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Vinod Kambali: रातों-रात मिली सफलता ने खराब कर दिया इस खिलाड़ी का दिमाग, लगातार खेलते तो होते सचिन से आगे
भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटरों में शुमार रहे विनोद कांबली (Vinod Kambli) बुधवार को अपना 50वां जन्मदिन मना रहे हैं।
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पूर्व भारतीय क्रिकेटर और सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के बचपन के दोस्त विनोद कांबली (Vinod Kambli) का जन्म 18 जनवरी, 1972 को बॉम्बे (अब मुंबई) के इंदिरा नगर में हुआ था। उनका पूरा नाम विनोद गणपत कांबली है।
विनोद कांबली की काबिलियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने केवल 21 साल की उम्र में ही शुरुआती 7 टेस्ट मैचों में ही 2 दोहरे शतक और 2 शतक जमा दिए थे।
सचिन के साथ स्कूल क्रिकेट में बनाया रिकॉर्ड
विनोद कांबली ने सचिन के साथ मिलकर स्कूल क्रिकेट में रिकॉर्ड बनाया था। दोनों ने शारदाश्रम स्कूल की तरफ से खेलते हुए सेंट जेवियर के खिलाफ खेलते हुए तीसरे विकेट के लिए 664 रन की रिकॉर्ड साझेदारी की थी। इस साझेदारी में कांबली के नाबाद 349 रन थे। उस समय कांबली की उम्र 17 साल थी और सचिन की 16 साल।
विनोद कांबली साल 1989 में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया था। उन्होंने रणजी ट्रॉफी की अपनी पहली ही गेंद पर छक्का मारकर शुरुआत की थी। सचिन तेंदुलकर ने साल 1988 में रणजी ट्रॉफी डेब्यू किया था।
विनोद कांबली ने अपना पहला टेस्ट मैच साल 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता में खेला था। सचिन को साल 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट डेब्यू का मौका मिला था।
विनोद कांबली टेस्ट क्रिकेट में तीसरे सबसे कम उम्र में दोहरा शतक जमाने वाले क्रिकेटर हैं। टेस्ट क्रिकेट में पहला दोहरा शतक जमाते वक्त उनकी उम्र 21 साल और 32 दिन थी।
विनोद कांबली टेस्ट मैचों में चौथे सबसे तेज 1000 रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। वे केवल 14 पारियों में ही 1000 रनों के आंकड़े तक पहुंच गए थे।
विनोद कांबली सबसे अधिक पारियां (टेस्ट, वनडे और टी 20) खेलने के बाद पहली बार शून्य पर आउट होने वाले बल्लेबाजों की सूची में 7वें नंबर पर हैं। वे शुरुआती 59 पारियों के बाद शून्य पर आउट हुए थे।
विनोद कांबली ने अपने क्रिकेट करियर में 104 वनडे और 17 टेस्ट मैच खेले थे। दोनों फॉर्मेट में उनके रिकॉर्ड कुछ इस प्रकार हैं:
वनडे-
मैच- 104
रन- 2,477
उच्च- 106
शतक- 2
अर्धशतक- 14
औसत- 32.59
टेस्ट-
मैच- 17
रन- 1,084
उच्च- 227
दोहरे शतक- 2
शतक- 4
अर्धशतक- 2
औसत- 54.20
आंकड़े के लिहाज से देखा जाए तो विनोद कांबली एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज नजर आते हैं। लेकिन इसके बावजूद उनका टेस्ट करियर केवल दो साल में ही खत्म हो गया। इसके पीछे बड़ी वजह थी उनकी अनुशासनहीनता और रातों-रात मिली स्टारडम को न संभाल पाना।