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बचे दिनों में इस स्ट्रेटजी को अपनाएं अफसर बनने का सपना देखने वाले छात्र, UPSC प्रीलिम्स में लगेगा बेड़ा पार
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1) जैसे ही आपको पेपर मिलता है, आप पूरे धैर्य एवं संतुलन के साथ उसे हल करना शुरू कर दें। यदि शुरू के कुछ प्रश्न नहीं भी बन रहे हों, तो निरूत्साहित बिल्कुल भी न हों। आपके लिए 55% का स्कोर पर्याप्त होगा।
2) पेपर आपको मुख्यतः तीन चरणों में हल करना चाहिए। पहले चरण में आप उन प्रश्नों को हल करें, जिनके उत्तर आपको सीधे-सीधे मालूम हैं। या फिर विकल्पों को पढ़ने के बाद आप सही उत्तर तक पहुंच जा रहे हैं। आप जिन प्रश्नों को हल कर रहे हैं, उसके प्रश्न-नम्बर के पास पेंसिल से हल्का सा एक ऐसा निशान लगा दें, जिसे देखते ही आप समझ जायें कि “मैंने इसे हल कर लिया है।” यह द्वितीय चरण में आपके लिए सहायक होगा।
3) द्वितीय चरण में आपको उन प्रश्नों को हल करना है, जिनके दो विकल्पों को लेकर आप कन्फ्यूज्ड हैं। ऐसे प्रश्नों को समय देकर इन पर गंभीरतापूर्वक विचार कीजिये, क्योंकि यहां सही उत्तर तक पहुंचने की संभावना सबसे अधिक है। यदि इन दो विकल्पों में से आप सही तक नहीं पहुँच पा रहे हैं, तब भी आपको अपने हिसाब से सर्वाधिक संभावित उत्तर पर निशान लगाना ही है। ऐसे प्रश्नों की संख्या पर भी पेंसिल से हल्का निशान लगा दें।
4) तीसरे और अंतिम चरण का संबंध उन प्रश्नों से है, जिनके तीन या चार विकल्पों में आपको भ्रम है। चूंकि अब समय का दबाव भी अपना काम कर रहा होता है, इसलिए आप सही विकल्प की तलाश करना बंद कर दें। बचे हुए समय में आपको केवल यही कोशिश करनी चाहिए कि “मैं कैसे दिये गये विकल्पों की संख्या को कम करके दो कर दूं।
यानी कि इस चरण में आपको करना यह है कि यह-यह उत्तर नहीं हो सकते। ऐसा करते हुए जब आपके पास केवल दो विकल्प बच जाएं, तो आप उनमें से किसी भी एक पर, जिसके लिए आपका दिल गवाही दे रहा हो, निशान लगा दे। यहाँ तक आप सुरक्षित रहेंगे।
5) यदि तीन विकल्पों में भ्रम बना रहता है, तो बेहतर होगा कि आप उन्हें छोड़ दें। ‘संभाव्यता के सिद्धांत’ के अनुसार यदि आप चार ऐसे प्रश्न हल करते हैं, तो उसमें से एक के सही होने की उम्मीद रहेगी। इस प्रकार इस सही उत्तर के लिए जो मार्क्स मिलेंगे, वे गलत उत्तर की निगेटिव मार्किंग से कटकर बराबर हो जायेंगे। लेकिन मैंने अपने प्रयोगों में पाया है कि ऐसा करने से अंततः नुकसान ही होता है।
(Demo Pic)
6) अंत में यह है कि जो प्रश्न किसी भी कारण से समझ में नहीं आ रहे हों, या बहुत जटिल लग रहे हों, उनमें बिल्कुल भी न उलझें। उन्हें छोड़कर आगे बढ़ जायें तथा उन पर पेंसिल से निशान भी लगा दें, ताकि उन्हें दुबारा पढ़ना न पड़े।