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ये हैं पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाने वाली असली गुंजन सक्सेना, एजुकेशन, फैमिली, और जाबांजी की पूरी कहानी
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गुंजन सक्सेना का जन्म वर्ष 1975 में एक सेना अधिकारी के परिवार में हुआ था और वर्तमान में उनकी उम्र 44 वर्ष है। उनके पिता और भाई ने भारतीय सेना की सेवा की।
गुंजन सक्सेना एजुकेशन ( Gunjan Saxena Early Life and Education)
उनकी शुरुआती लाइफ की बात करें तो गुंजन सक्सेना ने नई दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी और उसके बाद दिल्ली फ्लाइंग क्लब से जुड़ गई थीं। उसके दौरान उन्होंने महिला पायलटों की भर्ती के लिए अप्लाई किया और एसएसबी पास कर वायुसेना में शामिल हो गईं।
गुंजन सक्सेना करियर ( Gunjan Saxena Career)
फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना भारतीय वायु सेना की पहली महिला ऑफिसर हैं, जो पहली बार युद्ध में गई थीं। उस वक्त महिलाओं को वॉर टाइम में वॉर जोन में जाने और फ्लाइटर प्लेन उड़ाने की इजाजत नहीं थीं। फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना को वर्ष 1994 में 25 अन्य महिला प्रशिक्षु पायलटों के साथ भारतीय वायु सेना में चुना गया था। यह महिला IAF प्रशिक्षु पायलटों का पहला बैच था। वह उधमपुर, जम्मू और कश्मीर में तैनात थी।
तब गुंजन सक्सेना ने 1999 कारगिल वॉर के वक्त यह इतिहास रचा था और उस वक्त वो भारतीय वायु सेना में फ्लाइंग ऑफिसर बनीं। उस दौरान उन्होंने कॉम्बेट जोन में चीता हैलीकॉप्टर उड़ाया था और कई भारतीय सैनिकों की जान बचाई थी। उस दौरान उन्होंने ऐसा कर इतिहास रच दिया था और आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल कायम की थी।
गुंजन सक्सेना अचीवमेंट (Gunjan Saxena Become Kargil Girl)
उस वक्त गुंजन के पिता भी भारतीय वायुसेना में ही थी और उन्हें उस वक्त ही यह इतिहास रचने का अवसर मिला था। गुंजन ने उस जगह अपना ऑपरेशन पूरा किया था, जहां पाकिस्तानी सैनिक लगातार गोलियां चला रहे थे। वॉर के समय गुंजन के एयरक्राफ्ट पर मिसाइल भी दागी गई लेकिन निशाना चूक गया और गुंजन बाल-बाल बचीं। उसके बीच जाकर उन्होंने भारतीय जवानों की मदद की थी। उनके इस वीरतापूर्ण कार्य के लिए उन्होंने शौर्य वीर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया और वो 'कारगिल गर्ल' के नाम से मशहूर हुईं।
हालांकि, उस वक्त गुंजन सक्सेना के साथ विद्या राजन उनकी साथी ने भी इतिहास रचा। उन्होंने इस ऑपरेशन के बाद दिए कई इंटरव्यू में कहा था कि ऐसा पहली बार था और काफी नया था। उन्हें यह काम करके बहुत अच्छा लग रहा था।
गुंजन सक्सेना पर्सनल लाइफ (Gunjan Saxena: Personal Life)
गुंजन सक्सेना ने एक IAF अधिकारी से शादी की है जो पेशे से पायलट ही हैं। उनकी एक बेटी प्रज्ञा है।
गुंजन सक्सेना अवॉर्ड (Gunjan Saxena Awards)
फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना 'शौर्य चक्र पुरस्कार' पाने वाली पहली महिला थीं। उन्हें कारगिल युद्ध क्षेत्र में उनके साहस और दृढ़ संकल्प के लिए सम्मानित किया गया। साल 2004 में, चॉपर पायलट के रूप में 7 वर्षों तक सेवा देने के बाद, गुंजन सक्सेना की भारतीय सेना के साथ जर्नी खत्म हो गई है। उनके शौर्य, जांबाज इरादों और देश सेवा में योगदान के लिए फिल्म के जरिए उनकी कहानी दुनिया के सामने रखी जा रही है।