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बजट : महाभारत काल के इस शहर की सूरत बदलेगी सरकार, साथ ही इन 4 शहरों में बनेगा राष्ट्रीय संग्रहालय
नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में बताया कि बजट का एक बड़ा हिस्सा 5 पुरातात्विक स्थानों को आइकोनिक बनाने में खर्च किया जाएगा। यह 5 जगहें हरियाणा का राखीगढ़ी, महाभारत काल के हस्तिनापुर (यूपी), असम का शिवसागर, गुजरात का धोलावीरा और तमिलनाडु का आदिचेन्नलूर है। यहां पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
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केंद्रीय बजट को पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि पांच राज्यों में स्थित पांच प्रतिष्ठित पुरातात्विक स्थलों को संग्रहालयों के साथ विकसित किया जाएगा।
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शिवसागर : शिवसागर असम के शिवसागर जिले का एक शहर और जिले का मुख्यालय है। यह असम की राजधानी गुवाहाटी के उत्तर पूर्व में 360 किलोमीटर (224 मील) की दूरी पर स्थित है। असम में शिवसागर एक धरोहर स्थल है क्योंकि यहां पूर्ववर्ती अहोम राष्ट्र के बहुत से स्मारक स्थित हैं। अब यह एक बहु-सांस्कृतिक शहर है। शिवसागर ब्रह्मपुत्र की सहायता दिखू नदी के किनारे स्थित है।
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आदिचेन्नलूर : यह तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले का पुरातात्विक स्थल है। यह कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों का केंद्र रहा है। यह नगर 905 ईसा पूर्व और 696 ईसा पूर्व के बीच आबाद था।
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राखीगढ़ी : राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में है। यह सिन्धु घाटी सभ्यता का भारतीय क्षेत्रों में धोलावीरा के बाद दूसरा विशालतम ऐतिहासिक नगर है। शोधकर्ताओं का दावा है कि राखीगढ़ी में करीब 8000 साल पुरानी देश की सबसे पुरानी मानव सभ्यता मौजूद थी। आज खंडहर में तब्दील हो चुका राखीगढ़ी, उस दौर में देश का पहला सुनियोजित नगर (प्लांड सिटी) हुआ करता था।
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हस्तिनापुर : हस्तिनापुर कुरु वंश के राजाओं की राजधानी थी। महाभारत में बताई गई घटनाएं हस्तिनापुर की हैं। बाबर ने भारत पर आक्रमण के दौरान हस्तिनापुर पर हमला किया था और यहां के मंदिरों पर तोपों से बमबारी की थी। मुगल काल में हस्तिनापुर पर गुर्जर राजा नैन सिंह का शासन था, जिसने हस्तिनापुर और इसके चारों ओर मंदिरों का निर्माण किया।
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धोलावीरा : गुजरात के कच्छ में धोलावीरा गांव है। पांच हजार साल पहले विश्व का यह प्राचीन महानगर था। उस जमाने में लगभग 50,000 लोग यहां रहते थे। 4000 साल पहले इस महानगर के पतन की शुरुआत हुई। यहां उत्तर से मनसर और दक्षिण से मनहर छोटी नदी से पानी जमा होता था। हड़प्पा संस्कृति के इस नगर की जानकारी 1960 में हुई।
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