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नीलामी के बाद भी एक खिलाड़ी पर करोड़ों खर्च करती है फ्रेंजाइजी, सबसे खराब टीम पर भी होती है पैसों की बारिश
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आईपीएल से होने वाली कमाई या खर्चों को लेकर अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि इस लीग में इतनी पैसों की बारिश कहा से होती है और एक खिलाड़ी पर कितना पैसा खर्च किया जाता है?
बहुत से लोग यह नहीं समझ पाते हैं कैसे आईपीएल फ्रेंचाइजी करोड़ों रुपए में स्टार खिलाड़ियों को खरीदती हैं और उनको कैसे कमाई हो रही है।
बता दें कि आईपीएल की फ्रेंजाइजी द्वारा खरीदे गए खिलाड़ियों का पूरा खर्चा टीम के मालिक ही उठाते हैं। उनकी लैविश लाफस्टाइल, पार्टीज, खाने-पीने का 1-1 रुपये
फ्रेंजाइजी ओनर को ही चुकाना पड़ता है।
इतना ही नहीं टीमों को आईपीएल की फ्रेंचाइजी बनने के लिए बीसीसीआई को भारी कीमत तो देनी पड़ती है। साथ ही हर साल अपनी कमाई का 20 फीसदी हिस्सा ये टीमें बीसीसीआई को देती हैं।
अब सवाल उठता है कि टीमें ये पैसा लाती कहा से हैं? इसके लिए फ्रेंजाइजी बड़ी कंपनियों से करार करती है और इसके लिए उनके ब्रांड को अपनी टीम की जर्सी और बैट पर जगह देती है। टीम के खिलाड़ी भी इन कंपनियों के लिए एड करते हैं।
लोग सिर्फ आईपीएल को एक घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट मानते है, लेकिन इसे बिजनेस बढ़ाने के लिए भी डिजाइन किया गया है। इसमें बड़े-बड़े इंवेस्टर्स और बैंड्स को आकर्षित किया जाता है, जो इसमें पैसा लगाती है।
आईपीएल में बीसीसीआई की सबसे ज्यादा कमाई ब्रॉडकास्टिंग राइडट्स और स्पॉन्सर से होती है। ब्रॉडकास्टिंग राइट का मतलब है कि आईपीएल में खेले जााने वाले मैचों का टेलीकास्ट किस टीवी चैनल पर होगा। आईपीएल के प्रसारण के लिए बीसीसीआई और स्टार के बीच कुल 16 हजार करोड़ रुपये का करार हुआ था।
आईपीएल की 60 फीसदी कमाई स्पॉन्सर से होती है। स्पॉन्सर में मुख्य तौर पर टाइटल स्पॉन्सर, मैन ऑफ द मैच स्पॉन्सर और मैच से जुड़े हुए बाकी अवॉर्ड के स्पॉन्सर होते हैं।
मैच के दौरान स्टेडियम में टिकट बिक्री से भी फ्रेंचाइजी की कमाई होती है। टिकट का दाम टीम मालिक तय करते हैं। IPL टीम के रेवेन्यू में टिकट का हिस्सा करीब 10 फीसदी है। हालांकि पिछले साल कोरोना की वजह से दर्शकों को स्टेडियम में आने की अनुमति नहीं दी गई थी, जिससे टीमों को काफी नुकसान हुआ था।