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बच्चे को गोरा बनाने के लिए प्रेग्नेंसी में खा रही हैं केसर, तो इस खबर पढ़कर हो जाएंगी सावधान
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भ्रूण में विकार
कहते हैं अति किसी भी चीज की बुरी होती हैं। प्रेग्नेंसी में तो इसका ज्यादा ही ख्याल रखने की जरूरत होती है। केसर ज्यादा खाने से गर्भ में पल रहे बच्चे में विकृति आ सकती है। शिशु में स्केलेटल विकृतियां ज्यादा देखी गई हैं।
प्रीमैच्योर डिलिवरी
तय मात्रा से ज्यादा केसर के सेवन करने से प्रीमैच्योर लेबर या फिर गर्भपात भी हो सकता है। पशुओं पर किए गए अबतक के शोध में यह बात सामने आई है कि केसर के ज्यादा सेवन से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर के बताए गए मात्रा के अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए।
गर्भपात की हो सकती हैं शिकार
एक रिसर्च के मुताबिक केसर गर्भाशय ग्रीवा को खोल सकता है। यह गर्भ में बच्चे को निकलने के लिए प्रेरित कर सकता है। चूहों पर किए गए अध्ययन से यह पता चलता है कि केसर का सेवन वक्त से पहले प्रसव करा सकते हैं। मतलब मिसकैरेज के भी चांसेज होते हैं। गर्भवास्था के अंतिम दिनों में केसर का सेवन सही होता है। लेकिन शुरुआत में केसर नहीं खाना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में क्या केसर नहीं लेना चाहिए?
डॉक्टर की मानें तो ऐसा नहीं है कि गर्भवती महिलाओं को केसर नहीं खाना चाहिए। लेकिन पहली तिमाही के बाद केसर का सेवन करना चाहिए वो भी
0.5 से लेकर 2 ग्राम तक केसर एक दिन में ले सकती हैं। केसर के सीमित मात्रा में लेने से यूट्रस में लचीलापन आता है। जिससे लेबर में हेल्प होती है। लेकिन ज्यादा मात्रा इसे नुकसान पहुंचा सकता है।
कब लेना चाहिए केसर
केसर को पांचवे महीने से लेकर सकती हैं। क्योंकि बच्चा गर्भ में मूव करने लगता है। जिसके बाद मिसकैरेज का खतरा कम होता है। प्रेग्नेंसी के अंतिम महीने में भी इसे खाना फायदेमंद होता है। लेबर में इससे मदद मिलता है।
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