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MP: कांग्रेस में मुस्लिमों की सुनवाई नहीं, इस्तीफा दे रही हूं...घंटेभर में ही पलटी मारने वाली कौन हैं नूरी खान
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कांग्रेस में प्रतिभाओं को मौका नहीं, अल्पसंख्यकों से भेदभाव
नूरी खान ने इस्तीफे देने के संबंध में पहले फेसबुक पर पोस्ट लिखा, फिर एक घंटे बाद ही डिलीट कर दिया। उन्होंने लिखा था कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस पार्टी की विचारधारा अल्पसंख्यक समाज के प्रति भेदभाव पूर्ण रवैया की है। पार्टी में सिर्फ इस वजह से प्रतिभाओं को मौका नहीं दिया जाता क्योंकि अल्पसंख्यक वर्ग से है।
पूछा- कांग्रेस कमेटियों में कितने अल्पसंख्यक हैं...
नूरी ने कहा था- यह मेरा कोई राजनीतिक आरोप नहीं है। आप खुद तथ्यात्मक रूप से आकलन करें। प्रदेश के जिलों में जिला कांग्रेस कमेटियों में कितने अध्यक्ष अल्पसंख्यक वर्ग से हैं। अग्रिम संगठनों में कोई प्रदेश अध्यक्ष अल्पसंख्यक वर्ग से नहीं है।
ये स्थिति मेरे साथ है तो कार्यकर्ता की क्या हालत होगी....
मैंने स्वयं यह महसूस किया है कि इतनी मेहनत और लगन से कार्य करने के बावजूद वर्ग विशेष से होने की वजह से पार्टी में जिम्मेदार पद पर नहीं बैठाया जाता। यह स्थिति मेरे जैसी कार्यकर्ता के साथ है तो प्रदेश के अन्य जिले के अल्पसंख्यक वर्ग के कार्यकर्ताओं में कितना उपेक्षा का व्यवहार होगा।
सांप्रदायिकता से लड़ने की बातें सिर्फ कागजों पर...
नूरी ने कहा था कि सांप्रदायिक संगठनों से लड़ने की बात सिर्फ कागजों पर है, यदि हम अपनी पार्टी में इसका पालन नहीं करा सकते तो शायद हम अपनी विचारधारा से विमुख हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में मेरे लिए कार्य कर पाना असंभव है। उन्होंने पार्टी के सभी पदों और प्राथमिकता सदस्यता से भी इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था।
और घंटेभर में इस्तीफा वापस लिया
इस्तीफे के बाद नूरी खान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात की और अपनों सभी पदों से दिए इस्तीफे को वापस ले लिया है। नूरी खान ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से चर्चा की है। मैंने अपनी सारी बात पार्टी के समक्ष रखी है। 22 साल में पहली बार मैंने इस्तीफे की पेशकश की। कहीं ना कहीं मेरे अंदर एक पीड़ा थी लेकिन कमलनाथजी के नेतृत्व में विश्वास रख अपना इस्तीफा वापस ले रही हूं।
यहां से गड़बड़ाया समीकरण...
नूरी खान उज्जैन की रहने वाली हैं और कांग्रेस के कार्यक्रमों में खासी सक्रिय रहती हैं। वे पार्टी में 22 सालों से सक्रिय सदस्य के रूप में काम कर रही हैं। कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश कांग्रेस की महिला अध्यक्ष मांडवी चौहान का निधन हो गया था, जिसके बाद से ये पद खाली चल रहा था। दो महीने पहले ही प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने नए अध्यक्ष के तौर पर अर्चना जायसवाल को जिम्मेदारी सौंपी है। अर्चना पहले भी अध्यक्ष रह चुकी हैं।
इस्तीफा देने की क्या रही वजह?
बताते हैं कि इस बार नूरी खान भी मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष के लिए दावेदारी जता रही थी। उनका नाम प्रमुखता से लिया जा रहा था। नूरी को भी उम्मीद थी कि पार्टी इस बार जिम्मेदारी देगी। लेकिन, महिला कांग्रेस का अध्यक्ष अर्चना को बना दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि नूरी को हाईकमान का ये फैसला नागवार गुजरा और अंदरखाने नाराजगी बनी रही। इसी बात से दुखी होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया। नूरी ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने 9 दिसंबर को उन्हें भोपाल मिलने बुलाया है। इसके बाद वह आगे के कदम के बारे में फैसला करेंगी।
इन वजहों से चर्चा में रहतीं नूरी
नूरी खान कांग्रेस के आंदोलनों और सरकार के खिलाफ अभियानों में खासी सक्रिय देखी जाती हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने उज्जैन में लोगों की सेवा बढ़-चढ़कर मदद की थी। नूरी को मुखर होकर बयानबाजी के लिए भी जाना जाता है। पिछले साल उन्हें किसी ने फोन करके जान से मारने की धमकी दी थी। इस संबंध में नूरी ने पुलिस से शिकायत की थी।
मुस्लिमों धर्म गुरुओं को भी ललकार कर चर्चा में आईं
इसके अलावा, नूरी खान ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का खुलकर विरोध किया था। साथ ही वह अपने धर्म के गुरुओं को भी ललकारी रहती हैं। 2017 में ऊं नम: का जाप कर मुस्लिम धर्मगुरुओं को फतवा जारी करने की चुनौती थी। नूरी सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं।