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2020 में देश में लागू होगा नया संविधान; RSS के खिलाफ दुष्प्रचार के तहत वायरल की गई फर्जी खबर
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) का नाम लेकर सोशल मीडिया पर एक दावा किया जा रहा है कि देश का संविधान बदला जा सकता है। वायरल पोस्ट में लिखा है कि नया संविधान 21 मार्च 2020 से लागू होगा, जो हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नया वर्ष होगा। ट्विटर फेसबुक पर भागवत के नाम के साथ ये पोस्ट जमकर वायरल हो रही है। पोस्ट को अब तक सैकड़ों लोगों ने शेयर किया है। तो आइए जानते हैं क्या वाकई मोहन भागवत ने देश में नए संविधान लागू करने की बात कही है................?
| Published : Jan 18 2020, 03:42 PM IST / Updated: Jan 18 2020, 03:43 PM IST
2020 में देश में लागू होगा नया संविधान; RSS के खिलाफ दुष्प्रचार के तहत वायरल की गई फर्जी खबर
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पोस्ट में संघ प्रमुख का नाम और तस्वीर लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। इसमें नए संविधान को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। जिनकी फैक्ट चेकिंग में पड़ताल की तो सारी पोल खुल गई।
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फेसबुक यूजर लकी आर्या ने भारत के नए संविधान के दावे को लेकर लिखा है, ”संघ का एजेंडा नया संविधान, लेकिन मैं इसको अपनाना तो दूर मैं थूकता हूं। मैं सिर्फ भारत के संविधान को मानता हूं। जय भीम, जय संविधान।”
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लकी की ये पोस्ट बाकी कई दूसरी जगह भी देखी गई। 900 से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को शेयर किया। पोस्ट में दावा किया जा रहा है देश में साल 2020 के मार्च महीने से नया संविधान लागू किया जाएगा जो हिंदू कैलेंडर के मुताबिक होगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत की तस्वीर भी पोस्ट में इस्तेमाल की गई है। जिसका मतलब है कि आरएसएस देश में नया संविधान लागू करवाने वाली है। हालांकि फैक्ट चेकिंग में पोस्ट फर्जी निकली।
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दरअसल फैक्ट चेकिंग में ये बात पूरी तरह गलत साबित हो गई। संघ प्रमुख भागवन ने हाल में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। वहीं RSS के खिलाफ दुष्प्रचार को लेकर जानबूझकर ये नया संविधान लागू करने की फर्जी खबर फैलाई गई है। वायरल पोस्ट में कई मनगढ़ंत बातों का जिक्र करते हुए लिखा गया है, ‘यह नए संविधान का संक्षिप्त रूप है। हालांकि पोस्ट में कई उट-पटांग चीजों को शामिल कर एक खाका तैयार दिखाया गया है। जैसे भारतीय संविधान को संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया था और इसे 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया। इसी वजह से 26 जनवरी को सालाना गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। वायरल पोस्ट में वोटिंग और शिक्षा के अधिकार, बोलने की आजादी, घूमने-फिरने की आजादी के अधिकार, सूचना का अधिकार आदि को लेकर भी भ्रामक बातें लिखी गई हैं। जबकि संविधान में बदलाव की कोई खबर मीडिया में नहीं आई है।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रांत के प्रवक्ता राजीव तुली ने संघ के एजेंडे के मुताबिक नया संविधान लिखे जाने को लेकर किए जा रहे दावे को दुष्प्रचार बताते हुए उन्होंने कहा, ‘यह सरासर झूठ है। जो देश का संविधान है, वह सर्वोपरि है। वायरल हो रही पोस्ट मनगढ़ंत और झूठी है।