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प्राचीन मंदिर को गिरजाघर बनाने के दावे से वायरल हुई तस्वीर, Fact Check में सामने आया सच
फैक्ट चेक डेस्क. NMSI's Christukula Ashram photo Fact Check: पूरे देश में कोरोना महामारी फैली है। ऐसे में लोग घरों में कैद हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफी शेयर की जा रही है। इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि ये एक मंदिर की फोटो है जिस पर जबरन ईसाई मिशनरियों ने कब्जा जमा लिया है। तमिलनाडु के अधियामन, रामनाथपुरम में ईसाई मिशनरियों ने हिन्दू मंदिर को तोड़कर उस पर क्रॉस लगा दिया है।
फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है?
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वायरल पोस्ट क्या है?
इस पोस्ट में लिखा है “#जानकारी_मिली_है_कि तमिलनाडु के अधियामन, रामनाथपुरम के सबसे पुराने हिन्दू मंदिर पर ईसाई मिशनरियों ने कब्जा करके कलश को तोड़कर उसकी जगह क्रॉस लगा दिया है।
ज्ञात हो कि तमिलनाडू अभी भी हिन्दू बहुसंख्यक है फिर भी म्लेक्षों ने ये दुःसाहस किया है। चलो आज हमसब जीवित लोग इस मंदिर को म्लेक्षों से मुक्त करने के लिए आवाज उठाते हैं……. आप सब भी ट्विटर पर लिखिए और सीधी कार्यवाही के लिए हिंदुओं को प्रेरित कीजिये। #restoretemple कॉपी/शेयर करने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है।”
इस पोस्ट के साथ एक फोटो भी है, जिसमें एक इमारत में ईसाइयों का पवित्र चिन्ह क्रास लगा हुआ है।
क्या दावा किया जा रहा है?
इस पोस्ट को 28 जून 2020 को शेयर किया गया था। इस पोस्ट को ‘देशभक्ति मेरा धर्म’ नाम के फेसबुक यूजर ने शेयर किया था। ट्विटर पर भी इस पोस्ट को शेयर किया जा रहा है। इस पोस्ट को ‘Mission Kaali – Say No To Conversion’ नाम के यूजर ने ट्वीट किया है। इस ट्वीट 1300 बार रीट्वीट किया जा चुका है जबकि 1400 लोग इसे लाइक कर चुके हैं।
फैक्ट चेक
धर्म से संबंधित मामला होने के कारण विश्वास न्यूज ने इस फोटो के पीछे के सच को जानने का फैसला किया। हमने सबसे पहले इसे गूगल सर्च किया तो हमें कोई खास जानकारी नहीं मिली। हालांकि हमने कीवर्ड्स को लेकर लगातार सर्च किया और हमें एक फेसबुक यूजर ‘Suresh & Grace Ministry Updates’ पर ऐसी ही फोटो मिलीं। इन फोटों पर लिखा NMSI’s Christukula Ashram @ Courtallam था। इस फोटो के कैप्शन हमें मिला कि ये चर्च म़ॉडल भारतीय शैली में बना हुआ है। ये कुट्रालम में स्थित बताया गया है। ये फोटो अक्टूबर, 2013 की हैं। इससे साफ पता चलता है कि ये इमारत काफी पहले बनी हुई है।
इसके बाद हमने NMSI को खोजने का फैसला किया। हमें पता चला कि इसका पूरा नाम नेशनल सोसाइटी मिशन ऑफ इंडिया है। इस पेज पर हमें मंदिर की शैली में बना एक और गिरजाघर मिला।
इस पोस्ट में लिखा है कि ये क्राइस्टुकुला आश्रम है जो कि तमिलनाडु के तिरुपत्तूर में स्थित है। नेशनल सोसाइटी मिशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी क्रिस्टोफर विजयन का कहना है कि, चैपल (छोटा गिरजाघर) तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले के कुट्रालम कस्बे में स्थित है। इसका निर्माण भारत शैली में 1963 में किया गया था। इसके साथ ही एक और आश्रम तमिलनाडु के तिरुपत्तूर में स्थित है। इसको भी भारतीय शैली में 1921 में बनाया गया था। उन्होंने कहा कि इसको मंदिर कहने का का दावा पूरी तरह फर्जी है। ये इमारत नेशनल सोसाइटी मिशन ऑफ इंडिया (एनएसएमआई) कुट्रालम के आश्रम में स्थित है।
ये निकला नतीजा
हमारी पड़ताल में ये पोस्ट फर्जी साबित हुई है। ईसाई मिशनरियों ने हिन्दू मंदिर को तोड़कर गिरजाघर नहीं बनाया है। ये ईसाई धर्म से संबंधित इमारत है जो कि भारतीय शैली में बनाई गई थी। ये इमारत तमिलनाडु के अधियामन, रामनाथपुरम में नहीं है बल्कि ये तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले के कुट्रालम कस्बे में स्थित है।