बचपन के सपने को पूरा करना था, इसलिए छोड़ दी 22 लाख वाली नौकरी और बन गया IAS
करियर डेस्क. फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज 2016 बैच में 44वीं रैंक पाने वाले IAS हिमांशु जैन की कहानी बताने जा रहे हैं। हिमांशु ने बचपन में अपने क्लास रूम में कलेक्टर बनने का जो सपना देखा उसे आखिरकार पूरा किया।
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हिमांशु मूलतः हरियाणा के जींद के रहने वाले हैं। उनके पिता पवन जैन एक दुकान चलाते हैं। हिमांशु मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी प्रारम्भिक परीक्षा जींद से ही हुई।
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हिमांशु के परिवार के लोग बताते हैं बचपन में एक बार उनके स्कूल में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर चेकिंग करने आए। उनके आने के पहले स्कूल में साफ-सफाई के साथ ही तमाम चीजें सही की जाने लगी। उस समय हिमांशु ने अपने टीचर से पूंछा कि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर कौन होता है और कैसे बनते हैं। उसी दिन के बाद हिमांशु ने भी कलेक्टर बनने का जो सपना देखा उसे पूरा कर ही माने।
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जींद में स्कूलिंग के बाद हिमांशु ने आईआईटी, हैदराबाद से कंप्यूटर साइंस में एमटेक किया । उसके बाद उन्होंने हैदराबाद में ही गूगल में नौकरी जॉइन कर ली। उन्हें अमेजन से 22 लाख के पैकेज पर नौकरी मिल गई। लेकिन उनके मन में बचपन से ही एक बात पल रही थी वो थी कलेक्टर बनने की। इसलिए उन्होंने 22 लाख के पैकेज की नौकरी ठुकरा दी और UPSC की तैयारी में जुट गए।
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UPSC की तैयारी में उनकी चाची ने उनकी काफी मदद की। वह पेशे से डॉक्टर थीं। वह हिमांशु को अपने हॉस्पिटल में ही बुला लेती थीं और खाली टाइम में पढ़ाती थीं। हिमांशु बताते हैं कि चाची ने उनका खूब हौसला बढ़ाया। वह कहती थीं कि तुम जरूर इसे अचीव कर सकते हो।
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पढ़ाई के दौरान हिमांशु एक NGO से भी जुड़े रहे। वह हॉस्टल में अपना सामान छोड़ कर चले जाने वाले स्टूडेंट्स के सामान को इस NGO के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुंचाते थे। उनका कहना है कि इससे उन्हें काफी सुकून मिलता था कि उनके प्रयास से किसी असहाय की जरूरत पूरी हो जाती थी।
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2015 में हिमांशु ने UPSC की परीक्षा दी। उन्हें खुद पर पूरी भरोसा था। वह कहते थे कि मुझे यकीन है मेरा सिलेक्शन जरूर होगा। 2016 में रिजल्ट आया तो हिमांशु ने पूरे देश में 44 वीं रैंक पायी थी।
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