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धड़ाधड़ वायरल हुई अरबों की मालकिन सुधा मूर्ति की सब्जियां बेचते ये फोटो, जानें इसके पीछे की सच्चाई
मुंबई. देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस (infosys) की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति (sudha murthy) रविवार को सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड हो रही है। सोशल मीडिया पर उनकी एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें वो ढेर सारी सब्जियों के बीच में बैठी हुई हैं। इस फोटो के साथ ही लिखा जा रहा है कि अरबों की मालकिन होने के बावजूद इतना सादा जीवन बिताना कोई आसान काम नहीं है लेकिन सुधा का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा है। साथ ही ये भी लिखा जा रहा है कि वे साल में एक बार ये काम जरूर करती है।
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आपको बता दें कि जो फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है वो चार साल पुरानी है। गूगल रिवर्स इमेज सर्च पर पता चला कि ये फोटो 2016 की है।
हालांकि, फोटो पुरानी है लेकिन सुधा मूर्ति हर साल परोपकारी कार्य के तहत अपने जयनगर, बेंगलुरु के पास स्थित राघवेंद्र स्वामी मंदिर में आयोजित होने वाले राघवेंद्र अराधनाउत्सव में तीन दिनों के लिए कार सेवा करती है।
सुधा सुबह चार बजे उठकर एक सहयोगी के साथ मंदिर के भोजनालय में जाती हैं। इसके बाद वो भोजनालय और बगल में स्थित कमरों को साफ करती हैं।
इतना ही नहीं भोजनालय के बर्तनों को साफ करती हैं, फिर शेल्फ की सफाई, सब्जियों का स्टॉक लेती हैं, सब्जियां कटवाती हैं।
वे अपने सहयोगी की मदद से सब्जियों और चावल की बड़ी बोरियों को मंदिर के स्टोर रूम में पहुंचाने में मदद करती हैं।
2013 में दिए इंटरव्यू में सुधा मूर्ति ने कहा था कि पैसा देना सरल है, लेकिन शारीरिक सेवा आसान नहीं हैं। मंदिर के प्रबंधकों के अनुसार सुधा हर साल तीन दिन के लिए स्टोर मैनेजर की भूमिका में रहती हैं।
सामने आई फोटो की सच्चाई यह है कि सुधा मूर्ति सब्जियां नहीं बेच रही बल्कि मठ में तीन दिनों के लिए स्टोर में आने वाली सब्जियों के स्टॉक को चेक कर रही हैं और इसके लिए वो जमीन पर सब्जियों के बीच में जाकर के बैठ जाती हैं।
आपको बता दें कि सुधा मूर्ति ने इंजीनियरिंग की है। 1972 में स्नातक किया था। शायद ये बात कम ही लोग जानते होंगे कि जिस कॉलेज से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी उसमें उनके अलावा एक भी लड़की नहीं थी।
BVB College of Engineering and Technology में दाखिले के लिए प्रिंसिपल ने उनके सामने 3 शर्तें रखीं थी। पहली शर्त थी कि उन्हें ग्रेजुएशन खत्म होने तक साड़ी में ही आना होगा, दूसरी शर्त कैंटीन नहीं जाना और तीसरी शर्त थी कि वे कॉलेज के लड़कों से बात नहीं करेंगी। सुधा ने एक टीवी शो में बताया था कि पहली दो शर्तें तो पूरी हुई लेकिन तीसरी शर्त पूरी नहीं हुई। जैसे ही उन्होंने फर्स्ट ईयर में टॉप किया, सारे लड़के खुद उनसे बात करने आने लगे।