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आटा पीसने वाली चक्की की सिल्लियां उठा बॉडी बनाते थे Mahabharat के भीम, आखिरी वक्त में थे पाई-पाई को मोहताज
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एक इंटरव्यू के दौरान प्रवीण ने एक्टिंग की दुनिया में आने से पहले अपने शेड्यूल के बारे में बताया था। प्रवीण ने कहा था- एक भी दिन ऐसा नहीं जब मैं 3 बजे ना उठा हूं। गांव में कोई जिम नहीं था और ना ही तब तक मैंने ऐसी चीज देखी थी। मां घर में जो चक्की अनाज पीसने के लिए इस्तेमाल करती थी, उसी की सिल्लियों का वजन उठाकर मैं ट्रेनिंग लेता था।
प्रवीण कुमार ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी दुख भरी दास्ता सुनाई थी। उन्होंने बताया था- मैं 74 साल का हो गया हूं। काफी समय से घर में ही हूं। तबीयत ठीक नहीं रहती है। खाने में भी कई तरह के परहेज हैं। स्पाइनल प्रॉब्लम है। घर में पत्नी वीना देखभाल करती है। एक बेटी की मुंबई में शादी हो चुकी है।
साढ़े 6 फीट के प्रवीण कुमार 1960 और 1970 में स्टार इंडियन एथलीट रहे हैं। अपनी लंबाई के कारण वे सालों तक हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो के खिलाड़ी रहे। 1966 और 1970 में बैंकॉक में हुए एशियन गेम्स में प्रवीण ने डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल जीता था। 1966 में ही हैमर थ्रो में प्रवीण को ब्रॉन्ज मेडल मिला। 1974 में तेहरान में हुए एशियन गेम्स में भी प्रवीण ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीता।
खेल की बदौलत ही प्रवीण कुमार को सीमा सुरक्षा बल (BSF) में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी मिल गई थी लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। 1986 में एक दिन पंजाबी दोस्त ने प्रवीण को आकर बताया कि बीआर चोपड़ा महाभारत बना रहे हैं और वो भीम के किरदार के लिए एक ताकतवर बंदा ढूंढ रहे हैं। वो चाहते हैं कि तुम एक बार आकर मिलो।
1988 तक तकरीबन 30 फिल्मों में काम करने के बाद प्रवीण कुमार बीआर चोपड़ा से मिले और फिर तय हो गया कि महाभारत में भीम का किरदार प्रवीण कुमार सोबती ही करेंगे। ये कैरेक्टर इतना पॉपुलर हुआ कि खुद प्रवीण कई इंटरव्यू में बता चुके हैं कि उन्हें कई दफा लोगों ने बस, ट्रेन और जहाज में सफर करते हुए घेर लिया।
प्रवीण कुमार ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1981 में आई फिल्म रक्षा से की थी। इसी साल उनकी दूसरी फिल्म मेरी आवाज सुनो भी आई। इन दोनों ही फिल्मों में उनके साथ जितेन्द्र थे। वे अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म 'शहंशाह' में भी काम कर चुके हैं। फिल्म में वे मुख्तार सिंह के रोल में थे। प्रवीण ने चाचा चौधरी सीरियल में साबू का रोल भी निभाया है।
एक इंटरव्यू में प्रवीण कुमार ने माना था कि भीम के रोल की वजह से लोग लाइन में लगकर उनके पैर छूते थे और उनको बहुत सम्मान मिलता था। लेकिन इस वजह से वो टाइपकास्ट हो गए और उनको एक खास इमेज में बांध दिया गया था।
1998 तक लगातार फिल्मों और टीवी में सक्रिय रहने के बाद प्रवीण कुमार ने एक्टिंग से दूरी बना ली। लगभग 14 साल बाद 2012 में वे धर्मेश तिवारी के डायरेक्शन में बनी एक फिल्म भीम में नजर आए थे। लेकिन फिर उन्होंने एक्टिंग को अलविदा कहकर राजनीति में कदम रखा।
प्रवीण कुमार ने रक्षा, गजब, हमसे है जमाना, हम हैं लाजवाब, जागीर, युद्ध, सिंहासन, नामोनिशान, खुदगर्ज, लोहा, दिलजला, शहंशाह, कमांडो, मालामाल, अग्नि, बीस साल बाद, प्यार मोहब्बत, इलाका, एलान-ए-जंग, आज का अर्जुन, नाकाबंदी, बेटा हो तो ऐसा जैसी फिल्मों में काम किया है।
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