देने वाली पहली महिला हैं। उन्हें 2014 में कोर ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (आर्मी) में शामिल किया गया। तब 26 साल की प्रिया सेमवाल की बेटी ख्वाहिश शर्मा 4 साल की थी। उनके पति नाइक अमित शर्मा 14-राजपूत रेजिमेंट के साथ सेवा दे रहे थे। साल 2012 में अरुणाचल प्रदेश में तवांग पहाड़ी के पास आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान उन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी। पति की याद में अपनी मातृभूमि के लिए प्यार जताते हुए प्रिया सेना में शामिल हुई।