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शौर्य थी जिनकी पहचान..ऐसे शूरवीर Brigadier Lkhwinder Singh भी शहीद, 3 दिन पहले ही मिली थी शानदार खुशखबरी
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जांबाजी, वीरता, अदम्य साहस, के प्रतीक ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिद्दड़ अगले महीने ही मेजर जनरल पद पर नियुक्त होने वाले थे। जाबांजी और उनकी शानदार शख्सियत की वजह के चलते सेना में उनको कुछ ही दिन बाद प्रमोशन मिलने वाला था। लेकिन किस्मत और ऊपर वाले को शायद कुछ और ही मंजूर था। तभी तो देश ने एक जांबाज सैनिक एवं भविष्य का एक उत्तम सैन्य नेतृत्व खो दिया है।
ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह वैसे तो मूल रुप से दिल्ली के रहने वाले थे। लेकिन उनके दोस्त और अधिकतर रिश्तेदार हरियाणा के हिसार में रहते हैं। तीन दिन पहले ही वह अपनी पत्नी गीतिका व बेटी आसना के साथ गुरुग्राम आए थे। जहां उन्होंने अपने पूरे परिवार के साथ पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की बेटी की शादी अटेंड की थी। इसी दौरान उन्होंने अपने दोस्तों के साथ सेना में प्रेमोशन की बात शेयर की थी। लेकिन अब वही अभिमन्यु सिंह और उनके दोस्त जबांज ब्रिगेडियर की याद में आंसू बहा रहे हैं।
ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह के दोस्त मेजर सत्यपाल ने मीडिया से उनके व्यक्तित्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि लखविंदर जैसे नेक दिल और जबांज जवान मैंने नहीं देखा। वह टेंशन होने के बाद भी हमेशा हंसता-मुस्कुराता रहते थे। इतने हंसमुख मिलनसार एवं प्रतिभाशाली थे कि एक बार कोई उनसे मिले तो उन्हें भूल नहीं पाते थे। जम्मू एंड कश्मीर राइफल यूनिट के इस अफसर को उनके दोस्त टोनी के नाम से बुलाते थे।
बता दें कि ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह अक्सर दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान गरीब लोगों की मदद की थी। इतना ही नहीं उन्होंने कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार भी करवाया था। ब्रिगेडियर ने कजाकिस्तान सहित अन्य देशों में काम कर चुके हैं। उन्हें हमेशा ही चुनौतीपूर्ण कार्य करना पसंद था।
जनरल रावत तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित सैन्य स्टाफ कॉलेज के एक समारोह में हिस्सा लेने के लिए बुधवार सुबह दिल्ली से वायुसेना के विशेष विमान से सुलूर आर्मी बेस पहुंचे थे। सुलूर बेस पर वायुसेना के हेलिकॉप्टर में जनरल रावत और उनकी पत्नी व अन्य लोग सवार हुए थे। दोपहर करीब 12.20 बजे हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। रावत और उनकी पत्नी मधुलिका का पार्थिव शरीर गुरुवार शाम तक सैन्य विमान से दिल्ली लाया जाएगा। शुक्रवार को पति-पत्नी के शवों को उनके घर लाया जाएगा और सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद कामराज मार्ग से दिल्ली कैंटोनमेंट के बराड़ चौराहा श्मशान घाट तक अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। यहां अंतिम संस्कार होगा।