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Fact Check: क्या अब MP सरकार में महिलाएं बेचेंगी शराब, जान लीजिए क्या है इस वायरल फोटो का सच

नई दिल्ली. महिलाओं के शराब बेचने को लेकर सोशल मीडिया पर लंबी बहस छिड़ी हुई है। ये बहस एक तस्वीर के कारण शुरू हुई है। दरअसल सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश में एक महिला अफसर को शराब बेचते दिखाते एक तस्वीर वायरल हो रही है। विपक्ष का दावा है कि एमपी की शिवराज सरकार महिलाओं को शराब बेचने ठेके पर बैठा रही है। इसका जमकर विरोध चल रहा है। कांग्रेस नेता रैली निकाल रहे हैं कि एमपी सरकार बेटियों से शराब बिकवाएगी ये हम होने नहीं देंगे। इसके साथ ही लोग सोशल मीडिया पर इसकी जमकर आलोचना कर रहे हैं। बहरहाल तस्वीर और इस मामले की पूरी कहानी जानने हमने जांच-पड़ताल की। पर अब फैक्ट चेकिंग में इस पूरी घटना की सच्चाई सामने आई है- 

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Asianet News Hindi
Published : Jun 16 2020, 03:54 PM IST| Updated : Jun 16 2020, 04:00 PM IST
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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

10 जून को मध्यप्रदेश स्टेट वुमन कमीशन की चेयरमैन शोभा ओझा ने ट्वीट कर लिखा, “मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शराब की बिक्री के लिए महिलाओं को ड्यूटी पर लगाने का शर्मनाक फ़ैसला नारी की अस्मिता, सुरक्षा और उसके सम्मान के खिलाफ है।”

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ये ट्वीट राज्य में सरकार द्वारा शराब की दुकानें चलाने के फैसले के संबंध में की गई है। दरअसल कोरोना वायरस महामारी के कारण शराब की बिक्री में गिरावट आई थी जिस वजह से 70 प्रतिशत दुकानदारों ने दुकानें खोलने से मना कर दिया थाॉ। इसके बाद राज्य सरकार शराब की दुकानें चलाने के लिए सामने आई थी। राज्य के एक्साइज़ डिपार्ट्मन्ट ने शराब की दुकानें खोलने और चलाने की प्रक्रिया पर निगरानी रखने काम हाथ में लिया है।

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क्या दावा किया जा रहा है? 

 

कांग्रेस सांसद ने शराब की दुकान पर बैठी खाखी वर्दी पहनी महिला अफ़सर की तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “यह तस्वीर लज्जित करती है, शराब बेचने को आतुर शिवराज सरकार ने अब महिलाओं को शराब की दुकानों पर बिठाकर हमारी बहन-बेटियों के प्रति अपनी घृणित और कुत्सित सोच का प्रदर्शन किया है।” 
 

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शराब की दुकानों पर महिला अफ़सरों को बिठाने का विरोध करते हुए 12 जून को कांग्रेस विधायक आरिफ़ मसूद ने शराब की दुकानों पर दूध के पैकेट बांटे थे।

 

उन्होंने कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, “#बेटियों से शराब बिकवाने के विरोध में शराब की दूकान पर विधायक आरिफ मसूद ने बाटें #दूध के पैकेट !” अन्य नेताओं ने भी तस्वीरें शेयर करके सवाल उठाए। 12 जून को पब्लिश की गई डेक्कन हेरल्ड की रिपोर्ट में भी मध्यप्रदेश सरकार पर महिला अफ़सरों से शराब की बिक्री करवाने का आरोप लगाया गया है।

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फ़ैक्ट-चेक

 

इस दावे की जांच की तो पाया कि ये दावा सरासर ग़लत है। पत्रिका की न्यूज़ रिपोर्ट को अगर आप ध्यान से देखें तो वीडियो में महिला अफ़सर प्रशासनिक काम करती हुई दिख रही है। वीडियो के साथ बताया गया है, “आबकारी महिला अधिकारी करवा रही काउंटिंग भोपाल में आज शाम खुल सकती हैं दुकान।” मामले की पूरी जानकारी भोपाल एक्साइज़ कंट्रोल रूम ने मीडिया को दी।

 

महिला अफ़सर के डिप्टी कंट्रोलर अतुल दुबे बताया, “ये बात कहना कि महिलाएं शराब बेचने के काम में शामिल हैं, ग़लत होगा। ज़्यादातर कॉन्ट्रैक्टरों ने अपने टेंडर्स छोड़ जिए हैं जिस कारण एक्साइज़ अफ़सर को शराब की दुकानें चलाने का काम दिया गया है। इस काम के लिए चुनी गई सभी महिलाओं का काम सिर्फ़ निगरानी रखने का है। ये काम बिना किसी पक्षपात के एक्साइज़ अफ़सरो को दिया गया है जो कि उनका कर्तव्य भी है।”

 

उन्होंने ये बात भी स्पष्ट की कि जिस सरकारी फ़रमान पर तारीख दी गई है वो सही है जबकि दूसरा फ़रमान ग़लत है। उन्होंने आगे बताया कि जब एक बार टेन्डर का मसला सुलझ जाएगा तो एक्साइज़ अफ़सर को शराब की दुकानों पर काम करने की ज़रूरत नहीं होंगी।

 

इसके अलावा हम स्वतंत्र रुप से बिना तारीख वाले सरकारी ऑर्डर के बारे ज़्यादा कुछ पता नहीं लगा पाए हैं। ये बात गौर करने लायक है कि दोनों डॉक्युमेंट्स एक जैसे ही दिखाई दे रहे हैं।

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हमें वायरल तस्वीर में दिखने वाली महिला अफ़सर की कुछ और तस्वीरें भी मिलीं। इसे देखने पर कहीं भी ये नहीं लग रहा है कि ये महिला अफ़सर शराब की बिक्री का काम कर रही है। नीचे दिए गए तस्वीरों के कोलाज में बाईं ओर की तस्वीर में महिला अफ़सर डेस्क पर बैठकर कुछ काम करती हुई दिखाई दे रही हैं जबकि दाईं ओर की तस्वीर में महिला अफ़सर को दुकान के काउन्टर से काफ़ी दूर खड़े हुए देखा जा सकता है। इसके अलावा, दाईं ओर की तस्वीर में एक व्यक्ति काउन्टर पर शराब की बिक्री करता हुआ दिख रहा है।

 

दुबे ने आगे बताया, “ये काफ़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि अपनी ड्यूटी कर रही महिला एक्साइज़ अफ़सर की तस्वीर शेयर कर झूठा दावा फैलाया जा रहा है कि वो महिला अफ़सर शराब बेचने का काम कर रही है। ये बात सभी को समझनी चाहिए कि बिना किसी भेदभाव के हमारे सारे अफ़सरों को अपना काम करने के लिए ट्रेन किया जाता है। तस्वीर में दिखने वाली अफ़सर पिछले कई दशकों से देश के लिए काम कर रही है। महिला अफ़सरों को कई बार रेड करने या किसी बड़े क्राइम के केस को हैन्डल करने के लिए कहा जाता है।”

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ये निकला नतीजा 

 

एमपी स्टेट वुमन कमीशन की चेयरमैन शोभा ओझा और एमपी कांग्रेस द्वारा किया गया दावा कि महिला अफ़सरों को शराब की दुकानों पर बिक्री करने के लिए बिठाया गया है, भ्रामक है। इसके अलावा ये दावा सेक्सिस्ट (महिलाओं के लिए अपमानजनक) भी है। 
 

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