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किसी ने पिता से सीखा खेल तो किसी ने आटो चलाकर पूरा किया बेटे का सपना, ऐसा है 9 खिलाड़ी का अपने पापा से रिश्ता
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पान सिंह धोनी
एमएस धोनी के पिता मेकॉन में जूनियर मैनेजर के तौर पर काम करते थे। उनका पूरा परिवार रांची के एक छोटे से मकान में रहता था, लेकिन पिता ने अपने बच्चों के लिए किसी चीज की कमी नहीं होने दी। धोनी के रेलवे की नौकरी छोड़ने के बाद भी उन्होंने उनका पूरा सपोर्ट किया।
प्रेम कोहली
विराट कोहली अपने पिता प्रेम कोहली से बेहद करीब थे। 2006 में अंडर 19 मैच के दौरान उनके पिता का निधन हो गया था। लेकिन उन्होंने पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद दोबारा मैदान पर आकर उनका सपना पूरा किया। उनके पिता एक क्रिमिनल वकील के रूप में काम करते थे। अपने पापा के लिए विराट कहते हैं कि, मेरे पिता मेरा सबसे बड़ा सहारा थे। वह वही थे जिन्होंने मुझे हर दिन प्रैक्टिस करने के लिए मोटिवेट किया। मुझे कभी-कभी उनकी बहुत याद आती है।
मोहम्मद गौस
एक और खिलाड़ी ने मैच के दौरान अपने पिता को खो दिया था। पिछले साल इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले मोहम्मद सिराज के पिता का निधन भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान हो गया था। सिराज अपने पिता को आखिरी बार देख भी नहीं पाए थे। लेकिन, उन्होंने अपने खेल से अपने पिता का नाम रोशन किया। बता दें, कि उनके पिता ऑटो चलाया करते थे और दिन-रात एक कर बेटे के लिए महंगी किट का इंतजाम किया था।
त्रिलोक चंद रैना
सुरेश रैना के पिता एक रिटायर आर्मी ऑफिसर हैं जो जम्मू और कश्मीर राज्य के रैनावाड़ी के रहने वाले हैं। रैना को उनके पिता प्यार से सोनू बुलाते हैं।
गुरुनाथ शर्मा
रोहित के पिता एक ट्रांसपोर्ट फर्म के स्टोरहाउस में केयरटेकर का काम करते थे। उनके पिता की कम आय के कारण मुंबई के बोरीवली में उनके दादा-दादी और चाचाओं ने उनका पालन-पोषण किया। हालांकि, उनके पिता हमेशा उनके लिए सपोर्ट करते रहें और बेटे को एक सफल क्रिकेटर बनाने में अहम रोल निभाया।
रमेश तेंदुलकर
सचिन के पिता एक प्रसिद्ध मराठी उपन्यासकार थे। उनका निधन 1999 क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान हुआ था। सचिन जब अपने पिता का अंतिम संस्कार कर वर्ल्ड कप में वापस लौटे, तो उन्होंने अगले ही मैच में शतक बनाया और इस शतक को अपने पिता को डेडीकेट किया।
योगराज सिंह
युवराज सिंह के पिता एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं। अपने करियर में उन्होंने दाएं हाथ के तेज-मध्यम गेंदबाज के रूप में भारत के लिए 1 टेस्ट और 6 वनडे मैच खेले। चोट के कारण उनका करियर खत्म हो गया, जिसके बाद उन्होंने अपने बेटे को सफल क्रिकेटर बनाने का सोचा और उन्हें शुरुआती ट्रेनिंग दी।
लोकेन्द्र सिंह चाहर
दीपक चाहर के पिता एयरफोर्स में नौकरी किया करते थे। वह बचपन में एयरफोर्स कॉम्पलेक्स में अपने बेटे को क्रिकेट खिलाने ले जाया करते थे। हालांकि कुछ समय बाद उनका ट्रांसफर हो गया। बेटे को ट्रेनिंग देने के लिए वह नौकरी छोड़कर परिवार के पास आगरा आ गए और उन्होंने अपने बेटे दीपक के साथ ही अपने भाई के बेटे राहुल चाहर को भी ट्रेनिंग दी।
हिमांशु पंड्या
इस साल भारतीय टीम के ऑलराउंडर हार्दिक और क्रुणाल पंड्या के पिता हिमांशु पंड्या का निधन हो गया था। हिमांशु हमेशा से ही अपने बच्चों को एक सफल क्रिकेटर बनाना चाहते थे। लेकिन जब हार्दिक 5 साल के थे, तो उनके पिता का काम-धंधा चौपट हो गया था। पूरा परिवार एक टाइम के खाने के लिए भी मोहताज हो गया था। ऐसे में पिता पैसे बचा-बचाकर हार्दिक और क्रुणाल को क्रिकेट की कोचिंग दिलवाने ले जाते थे।