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यहां महिलाएं रावण की प्रतिमा को देखते ही डाल लेती हैं घूंघट, नाम तक नहीं लेतीं, करती हैं पूजा..उतारती हैं आरती
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300 से ज्यादा साल से होती है पूजा
नामदेव समाज पिछले 300 से ज्यादा वर्षों से दशानन रावण की पूजा करता आ रहा है। नामदेव समाज रावण की पत्नी मंदोदरी को अपनी बेटी मानता है। इस नाते समुदाय के लोग रावण को अपना जमाई मानते हैं और पूजा भी करते हैं। मंदसौर में नामदेव छिपा समाज के अध्यक्ष राजेश मेडतवाल बताते हैं कि रावण की पत्नी मंदोदरी नामदेव परिवार की ही बेटी थीं, इसलिए रावण को दामाद की तरह सम्मान दिया जाता है।
घूंघट में आती हैं महिलाएं
रावण यहां का दामाद है। इसलिए महिलाएं जब भी प्रतिमा के सामने पहुंचती हैं तो घूंघट डाल लेती हैं। जमाई के सामने कोई महिला सिर खोलकर नहीं निकलती है। रावण के पैरों पर लच्छा (धागा) बांधती हैं।
सुबह पूजा, शाम को वध
दशहरे के दिन नामदेव समाज ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस के रूप में रावण की प्रतिमा स्थल तक आते हैं। यहां दामाद रूपी रावण की पूजा आराधना कर सुख समृद्धि की कामना की जाती है। इसके बाद शाम को समाज रावण का वध किया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह हैं कि अच्छाई होने पर की पूजा की जाती है और बुराई हो तो वध कर दिया जाता है।
क्षमा मांगते हैं
रावण के वध से पहले लोग रावण के सामने खड़े होकर क्षमा-याचना करते हैं। इस दौरान कहते हैं कि आपने सीता का हरण किया था, इसलिए राम की सेना आपका वध करने आई है। उसके बाद प्रतिमा स्थल पर अंधेरा छा जाता है और फिर उजाला छाते ही राम की सेना जश्न मनाने लगती है।
धागा बांधने से दूर होती है बीमारी
मान्यता है कि यहां रावण के पैर में धागे बांधने से बीमारियां दूर होती है। इस गांव में लोग रावण को बाबा को कहकर पूजते हैं। धागा दाहिन पैर में बांधी जाती है। साथ ही क्षेत्र की खुशहाली, समाज सहित शहर के लोगों को बीमारियों से दूर रखने एवं प्राकृतिक प्रकोप से बचाने के लिए प्रार्थना करते हुए पूजा-अर्चना करते हैं।