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बेटी गिड़गिड़ाई पापा दहेज़ के पैसे से ही पढ़ा दो...आखिरकार कड़े संघर्ष से पायलट बनकर लौटी घर
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रितु अपनी कहानी बताते हुए कहती हैं कि जीवन इतना सिंपल नहीं होता जैसा दिखता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि हम ऐसे समाज में जीते हैं जहां खुद की पहचान बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जिसकी शुरुआत सबसे पहले घर से की जाती है। ऐसे समाज में अपनी अलग पहचान बनाना काफी मुश्किल है जहां लोग सोचते हैं... लड़कियां बोझ होती है।
रितु राठी तनेजा खुद के बारे में बताते हुए कहती हैं कि मैं पढ़ना चाहती थी। इस बात से उनके माता -पिता को किसी तरह की कोई प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन उनके रिश्तेदार इस बात से काफी गुस्सा थे कि बेटी को पढ़ाने से अच्छा है उनकी शादी कर दी जाए क्योंकि रिश्तेदारों का मानना था कि बेटी को पढ़ा लिखाकर क्या होगा?
लेकिन रितु के माता-पिता ने उन्हें स्कूल भेजने के लिए कड़ी मेहनत की और उन्हें वह हर चीज दी जिसे वह करना चाहती थी। या यूं कहें जो वह अपनी जिंदगी में हासिल करना चाहती थी। स्कूल में ही तनुजा के एक दोस्त ने उन्हें कहा कि उन्हें पायलट बनना चाहिए. और फिर इसी विचार पर उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत कर दी।
रितु बताती हैं कि बचपन से ही मैं पायलट बनने के सपने देखने लगी और फिर "मैंने अमेरिका में पायलट की ट्रेनिंग के लिए फॉर्म भरा। उसमें एडमिशन भी हो गया लेकिन घर से इतनी दूर अमेरिका में पढ़ाई के लिए भेजने पर उनके माता-पिता थोड़ा डर रहे थे लेकिन रितु ने अपने पापा को समझाया कि आपने जो मेरी शादी के लिए पैसे रखे हैं उसे आप मेरी पढ़ाई पर खर्ज कर दीजिए। साथ ही रितु ने अपने पापा से वादा किया .. कि आज मुझ पर विश्वास करिए एक दिन इसके लिए आपको गर्व महसूस होगा।
रितु के माता-पिता को उन पर काफी विश्वास था। इसी विश्वास की वजह से उन्होंने उसे विदेश ट्रेनिंग के लिए भेज दी। वहीं रिश्तेदारों का कहना था कि विदेश जाएगी और लड़कों के साथ बातें करेगी, इससे अच्छा है इसकी शादी करवा दो।
तनुजा ने कहा, 'जिंदगी में अजीब सा मोर तब आया जब मैं डेढ़ साल की ट्रेनिंग से इंडिया वापस लौटी लेकिन मुझे कोई जॉब नहीं मिली। सिर्फ इतना ही नहीं मेरी मां की ब्रेन हेम्ब्रेज से मौत हो गई। उस वक्त मेरी फैमिली पूरी तरह से कर्ज में डूब गई थी। उधर रिश्तेदारों ने यह कहना शुरु कर दिया था कि मैंने कहा था कि बेटी को मत भेजो बाहर.. कोई नौकरी नहीं मिलने वाली। रिश्तेदारों ने पापा से कहना शुरु कर दिया था कि हमने कहा था बेटी को विदेश मत भेजो कोई नौकरी नहीं मिलने वाली।
(Demo Pic)
हालात उस समय बद से बत्तर हो गए जब पापा पूरी तरह से कर्ज में डूब गए थे मां की मौत हो गई थी हमारी फैमिली के ऊपर काफी कर्ज थे। तब मैंने कैसे भी एक साइड जॉब लिया और जॉब के साथ-साथ रोजाना 7 घंटे तक पढ़ाई भी करती रही। मुझे एक एयरलाइन्स से को- पायलट की जॉब के लिए ऑफर लेटर आया। 4 साल में मैंने कम से कम 60 उड़ानें भरीं और मेरा प्रमोशन हुआ और मैं कैप्टन बन गई। और फिर वह मौका आया जिसे मैं कब से इंतजार कर रही थी। पहली बार जब मैं कैप्टन की सीट पर बैठी वह मेरी जिंदगी का सबसे सुनहरा पल था।
जॉब के दौरान ही मुझे मेरे पति मिले....एक दूसरे को काफी समय तक डेट करने के बाद हमने शादी कर ली। और आज हमारी दो साल की बेटी है। आपको बता दें कि रितु सफल युट्यूबर है और इनके 30 लाख से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं। आगे रितु कहती हैं कि मेरे पिता जी आज किसी के सामने बेहद फक्र के साथ कहते हैं कि मेरी बेटी पायलट है। रितु ने अपनी स्टोरी 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' फेसबुक पेज पर साझा की है।
(Demo Pic)