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चमोली हादसा: ग्लेशियर एक्सीडेंट के बाद मलबे ने रोका नदी का वेग, अगर झील टूटी, तो फिर विनाश
उत्तराखंड के चमोली में 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने के बाद जो तबाही मची, उससे लोग अभी तक उबर नहीं पाएं हैं। 200 से ऊपर लोग अभी भी लापता हैं। इतने में दिनों में लोग जिंदा होंगे भी या नहीं, कोई नहीं जानता। ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन स्थित NTPC की टनल में गीला मलबा भर गया। इसमें कई लोग फंस गए। ये अब तक नहीं निकाले जा सके हैं। इस बीच सैटेलाइट इमेज और ग्राउंड जीरो से मिल रही एक्सपर्ट रिपोर्ट्स ने एक नया खतरा पैदा कर दिया है। यह खतरा ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी के ऊपरी हिस्से पर मलबा जमा होने से पैदा हुआ है। मलबे के कारण नदी के पानी का बहाव रुक गया है। इससे पानी एक जगह जमा होकर झील का रूप लेता जा रहा है। अगर यह झील टूटी, तो फिर भयानक बाढ़ आ सकती है।
| Published : Feb 12 2021, 10:52 AM IST
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चमोली की घटना ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। जिस जगह से ग्लेशियर टूटा, अब वहां मलबे के कारण ऋषिगंगा नदी के पानी का बहाव रुक गया है। इससे एक झील बनती जा रही है। अगर भविष्य में यह झील फूटी, तो फिर विनाश आएगा। जिस जगह पर यह ग्लेशियर टूटा था, वो हिमालय का ऊपरी हिस्सा है। इसे रौंटी पीक के नाम से जाना जाता है।
(ग्लेशियर टूटने के बाद की तस्वीर)
ग्लेशियर टूटने के बाद वो सीधे ऋषिगंगा नदी में नहीं गिरा। वो अपने साथ मलबा लेकर रौंटी स्ट्रीम में आकर गिरा। यह जगह ऋषिगंगा से थोड़ा अलग है। हालांकि रौंटी स्ट्रीम का बहाव आगे जाकर ऋषिगंगा में जाकर मिलता है। ग्लेशियर टूटने के बाद रौंटी स्ट्रीम और ऋषिगंगा के संगम पर गाद और मलबा जमा हो गया है। यानी यहां अस्थायी तौर पर प्राकृतिक बांध बन गया है। यानी ऋषिगंगा का बहाव रुक चुका है। पहाड़ी से जो पानी नीचे आ रहा है, वो रौंटी स्ट्रीम का है।
एक्सपर्ट्स आकलन करते हैं कि मलबा और गाद के कारण ऋषिगंगा का पानी रुक गया है। यानी ऊपर से जो पानी आ रहा है, वो कहीं न कहीं रुका हुआ है। ऋषिगंगा के पास एक झील दिखाई दे रही है। उसमें कितना पानी जमा होगा, आकलन नहीं किया जा सकता। अगर यह टूटी, तो विनाश आना तय है।
बता दें कि 7 फरवरी यानी रविवार की सुबह करीब 10 बजे समुद्र तल से करीब 5600 मीटर की ऊंचाई पर 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का ग्लेशियर टूटकर गिर गया था। इससे धौलीगंगा और ऋषिगंगा में बाढ़ की स्थिति बन गई।
गुरुवार को फिर ऋषिगंगा का जलस्तर बढ़ने से तपोवन में रेस्क्यू का काम रोकना पड़ा था। वहीं NTPC की टनल में इतना मलबा भरा हुआ है कि उसे निकालने में काफी वक्त लग रहा है।
टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में आर्मी, ITBP, NDRF और SDRF की टीमें जुटी हुई हैं। बता दें कि यह टनल करीब ढाई किलोमीटर है। इसमें मलबा भरा हुआ है।
इस बीच पीड़ितों के लिए लोगों ने लंगर शुरू कर दिए हैं। ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन के आसपास के कई गांवों में बर्बादी का मंजर देखने को मिला है।
यह तस्वीर कुछ दिन पुरानी है। इस तरह रेस्क्यू टीम को मलबे में दबे लोगों को निकालने का कोशिश करनी पड़ रही है।
रेस्क्यू युद्धस्तर पर चल रहा है, लेकिन अब टनल में फंसे लोगों के जीवित होने की उम्मीद लगभग न के बराबर बची हुई है।
इस तरह टनल में मलबा भर गया था। टनल छोटी होने से उसमें दो गाड़ियां एक साथ नहीं जा सकतीं।