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'कांग्रेस विधायक ने नर्स से जबरन धुलवाए मौलाना के पैर'...तस्वीर से मचा बवाल, जानिए सच क्या?
नई दिल्ली. कोरोना आपदा के कारण देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। इस बीच डॉक्टर और पुलिस पर हमलों की खबरें भी लगातार सामने आ रही हैं। देश के कई क्षेत्रों में पुलिस और मेडिकल टीम पर मुस्लिम इलाकों में हमले किए गए हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर इन घटनाओँ को लेकर लोगों में गुस्सा है। तबलीगी जमात के बाद लोग किसी भी घटना को विशेष समुदाय से जोड़कर शेयर कर रहे हैं। हाल में एक नर्स की तस्वीर वायरल हो रही है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि, कांग्रेस के एक विधायक ने जबदस्ती नर्स से मस्जिद के इमाम के पैर धुलवाए।
तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। लोगों में गुस्सा है लेकिन सच कोई नहीं जानता। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है?
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कई ट्विटर यूज़र्स ने एक तस्वीर शेयर की है जिसमें एक नर्स दिख रही है जो कि एक शख्स के पैर धुल रही है। पैर धुलवाने वाले शख्स ने इस्लाम धर्म से जुड़ी हुई टोपी पहनी हुई है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई दावे देखने को मिले हैं जिनके अनुसार ये शख्स एक लोकल इमाम है। इस शख्स के आलावा बाकी सभी लोगों ने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ है। फोटो कई भाषाओं में शेयर की जा रही है।
वायरल पोस्ट क्या है?
चौकीदार शुभा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि, आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले से विधायक कांग्रेस के अब्दुल हफ़ीज़ खान ने एक नर्स से जबरन इमाम के पैर धुलवाए। उन्होंने ही नर्स को इमाम के पैर धोने का आदेश दिया था। फोटो शेयर कर शुभा ने पीएम मोदी और अमित शाह से विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
क्या दावा किया जा रहा है?
ये पोस्ट और तस्वीर कई भाषाओं में शेयर की जा रही है। ‘We Are With You Swamiji’ नाम के फ़ेसबुक पेज ने भी ये तस्वीर पोस्ट की है और तेलुगु भाषा में लिखे टेक्स्ट से यही दावा किया है।
दावा किया जा रहा है कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते कांग्रेस के एक मुस्लिम विधायक ने कोरोना वॉरियर्स की एक नर्स से मौलाना के पैर धुलवाए। ये बदसलूकी की तस्वीर सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की अपील की जा रही है।
सच क्या है?
गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें इस घटना की सच्चाई मालूम हुई। दरअसल हमें अब्दुल हफ़ीज़ के फ़ेसबुक पेज पर 23 अप्रैल का एक पोस्ट मिला जिसमें ये लिखा गया था कि सोशल मीडिया पर इस तस्वीर के साथ चल रहे दावे ग़लत हैं। अब्दुल हफ़ीज़ ने कहा, “ये तस्वीर मार्च में खींची गयी थी। हम रायलसीमा यूनिवर्सिटी में बने क्वारंटीन सेंटर में थे। वहां एक शख्स के पैर में चोट लग गयी थी और नर्स उसे अटेंड कर रही थी। हालात थोड़े गंभीर थे क्यूंकि जिसे चोट लगी थी वो डायबिटीज़ का मरीज़ था।”
उन्होंने ये भी बताया कि 5 अप्रैल को उन्होंने फैल रही इस ग़लत जानकारी के बारे में कुरनूल के वन टाउन पुलिस थाने में एफ़आईआर भी लिखवाई है। एफ़आईआर के मुताबिक़ इन अफ़वाहों की शुरुआत 5 अप्रैल से हुई। कुरनूल पुलिस ने भी इस ग़लत जानकारी के बारे में एक फ़ेसबुक पोस्ट पब्लिश किया था।
पुलिस के अनुसार, “तस्वीर में दिख रहे शख्स ने गलती से अपने ही पैर पर गेट बंद कर लिया और उसके पैर से काफ़ी खून बहने लगा था, वो डायबिटीज़ का मरीज़ था और खून नहीं रुक रहा था। इसलिये उसे एम्बुलेंस से GGH KNL भेजा गया। घाव गंभीर था और मरीज़ डायबिटिक था इसलिये सही उपचार की गैरमौजूदगी में उसे दिक्कत हो सकती थी। नर्स अपना काम कर रही थी और मरीज़ के खून को रोकने की कोशिश में लगी हुई थी। इस पूरी घटना में हिंदू और मुस्लिम वाला कोई एंगल नहीं है।”
ये निकला नतीजा-
सोशल मीडिया पर इस तस्वीर से जुड़े दावे ग़लत हैं जिनपर भरोसा नहीं करना चाहिए। तस्वीर में नर्स पैर धो नहीं रही बल्कि खून बहने से रोकने की कोशिश कर रही हैं।