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हेमा मालिनी की वो फिल्म जिसके क्लाइमैक्स सीन को लिखा गया था 36 बार, ये है इसके पीछे की सोच में डालने वाली वजह
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बागबान बाकी सभी फिल्मों में अलग है क्योंकि यह मल्टीस्टारर फिल्म जहां जबरदस्त मनोरंजन करती है वहीं दूसरी और यह फिल्म समाज की एक बड़ी समस्या को भी खूबसूरती के साथ पेश करती है। इमोशनल, पारिवारिक और सामाजिक मुद्दे पर बात करने वाली यह 2003 को रिलीज हुई थी।
हेमा मालिनी अमिताभ बच्चन ने अपने जमाने में 'सत्ते पे सत्ता' जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में साथ काम किया। जब यह जोड़ी बागवान में एक दम अलग अवतार में अधेड़ से वृद्ध उम्र की ओर जाते हुए माता-पिता बनकर सामने आई तो हर दिल में इनके लिए प्यार उमड़ा।
फिल्म की स्क्रिप्ट राइटर अचला नागर ने एक इंटरव्यू में बताया था- बागबान फिल्म में अमिताभ बच्चन वाली क्लाइमैक्स स्पीच जो लोगों को बहुत पसंद आई, उसे 36 बार लिखा, तब वह फाइनल हो पाई थी।
अचला ने बताया था- मुझसे अमिताभ जी ने कहा कि हम राइटर्स हैं, शब्दों से खेलते हैं। हम इसलिए बोल पाते हैं क्योंकि हम शब्दों का अर्थ समझ पाते हैं, अगर हम समझेंगे नहीं तो अभिव्यक्ति नहीं कर पाएंगे। बता दें कि अचला नागर ने निकाह, आखिर क्यों, बागबान और बाबुल जैसी फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखी है।
फिल्म उस दौर में जबरदस्त हिट हुई थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 41.68 करोड़ रुपए की कमाई की थी, जो आज की तारीख के तकरीबन 115 करोड़ के आसपास है।
फिल्म में सलमान ने अमिताभ के गोद लिए बेटे आलोक का किरदार निभाया। खुद सलमान ने फिल्म के 10 साल पूरे होने पर एक इंटरव्यू में बताया था कि जब यह रोल उन्हें ऑफर किया गया तो उन्होंने तुरंत हां कर दी। क्योंकि वह यह समझ चुके थे कि रोल छोटा जरूर है लेकिन अमिताभ के बाद फिल्म में दूसरा दमदार किरदार यही है।
फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि राज (अमिताभ बच्चन) और पूजा मल्होत्रा (हेमा मालिनी) एक दूसरे से और अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। लेकिन उनके बच्चे जिम्मेदारी से भागने के चक्कर में यह कह देते हैं की वह दोनों कुछ-कुछ महीने अलग-अलग बच्चे के घर में रहें। राज और पूजा अपने बच्चों के लिए अलग हो जाते हैं। इन दिनों में राज अपने दोस्त हेमंत (परेश रावल) की मदद से अपनी किताब लिखता है। जब राज और पूजा मिल जाते हैं तो उसके बाद उनकी मुलाकात आलोक (सलमान खान) से होती है, जिसे उन दोनों ने बचपन में गोद लिया था।
जब दोनों आलोक (सलमान खान) के पास आ जाते हैं तो उसके बाद हेमंत पटेल राज को उसके किताब के सफलता के बारे में बताता है। कुछ ही समय में राज बहुत अमीर हो जाता है। जब वह अमीर हो जाता है तब उसके बच्चे भी उसके पास आ जाते हैं, लेकिन वह उन्हें नहीं स्वीकारता है। बाद में उन बच्चों को अपनी गलती का एहसास होता है।