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उत्तर प्रदेश में SC/ST/OBC आरक्षण पूरी तरह खत्म ? खोखला है फेसबुक पर वायरल इस पोस्ट का दावा
फैक्ट चेक डेस्क. OBC SC ST reservation ended in UP: यूपी में कथित रूप से आरक्षण को समाप्त करने की पोस्ट वायरल हो रही है। इसके साथ ही कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि जनरल कैटेगरी में आरक्षित कैटेगरी का अभ्यर्थी लाभ नहीं ले सकता है। इस पोस्ट को फेसबुक पर वायरल किया जा रहा है। पिछड़े समाज के खिलाफ बेहद आक्रामक बातें लिखकर लोग इसे शेयर कर रहे हैं। फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई और कितना खोखलापन है?
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वायरल पोस्ट में बेहद बेवुनियादी बातें लिखी हैं गई हैं। किसी भी आरक्षित वर्ग को रेलवे में सफ़र, बसो में सफ़र, फ़िल्म, होटल बुकिंग में किसी भी तरह की छूट या रिजर्वेशन नहीं मिलता है। भारत में जातिव्यवस्था समाज और लोगों के दिमाग में बहुत गहरे तक धंसी हुई। गरीब समुदाय अभी पूरी तरह गरीबी और लाचारी से ऊपर उठ भी नहीं पाया है ऐसे में सरकार का किसी तरह आरक्षण को खत्म का विचार नहीं है। देश के संपूर्ण विकास, प्रगति और उन्नति के लिए आरक्षण जैसी व्यवस्थाएं पिछड़े समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए हैं इससे किसी सवर्ण समाज का हक़ नहीं मारा जाता है।
वायरल पोस्ट क्या है?
साल 2017 का इस वायरल फेसबुक मैसेज में लिखा था- बधाई हो OBC/SC/ST को उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना जहाँ पर आरक्षण को पूर्ण रूप से हटा दिया गयe, उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना जहां पर आरक्षण को पूर्ण रूप से हटा दिया गया सरकारी नोकरी हो या पढाई सभी में आरक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त घोषित कर दिया गया है। पूरी पोस्ट आप ऊपर फोटो में पढ़ सकते हैं
फैक्ट चेक
यूपी में कथित रूप से आरक्षण के खत्म करने के दावे की सच्चाई जानने का हमने फैसला किया। सबसे पहले हमने यूपी में इसको गूगल में सर्च किया। हमें ऐसी कोई भी खबर नहीं मिली, जिसमें आरक्षण के समाप्त होने की पुष्टि होती हो। हमें जनसत्ता डॉट कॉम की एक खबर मिली। इस खबर के अनुसार, आरक्षण कोटे को जातियों के बीच बांटने की खबर दी गई है। ये खबर 18 अगस्त, 2019 की है।
इस खबर से ये साफ होता है कि यूपी में आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। इसके साथ ही कई और विश्वसनीय मीडिया हाउसों की खबरें देखने के बाद पता चलता है कि यूपी में आरक्षण जारी है। इसके साथ हमें पता चला कि देश के किसी भी दूसरे राज्य से भी आरक्षण को नहीं हटाया गया है।
दूसरे दावे में कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि सामान्य कैटेगरी में आरक्षित कैटेगरी का अभ्यर्थी लाभ नहीं ले सकता है। इस फैसले को भी हमने गूगल पर सर्च किया, लेकिन हमें दिल्ली हाईकोर्ट का ऐसा कोई फैसला नहीं मिला।
इसके बाद हमें ऐसा ही फैसला मिला, जो कि सुप्रीम कोर्ट ने लिया था। जागरण डॉट कॉम की एक खबर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है कि अब आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को आरक्षित वर्ग में ही नौकरी मिलेगी, चाहे उसने सामान्य वर्ग के कैंडिडेट से ज्यादा अंक क्यों न हासिल किए हों। यानी कि वो सामान्य कैटेगरी में समायोजित नहीं हो सकेगा।
जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस एएम खानविलकर की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि एक बार आरक्षित वर्ग में आवेदन कर उसमें छूट और अन्य रियायतें लेने के बाद कैंडिडेट आरक्षित वर्ग के लिए ही जॉब का हकदार होगा। उसे समान्य वर्ग में समायोजित नहीं किया जा सकता। ये खबर 23 अप्रैल, 2017 को पब्लिश की गई थी।
ये निकला नतीजा
हमारी पड़ताल में ये पोस्ट फर्जी निकली है। यूपी में आरक्षण को समाप्त नहीं किया गया है। प्रदेश में आरक्षण का लाभ पहले ही की तरह लोगों को मिलता रहेगा। इसी के साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के द्वारा सामान्य वर्ग में आरक्षित वर्ग को लाभ नहीं मिलने को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इस वायरल पोस्ट में PM मोदी का नाम शामिल किया गया है जो कि पूरी तरह गलत और फर्जी है। पीएम ने आरक्षण खत्म करने की कोई घोषणा नहीं की है।