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'कोटा में फंसे छात्र और हजारों मजदूरों का मसीहा'...इस अफसर ने लॉकडाउन में ऐसे करवाई ‘घर वापसी'

नई दिल्ली.  पूरे देश में इस समय लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में लोग घरों को जाने के लिए काफी परेशान हैं। प्रवासी मजदूरों की तो हालत खस्ता है। इस बीच यूपी सरकार ने अपने राज्य के मजदूरों की चिंता को समझते हुए उन्हें सकुशल बसों से घर वापसी करवाई है। इस पूरे ऑपरेशन के चलते लगभग 50 हजार से ज्यादा मजदूरों और बच्चों को उनके घर पहुंचाया जा चुका है। इस पूरे ऑपरेशन और काम का श्रेय (यूपीएसआरटीसी) के प्रबंध निदेशक राजशेखर को जाता है। उनकी सूझबूझ और निर्यणायक क्षमत से सब ठीक-ठाक हो संभव हो पाया। पूरे देश में इस शख्सयित की चर्चा हो रही हैं। जब नोएडा और गाजियाबाद में 50 हजार से ज्यादा मजदूर घर जाने को जमा हो गए तब ये अफसर घबराया नहीं बल्कि समझदारी से फैसला लेकर इस समस्या को सुलझाकर माने। हम आपको राजशेखर के बारे में अनसुनी बातें बता रहे हैं।  करियर मोटिवेशनल स्टोरी (Career Inspiring Story) में आज हम आपको राजशेखर के करियर और सराहनीय कामों की कहानी सुना रहे हैं। 

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Asianet News Hindi
Published : May 04 2020, 11:06 AM IST| Updated : May 04 2020, 11:43 AM IST
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‘उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम’ (यूपीएसआरटीसी) के प्रबंध निदेशक राजशेखर लखनऊ में परिवहन निगम के दफ्तर को एक आधुनिक रंग में ढालने के लिए भी मशहूर रहे हैं। राजशेखर मूलत: कर्नाटक के गुलबर्गा जिले के रहने वाले हैं। शुरुआती शिक्षा गुलबर्गा के नवोदय विद्यालय में हुई।

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‘इंटर स्कूल माइ्ग्रेशन स्कीम’ के तहत राजशेखर ने वर्ष 1992-93 में नवीं और दसवीं की पढ़ाई के लिए बिहार के बेगुसराय के नवोदय विद्यालय पहुंचे। यही वह समय था जब राजशेखर उत्तरी भारत के कल्चर से परिचित हुए और हिंदी भाषा सीखी।

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वापस कर्नाटक के बीदर नवोदय विद्यालय से इंटरमीडियट करने के बाद राजशेखर ने ‘एनिमल हसबेंडरी वेटेनरी साइंस’ में पांच साल का ग्रेजुएशन कोर्स धारवाड़ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से किया। वर्ष 2004 में राजशेखर भारतीय सिविल सेवा में चयनित हुए और इन्हें यूपी कैडर मिला। राजशेखर ट्रेनिंग पीरियड में एक साल सीतापुर में तैनात रहे। इसके बाद फैजाबाद अब अयोध्या में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर पहली तैनाती हुई।

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ग्यारह महीने यहां रहने के बाद इलाहाबाद अब प्रयागराज के सीडीओ बने। जिलाधिकारी के तौर पर पहली पोस्टिंग भदोही में हुई। यहां यह केवल 21 दिन ही रहे और तत्कालीन बसपा सरकार ने राजशेखर को भदोही से हटाकर उन्नाव का डीएम बना दिया गया। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले इन्हें झांसी के जिलाधिकारी बनाया गया।

 

दो साल झांसी में डीएम रहने के बाद मुरादाबाद के डीएम रहे. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने इन्हें जालौन का डीएम बनाया। सपा सरकार बनने के बाद राजशेखर पीलीभीत के डीएम रहे। इसके बाद वर्ष 2013 में हुए कुंभ के दौरान राजशेखर इलाहाबाद अब प्रयागराज के डीएम थे। यहां किए गए अच्छे कार्यों का नतीजा राजशेखर को लखनऊ के जिलाधिकारी के पद पर नियुक्ति के रूप में मिला।

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वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने राजशेखर को रामपुर का जिलाधिकारी नियुक्त किया। विधानसभा चुनाव के बाद यह निदेशक पिछड़ा वर्ग और विशेष सचिव पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग बनाया गया। यहां के बाद लोक निर्माण विभाग में विशेष सचिव पद रहे।

