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शौर्य चक्र से सम्मानित बेटे का शव लेकर 2000KM चलेंगे बुजुर्ग माता पिता, अंतिम संस्कार में मुसीबत बना लॉकडाउन
गुरुग्राम. कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है। अब तक इस महामारी से दुनिया में 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई देशों ने इस संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए अपने देश में लॉकडाउन की घोषणा की है। भारत भी इस समय लॉकडाउन से गुजर रहा है। यही कारण है कि इस वक्त वतन की हर टीस और भी गहरी लग रही है। भारत मां का एक बेटा, जिसकी जांबाजी के किस्से देश के हालिया सन्नाटे पर भारी पड़ चुके हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं शौर्य चक्र विजेता कर्नल नवजोत सिंह बल की जिन्होंने कैंसर की वजह से इस दुनिया को अलविदा कह दिया। नवजोत महज 39 साल के थे।
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अब लॉकडाउन के कारण आर्मी अफसर के बुजुर्ग माता-पिता को अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने के लिए तकरीबन दो हजार किलोमीटर की लंबी सड़क यात्रा करनी पड़ रही है।
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नवजोत के माता-पिता यह सोच रहे हैं कि जिस अदम्य साहसी बेटे ने हर जंग जीती लेकिन कैंसर से जिंदगी की जंग को वह कैसे हार गया।
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लॉकडाउन ने इन माता-पिता की मजबूरी को और ज्यादा कठिन बना दिया है। बेटे का शव लेने इन्हें एक उम्र जितना ही दूर जाना पड़ रहा है।
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लेकिन यह एक बेटे का ही मोह है कि उम्र के इस पड़ाव में भी साहसी माता-पिता सड़क मार्ग से गुरुग्राम से बेंगलुरु जा रहे हैं ताकि बेटे का अंतिम संस्कार कर सकें।
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कोरोना वायरस की वजह से इन दिनों लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में नवजोत को लाने के लिए एयरक्राफ्ट की व्यवस्था भी नहीं हो सका।
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कर्नल नवजोत सिंह बल 2002 में सेना में शामिल हुए थे। उन्हें शौर्य चक्र भी मिल चुका है।बल इंडियन आर्मी में दो पैरा रेजिमेंट का हिस्सा थे। लगभग एक साल पहले उनमें एक दुर्लभ कैंसर का पता लगा था।
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