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- लाइफ के पहले ऑडिशन की इस शख्स ने करवाई थी जमकर तैयारी, फिर भी फेल हो गए थे Jeetendra, बताई वजह
लाइफ के पहले ऑडिशन की इस शख्स ने करवाई थी जमकर तैयारी, फिर भी फेल हो गए थे Jeetendra, बताई वजह
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जितेंद्र ने अपने उन दिनों को याद किया, जब वह पहली बार ऑडिशन देने गए थे और इसमें उनकी मदद राजेश खन्ना ने की थी। इससे पहले उन्होंने बताया कि कैसे वह फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बने और कैसे उनका फिल्मी करियर शुरू हुआ।
उन्होंने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। स्कूल में वे रट्टा मारकर पास होते थे। इसके बाद वह कॉलेज गए, लेकिन वहां पर यह टेक्नीक काम नहीं आईं। पढ़ाई नहीं की तो उसके बाद वह अपने पिता की आर्टिफिशल ज्वैलरी की दुकान पर काम करने लगे।
जितेंद्र ने बताया कि उनकी दुकान से फिल्मों के लिए ज्वैलरी जाया करती थी। वे खुद डिब्बे लेकर सेट्स पर जाते थे। इस तरह से उनका फिल्म लाइन से कॉन्टैक्ट हुआ। इस बीच उन्हें फिल्म नवरंग के लिए एक रोल मिला। उन्हें प्रिंस का रोल मिला था।
उन्होंने इस दौरान फिल्म में रोल कैसे मिला इसका किस्सा भी शेयर किया। उन्होंने बताया कि वे शूटिंग देखना चाहते थे लेकिन बाहर खड़े एक व्यक्ति ने उनसे कहा कि आप ऐसे अंदर नहीं जा सकते। उस व्यक्ति ने कहा कि आपको प्रिंस का रोल करना होगा। वे इसके लिए तैयार हो गए। उन्हें प्रिंस का कॉस्ट्यूम दिया गया। जब वे अंदर गए तो उन्होंने देखा कि वहां तो कई सारे प्रिंस लाइन में बैठे थे।
फिल्ममेकर वी शांताराम ने एक बार जितेंद्र को स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया। मैं और राजेश खन्ना एक साथ ही पढ़ते थे। मैंने राजेश खन्ना को स्क्रीन टेस्ट वाली बात बताई। उस समय राजेश थिएटर करते थे। उन्होंने केसी कॉलेज की कैंटीन में मुझे रिहर्सल करवाई। मैं अगले दिन स्क्रीन टेस्ट के लिए गया। मैं एकदम तैयार होकर वहां पहुंचा तो शांताराम ने मुझे डायलॉग दे दिया। जो डायलॉग उन्होंने दिया, वह मैं बोल नहीं सका।
जितेंद्र ने इस बात से भी पर्दा उठाया कि कैसे उनका नाम रवि कपूर से जितेंद्र पड़ा। उन्होंने बताया- कारवां फिल्म में मेरे साथ जो कलाकार थे रविंद्र कपूर, वह बहुत ही पॉपुलर एक्टर रहे हैं। उनका नाम रविंद्र था, इसलिए मुझे बोला गया कि आपको अपना नाम बदलना होगा। इसके बाद मेरा नाम रवि से जितेंद्र कर दिया गया। उन्होंने राजेश खन्ना के नाम को लेकर भी कहा कि उनका नाम जतिन था, पर फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद वे राजेश बन गए।
शो में जितेंद्र अपनी जवानी के दिनों को याद कर बताया कि कैसे वो मुंबई की एक चॉल में रहा करते थे। उन्होंने कहा- मैंने अपनी जिंदगी के करीब 20 साल एक चॉल में बिताए, जिसने मेरी जिंदगी पर गहरा असर डाला। मुझे ऐसा लगता है कि मेरी परवरिश, संस्कार, मां- बाप ने तो दिए है लेकिन माहौल से भी आपको बहुत संस्कार मिलते हैं। मैं आदतों, भाषा और बाकी भी पूरा मराठी हूं, मैं हीरो बना क्योंकि मुझे अच्छी मराठी बोलनी आती थी।
जितेंद्र ने अपने जमाने में एक से बढ़कर एक फिल्में दी। उस दौरान जहां अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, दिलीप कुमार जैसे स्टार्स थे वहीं, जितेंद्र की पॉपुलैरिटी भी कम नहीं थी। उन्होंने भी इन सबके बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई।