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प्रशसंकों को खूब भाती थी अजहरुद्दीन की कॉलर चढ़ाकर खेलने की अदा, जानें किसने की थी इसकी शुरुआत
स्पोर्ट्स डेस्क. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मो. अजहरुद्दीन की क्रिकेट की दुनिया में एक लम्बी फैन फालोइंग है। अजहर भारतीय क्रिकेट की बल्लेबाजी के एक स्तम्भ माने जाते थे। अजहर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आते ही वंडर ब्वाय बनकर छा गए थे। लेकिन उनकी एक ऐसी स्टाइल थी जिसके उनके समर्थक दीवाने थे। अजहर जब मैदान पर उतरते थे तो उनके टी-शर्ट का कॉलर हमेशा चढ़ा रहता था। अजहर की ये स्टाइल प्रशसंकों को इतनी भाई को वह उसकी नकल करना शुरू कर दिए थे। आज हम आपको बताने का रहे हैं कि ये स्टाइल अजहरुद्दीन से भी पहले एक खिलाड़ी ने शुरू की थी।
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आज की युवा पीढ़ी उठे हुए कॉलर वाले लुक को अजहरुद्दीन का अपना खास स्टाइल मानती है, लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ और ही है। दरअसल, अजहर से पहले हैदराबाद के ही एक और मशहूर क्रिकेटर को चढ़े हुए कॉलर के साथ क्रिकेट खेलते देखा जा चुका था।
हम बात कर रहे हैं 1959-1971 के दौरान भारत के लिए 39 टेस्ट खेल चुके एमएल जयसिम्हा की। जयसिम्हा की बैटिंग स्टाइल और टाई बांधने का अंदाज बेहद फेमस था। जयसिम्हा भी अपने कॉलर को चढ़ाकर मैदान पर उतरते थे। मैदान पर कवर ड्राइव लगाने की उनकी शैली ऐसी थी कि लोग उसके दीवाने थे। कुछ जानकार इंडियन क्रिकेट में कलाई के सहारे शॉट खेलने की कला को जयसिम्हा की ही देन मानते हैं। विनम्रता, गर्मजोशी और उदारता के लिए वह हैदराबाद के कई क्रिकेटरों के लिए एक बड़ी प्रेरणा थे, जिनमें मोहम्मद अजहरुद्दीन भी शामिल थे, जिन्होंने जय की कई चीजों की नकल की थी।
एमएल जयसिम्हा के कलाई के स्ट्रोक प्ले को बाद में मोहम्मद अजहरुद्दीन और वीवीएस लक्ष्मण जैसे शानदार क्रिकेटर्स ने हूबहू कॉपी किया। यूं कहा जा सकता है कि उनकी अद्भुद कलाई स्ट्रोक प्ले को अजहर और लक्ष्मण जैसे उत्तराधिकारी मिले।
2016 में एक इंटरव्यू के दौरान जब अजहरुद्दीन से कॉलर चढ़ाकर मैदान पर उतरने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था, 'प्वाइंट पर फील्डिंग करने के दौरान धूप लगने से मेरी गर्दन की त्वचा में समस्या होती थी. इसलिए मैंने खुद को इससे बचाने के लिए कॉलर को उठाने का फैसला किया जो बाद में आदत बन गई।'
महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी जयसिम्हा से बहुत ज्यादा प्रभावित थे और उन्हें अपना हीरो मानते थे। बताया जाता है गावस्कर ने अपने बेटे रोहन को शुरुआत में 'रोहन जयविश्वा' नाम दिया था। गावस्कर ने यह नाम अपने तीन फेवरेट खिलाड़ियों को जोड़कर बनाया था, जिसमें रोहन कन्हाई, एमएल जयसिम्हा और गुंडप्पा विश्वनाथ जुड़े हुए थे।