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क्या गलवान घाटी में मनाई गई गणेश चतुर्थी? ढोल-ताशे पर झूमते जवानों का वीडियो हुआ वायरल, जानें पूरा माजरा?
फैक्ट चेक डेस्क. कुछ महीने पहले भारत और चीन के बीच शुरू हुआ सीमा-विवाद अभी थमा नहीं है। चीन सीमा पर गलवान घाटी में अब भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। दूसरी तरफ, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें भारतीय जवान ढोल-ताशे बजाकर जश्न मनाते हुए नजर आ रहे हैं। जश्न मनाते जवानों के साथ एक ट्रक के ऊपर गणपति बप्पा की मूर्ति भी रखी दिख रही है। कहा जा रहा है कि ये वीडियो गलवान घाटी का है और इस तरह भारतीय जवानों ने गणेशोत्सव मनाया। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर वीडियो की सच्चाई क्या है?
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वायरल पोस्ट क्या है?
इस वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर ने कैप्शन में लिखा, “गलवान घाटी, लद्दाख में गणपति बप्पा! जय हिंद, ऊर्जा से भरे हमारे जवानों को सलाम!” फेसबुक पर यह दावा खूब वायरल कर रहे हैं।
फैक्ट चेक
फैक्ट चेकिंग में हमने पाया कि यह दावा भ्रामक है। ये वीडियो कम से कम एक साल पुराना है और कारगिल के पास स्थित ‘शिंगो नदी घाटी’ का है।
इस साल कोरोना महामारी के चलते कोई भी आयोजन बेहद सावधानी के साथ हो रहा है, लेकिन इस वायरल वीडियो में सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर, कोई भी जवान मास्क तक लगाए नहीं दिख रहा है।
दूसरी बात, गलवान घाटी के मौजूदा हालात तनावपूर्ण हैं, इसलिए ये वीडियो हाल-फिलहाल का होने में संदेह है। हमने पाया कि वीडियो में एक बैनर नजर आ रहा है, जिस पर ‘शिंगो रिवर वैली’ लिखा हुआ है।
शिंगो नदी घाटी कारगिल के पास स्थित है और गलवान घाटी से तकरीबन 230 किलोमीटर दूर है। हमने इनविड टूल की मदद से वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च किया और पाया कि ये वीडियो 17 सितंबर, 2019 को ‘शिंगो नदी घाटी में भारतीय सेना ने की गणेश पूजा’ कैप्शन के साथ यूट्यूब पर अपलोड किया गया था।
पिछले साल गणेश चतुर्थी 2 सितंबर को मनाई गई थी और गणेश विसर्जन 12 सितंबर को हुआ था। यूट्यूब पर मिले वीडियो को अपलोड करने की तारीख 17 सितंबर भी 12 सितंबर के करीब ही है। संभवत: ये वीडियो पिछले साल का हो सकता है।
ये निकला नतीजा
इस तरह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ये वीडियो गलवान घाटी का नहीं, बल्कि कारगिल के पास स्थित शिंगो नदी घाटी का है और कम से कम एक साल पुराना है। इस बार 1 सितंबर, 2020 को विसर्जन के साथ गणपति बप्पा को विदा किया जाएगा। कोरोना महामारी को देखते हुए इसके लिए विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नियम बनाए गए हैं।