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बाबा रामदेव का नुस्खा- नथुनों में लगाएं सरसों का तेल छूमंतर हो जाएगा कोरोना, जानें कितना असरकारक?
नई दिल्ली. योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना की टेस्टिंग और इलाज को लेकर चौंकाने वाली दावे किए हैं। ये सभी दावे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। पहला तो यह की 30 सेकंड तक सांस रोकना कोविड-19 के लिए एक स्व - परीक्षण का तरीक़ा हो सकता है और दूसरा यह की सरसों का तेल नाक पर लगाने से वह वायरस को पेट में ले जाता है जहां एसिड वायरस को ख़त्म कर देता है। कुछ लोग बाबा रामदेव के इन दावों को सही मान रहे हैं तो वहीं इन दावों पर सवाल भी उठे हैं। क्या वाकई सांस रोकने से कोविड-19 की जांच की जा सकती है? और क्या नथुनों में सरसों का तेल डालना वायरस मारने में सक्षम है?
फैक्ट चेकिंग में आइए हम आपको बताते हैं कि रामदेव बाबा के कोरोना इलाज को लेकर (Baba Ramdev Coronavirus Cure Fact Check) ये नुस्खे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कितने फिट बैठते हैं?
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सोशल मीडिया पर बाबा रामदेव के ये नुस्खे काफी शेयर किए जा रहे हैं। रामदेव ने यह दावें आज तक के इ- अजेंडा में 25 अप्रैल 2020 को एक 24 मिनट लंबे वीडियो में किए। रामदेव कोविड-19 के 'सेल्फ़ - टेस्ट' की बात करते हैं। वह कहते हैं की अगर एक व्यक्ति किसी भी बीमारी के साथ या बिना 30 सेकंड या 1 मिनट तक अपनी सांस रोक सके और उनकी सांस ना फूले तो वो स्व-परीक्षण कर रहे हैं की वह कोविड-19 से संक्रमित नहीं है।
उन्होंने वीडियो में इसका प्रदर्शन करके भी दिखाया। वीडियो के छठे मिनट में रामदेव कहते हैं की सरसों के तेल की बूँदे नाक पर लगाने से, वह कोरोनावायरस को रेसपीरेटरी सिस्टम (स्वास प्रणाली) के मार्ग से पेट में धकेल देता है और पेट में मौजूद एसिड वायरस को ख़त्म कर देते हैं।
फ़ैक्ट चेक
रामदेव बाबा ने यह दोनों ही दावें एक न्यूज चैनल के साथ एक इंटर्व्यू में 25 अप्रैल को किए। आइए जानते हैं कि वैज्ञानिक रूप ये कितने असरकारक हैं?
पहला दावा : सांस रोकना कोरोनावायरस के लिए एक टेस्ट है, कोई भी शख्स घर पर बैठे ही सांस रोक कर कोरोना की जांच कर सकता है। इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने डॉक्टर से संपर्क किया। डॉक्टर एम्स की डॉक्टर भारती ने कहा "इस थियरी का समर्थन करने के लिए किसी प्रकार की कोई खोज नहीं हुई है। कोरोनावायरस का होना या ना होना केवल आर टी-पी सी आर टेस्ट से पता किया जा सकता है।"
इसी दावे का पर्दाफ़ाश ए एफ पी ने भी किया था जब सोशल मीडिया पर इस कोविड-19 के स्व-परीक्षण की वकालत की जा रही थी। जिन वैज्ञानिकों ने ए एफ पी से बात की उन्होंने कहा की इस सांस लेने की तकनीक से फ़ायब्रोसिस का पता लगाना मुमकिन नहीं है क्यूँकि फ़ायब्रोसिस काफ़ी सालों तक क्रॉनिक एक्सपोजर से होता है और यह कोविड- 19 जितना जल्दी नहीं होता।
विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार कोविड-19 के लक्षणों में बुखार, सूखी ख़ासी और थकान शामिल है। कुछ पेशंट्स को दर्द, नाक में रूकावट, खारा गला या दस्त भी हुए हैं। पांच में से एक पेशंट को सांस लेने में मुश्किल होती पायी गयी है।
दूसरा दावा : सरसों का तेल कोरोनावायरस को पेट में धकेल देता है जहां पेट के एसिड उसे ख़त्म कर देते हैं। पेट में गैस्ट्रिक एसिड के रूप में हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड मौजूद होता है किंतु इस बात का कोई सबूत नहीं है की यह सार्स-सीओवी-2 को ख़त्म करते हैं। और तो और सरसों के तेल का कोरोनावायरस पर असर भी अभी तक खोजा नहीं गया है।
डॉक्टर ने कहा की ऐसी कोई भी खोज नहीं हुई है जो सरसों या किसी भी अन्य तेल का सार्स सीओवी-2 पर असर बताए। एक रीसर्च अध्ययन हुआ तो है जो सरसों के तेल के फ़ायदे बताता है किंतु उसका कोविड-19 पर असर बताने वाली कोई खोज अब तक नहीं हुई है।
सरसों का तेल पाचन में, कैन्सर का ख़तरा कम करने में, शरीर का तापमान सही रखने में मदद करता है। इसमें एंटीबैक्टीरीयल और एंटीफ़ंगल प्रॉपर्टीज़ होती हैं। यह रेड ब्लड सेल्ज़ को सशक्त बनाता है, कोलेस्ट्रोल ठीक रखता है और डाइबीटीज़ को कम करने में मदद करता है। पर कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से इसके इलाज का दावा नहीं किया जा सकता है।
आपको बता दें कि कोरोना के चर्चा में आने के बाद सोशल मीडिया पर पूरी दुनिया में सांस रोक कर जांच करने वाली अफवाह फैली थी। बहुत सी फैक्ट चेक साइट्स ने इसपर जांच पड़ताल इसे गलत साबित किया था। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे गलत तरीका बताकर इसे खारिज किया था।
ये निकला नतीजा
बाबा रामदेव के दोनों दावों की फैक्ट चेकिंग के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सांस रोकने से कोरोना की जांच नहीं की जा सकती है बल्कि ये जानलेवा हो सकता है। इस पर भरोसा करके लोग अपनी जान जोखिम में डाल सकते हैं। कोरोना की जांच के लिए टेस्ट किट बनवाई जा चुकी हैं। वहीं सरसों के तेल से कोरोना इलाज संभव नहीं है।