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चीन अपने ही नागरिकों से मजबूर हुआ, अब खुद ही बता सकता है कि हिंसक झड़प में कितने सैनिकों की जान गई
नई दिल्ली. गलवान घाटी में एलओसी के पास भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। लेकिन इस दौरान चीन के भी करीब 40 जवानों की जान गई थी, लेकिन आज तक चीन इस बात को मानने से इनकार करता रहा है। अब मृतक सैनिकों की संख्या बताने के लिए चीन मजबूर होने लगा है। दरअसल चीन का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय शहीदों को जैसे सम्मान मिला वैसे चीनी सैनिकों को नहीं मिला। ऐसे में जल्द ही चीन मारे गए सैनिकों की संख्या बता सकता है।
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वीडियो वायरल होने के बाद ग्लोबन टाइम्स ने स्वीकार किया कि लद्दाख में हिंसक झड़प में 20 से कम चीनी सैनिक मारे गए हैं। लेकिन शी जिनपिंग सरकार ने इस बारे में अभी तक चुप्पी नहीं तोड़ी है।
द ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिने लिखा, चीन की सुरक्षा और चीन की शांति उन पर निर्भर करती है। अब तक चीनी सेना ने मृतकों के बारे में कोई सूचना जारी नहीं की है। पूर्व सैनिक और मीडिया पेशेवर के तौर पर मैं समझता हूं कि यह दोनों देशों में विशेष रूप से भारत में जनता की राय को उत्तेजित नहीं करने के उद्देश्य से एक आवश्यक कदम है।
द ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिने ने लिखा, भारतीय मीडिया ने दावा किया है कि कम से कम 40 चीनी सैनिक मारे गए हैं और भारत ने 16 चीनी सैनिकों के शव सौंपे हैं। ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने अपने लेख में इन बातों को बिना चुनौती वाली अफवाहें करार दिया।
एक्सपर्ट की माने तो चीन गलवान घाटी पर पूरी तरह कब्जा करना चाहता है। चीन गलवान से सैनिक हटाने को राजी है लेकिन उसने डेपसांग में PLA की तैनाती कर दी है।
डेपसांग काराकोरम और भारतीय हवाई पट्टी के पास है। एक्सपर्ट मानते हैं कि यह ध्यान भटकाने की कोशिश का हिस्सा हो सकता है। कि भारत अगर सैनिकों की तैनाती गलवान से ज्यादा डेपसांग में कर दे तो गलवान में वह जमीन कब्जाने की कोशिश कर सकता है।
15 जून की रात पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। वहीं चीन के भी 40 सैनिक मारे गए हैं। हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। इसका विवाद को सुलझाने के लिए कई स्तर की बातचीत भी हो चुकी है। 6 जून को दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बैठक हुई थी। हालांकि, अभी विवाद पूरी तरह से निपटा नहीं है।