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महज 23 गेंदों में जड़ दी प्रियम गर्ग ने अपने IPL करियर की पहली फिफ्टी, ऐसे संघर्षों में बीता था बचपन
दुबई. इसी साल की शुरुआत में अंडर-19 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की कप्तानी संभालने वाले प्रियम गर्ग के बल्ले से IPL में पहली बार खूब रन बरसे। प्रियम गर्ग ने चेन्नई सुपरकिंग्स के गेंदबाजों की जमकर खबर ली। प्रियम ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए महज 23 गेंदों पर शानदार फिफ्टी जड़ दी। प्रियम का आईपीएल में ये चौथा मैच था। जबकि उन्हें बैटिंग करने का मौक़ा दूसरी बार मिला था। बैटिंग पर उतरे गर्ग ने मुश्किल परिस्थितियों को संभालते हुए अपने IPL करियर की पहली फिफ्टी लगाई । वह अंत तक नाबाद रहे। उनकी इस फिफ्टी की बदौलत सनराइजर्स ने चेन्नई के सामने एक चुनौतीपूर्ण 165 रनों का टारगेट रखा है।
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जब प्रियम गर्ग बैटिंग पर उतरे तो सनराइजर्स की हालत कुछ अच्छी नहीं थी। 11वें ओवर में 69 के स्कोर पर सनराइजर्स ने कप्तान डेविड वॉर्नर के रूप में अपना तीसरा विकेट गंवाया था, जिसके बाद उनका स्थान लेने प्रियम गर्ग क्रीज पर आए थे।
डेविड वॉर्नर के आउट होने के बाद अगली ही गेंद पर सनराइजर्स के पिछले मैच की जीत के स्टार रहे केन विलियमसन (9) ने गर्ग को एक शॉट पर दौड़ने की आवाज दी। रन मुश्किल था तो गर्ग कुछ बाहर निकलकर रुक गए और उन्होंने विलियमसन को वापस भेजा। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और विलियमसन रन आउट हो गए।
एक बड़े खिलाड़ी के रन आउट होने का दबाव गर्ग ने अपने ऊपर नहीं बनने दिया और अपना स्वभाविक खेल खेलना शुरू किया। 23 गेंद में फिफ्टी पूरी करने वाले गर्ग ने इस पारी में 6 चौके और 1 छक्का जमाया। इसके अलावा उन्होंने 5वें विकेट के लिए अभिषेकशर्मा (31) के साथ 71 रन की उपयोगी साझेदारी भी की।
उन्होंने सैम करन के एक ओवर में लगातार 4 गेंदों पर 2 चौके फिर एक छक्का और फिर एक चौका जड़कर प्रशसंकों का खूब मनोरंजन किया।
उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले प्रियम निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। उनका जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा है। प्रियम ने 11 फर्स्ट क्लास मैचों में 814 रन बनाए हैं जिनमें दो दोहरे शतक शामिल हैं।
प्रियम जब 11 साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया था। ऐसे में पिता नरेश ने काफी विपरित परिस्थितियों में प्रियम की परवरिश की। नरेश बेहद गरीब थे और उस समय वे साइकिल पर घर-घर जाकर दूध बेचते थे।
दोपहर में स्कूल वैन चलाकर परिवार का पालन पोषण करते थे। प्रियम उस समय घर के आसपास की गलियों में क्रिकेट खेलते थे। इसी दौरान उनकी क्रिकेट में रूचि बढ़ी। एक दिन प्रियम ने अपने पिता से स्टेडियम जाकर क्रिकेट सीखने की जिद की।
पहले पिता ने खराब आर्थिक हालत के चलते प्रियम को मना कर दिया। लेकिन बाद में प्रियम को निराश देखकर उन्होंने कुछ इंतजाम किया और प्रियम के मामा की मदद से स्टेडियम में प्रवेश हासिल किया।