 

बस्ती में कुछ समस्याएं होने पर सरकार ने राजशेखर को यहां का डीएम बनाया। इसके बाद से राजशेखर परिवहन निगम के एमडी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। फिलहाल परिवहन निगम के सामने दूसरी बड़ी चुनौती पड़ोसी राज्यों में रह रहे यूपी मजदूरों को उनके गृह जिले पहुंचाने की है।

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सही समय डिसिजन लेकर चर्चा में आए- 

 

लाकडाउन में राजशेखर समेत अन्य सभी अधिकारी घर पर ही रह कर सरकारी कामकाज कर रहे थे। उधर रोज की भांति 27 मार्च को शाम सात बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब अपने सरकारी आवास पर अधिकारियों के साथ लाकडाउन के इंतजामों की समीक्षा कर रहे थे उसी दौरान उन्हें पता चला कि मजदूर काफी संख्या में गाजियाबाद और नोएडा के यूपी बार्डर पर पहुंचने लगे हैं। तनाव बढ़ने की आशंका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार से मजदूरों को लाने का प्रयास शुरू करने की जानकारी दी। 

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निर्देश मिलने के बाद रात नौ बजे अपर मुख्य सचिव गृह और सूचना अवनीश कुमार अवस्थी ने राजशेखर को फोन करके तुरंत एक हजार बसों को रातोंरात गाजियाबाद और नोएडा में पहुंचाने का निर्देश दिया ताकि सुबह से मजदूरों को निकालना शुरू कर दिया जाए। लाकडाउन की हालत में रात नौ बजे एक हजार बसों का इंतजाम करना एक कठिन चुनौती थी। वह भी तब जब लाकडाउन के चलते सभी ड्राइवर और कंडक्टर अपने-अपने घरों को जा चुके थे।

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राजशेखर ने फौरन इसकी जानकारी परिवहन विभाग के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अशोक कटारिया, परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह को दी। इसके बाद उन्होंने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को फोन करके तुरंत लखनऊ के टेढ़ी कोठी में मौजूद परिवहन निगम के मुख्यालय को खोलने को कहा। 

 

इसके साथ प्रदेश में परिवहन निगम के सभी रीजनल मैनेजर (आरएम) और असिस्टेंट रीजनल मैनेजर (एआरएम) के दफ्तरों को भी रात में खोलने का आदेश दिया। रात बारह बजे तक प्रदेश में परिवहन निगम के सभी आरएम और एआरएम के दफ्तर खुल गए थे और अधिकारी भी मौजूद थे। अवस्थी ने एक हजार बसों का इंतजाम करने को कहा था लेकिन राजशेखर ने तीन हजार बसों का लक्ष्य लेकर ‘आपरेशन’ शुरू किया। 

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इटावा, अलीगढ़, लखनऊ से कुल मिलाकर एक हजार बसें फौरन आगरा और मथुरा भेजीं। आगरा प्रशासन ने इन मजदूरों को बसों में बिठाकर लखनऊ भेज दिया। इस कारण 30 मार्च को अचानक लखनऊ में मजदूर पहुंचने लगे. इस समस्या से निबटने के लिए राजशेखर ने लखनऊ में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर अस्थाई बस अड्डे स्थापित करवाए। मजदूरों के लिए भोजन और पानी का इंतजाम कराया। यहां साढ़े सौ बसें लगाकर मजदूरों की स्क्रीनिंग करके उन्हें उनके गृह जिलों के लिए रवाना किया। 31 मार्च की शाम तक सभी मजदूर अपने गृह जिलों में सुरक्षित पहुंच गए थे।

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इस आपरेशन से मिले अनुभव का लाभ कोटा और प्रयागराज में रह रहे छात्रों को बसों से उनके गृह जिले भेजने में काम आया। मंत्री अशोक कटारिया से निर्देश मिलने के बाद अब राजशेखर लाकडाउन के बाद सोशल डिस्टेंसिंग और गाइडलाइन को मानते हुए बसों के संचालन की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। अब बसों से यात्रा करने के लिए मास्क पहने होना जरूरी होने वाला है। हर बस में हैंड सेनेटाइजर मौजूद होगा। 

 

इस पूरे ऑपरेशन के कारण राजशेखर लगातार अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनकी वजह से प्रवासी मजदूर सड़क पर पैदल न चलकर सुरक्षित घरों को जा चुके हैं। वहीं हॉस्टल्स में फंसे छात्र भी अपने-अपने घर पहुंच गए हैं। 

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