- Home
- National News
- मोदी के साथ चलने वाले SPG कमांडोज के हाथ में हमेशा होता है ये ब्लैक ब्रीफकेस, आखिर इसमें क्या होता है
मोदी के साथ चलने वाले SPG कमांडोज के हाथ में हमेशा होता है ये ब्लैक ब्रीफकेस, आखिर इसमें क्या होता है
| Published : Feb 15 2020, 05:35 PM IST
मोदी के साथ चलने वाले SPG कमांडोज के हाथ में हमेशा होता है ये ब्लैक ब्रीफकेस, आखिर इसमें क्या होता है
Share this Photo Gallery
- FB
- TW
- Linkdin
110
सोशल मीडिया पर अक्सर न्यूक्लियर ब्रीफकेस बताया जाता है : सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाह उड़ती रहती है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, जिस ब्रीफकेस को थामे चलता है, वो न्यूक्लियर ब्रीफकेस होता है, जिसमें न्यूक्लियर बम का ट्रिगर होता है।
210
यूनाइटेट स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स जैसी ट्रेनिंग दी जाती है : SPG के जवानों को वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। ये वही ट्रेनिंग है जो यूनाइटेड स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को दी जाती है। इसमें जवानों को फिट, चौकस और टेक्नोलॉजी में परफेक्ट बनाया जाता है। देश के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी होने के नाते एसपीजी का एक-एक कमांडर वन मैन आर्मी होता है।
310
पीएम मोदी के साथ एसपीजी की एक दर्जन गाड़ियां होती हैं : SPG के जवानों के साथ पीएम के काफिले में एक दर्जन गाड़ियां होती हैं, जिसमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज होती है। इसके अलावा मर्सिडीज बेंज ऐंम्बुलेंस, टाटा सफारी जैमर भी इस काफिले में शामिल होती है।
410
एसपीजी के पास ऑटोमेटिक गन होती है, एकदम हल्की : कमांडोज ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं। इनके पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है। ये एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं। SPG के जवान हाई ग्रेड बुलेटप्रूफ वेस्ट पहने होते हैं, जो लेवल-3 केवलर की होती है। इसका वजन 2.2 किग्रा होता है और यह 10 मीटर दूर से एके 47 से चलाई गई 7.62 कैलिबर की गोली को भी झेल सकती है।
510
साथी कमांडोज से बात करने के लिए लगाते हैं ईयर प्लग : साथी कमांडो से बात करने के लिए कान में लगे ईयर प्लग या फिर वॉकी-टॉकी का सहारा लेते हैं। यहां तक की इनके जूते भी काफी अलग होते हैं, ये किसी भी जमीन पर नहीं फिसलते। ये खास तरह के दस्ताने पहनते हैं। जिससे चोट से उनका बचाव होता है। ये कमांडोज चश्मा भी पहनते हैं, जो उनकी आखों को हमले से बचाते हैं और किसी भी प्रकार का डिस्ट्रैक्शन नहीं होने देता हैं।
610
एसपीजी का गठन क्यों करना पड़ा था? : 1981 से पहले भारत के प्रधानमंत्री के आवास पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा पुलिस उपायुक्त (DCP) के प्रभारी दिल्ली पुलिस के विशेष सुरक्षा जिले की जिम्मेदारी हुआ करती थी। अक्टूबर 1981 में, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा, नई दिल्ली में और नई दिल्ली के बाहर प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया गया। अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तय किया गया कि एक विशेष समूह को प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दारोमदार संभालना चाहिए। इसके बाद एसपीजी के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। 18 फरवरी 1985 को गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की। मार्च 1985 में बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश पेश की। 30 मार्च 1985, को भारत के राष्ट्रपति ने कैबिनेट सचिवालय के तहत इस यूनिट के लिए 819 पदों का निर्माण किया. इसे नाम दिया गया स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप।
710
ब्रीफकेस में कपड़े या बारूद नहीं होते हैं : एसपीजी सुरक्षा के कमांडो के पास एक स्पेशल ब्रीफकेस होता है। पर इसमें कपड़े या बारूद नहीं होता। ये ब्रीफकेस जैसा दिखने वाला एक पोर्टेबल बुलेटप्रूफ शील्ड होता है। ये पूरी तरह खुल जाता है और रक्षा कवच का काम करता है। ये पर्सनल प्रोटेक्शन के लिए होता है। इसका काम ये है कि अगर कोई हमला हो जाए तो सुरक्षा कमांडो फौरन इसे खोल कर वीआईपी को कवर कर लें। ये ब्रीफकेस या केहं बैलेस्टिक शील्ड किसी भी तरह के हमले से सुरक्षा करने के लिए सक्षम होता है। इस ब्रीफकेस में एक गुप्त जेब भी होती है, जिसमें एक बंदूक होती है। आतंकी हमले के समय ये ब्रीफकेस एक सुरक्षा ढाल का काम करता है।
810
मोदी की सुरक्षा करने वाली एसपीजी कब बनी थी? : एसपीजी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप है जिसकी स्थापना इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी। इसका काम है भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा प्रदान करना। इनके अतिरिक्त एसपीजी किसी और वीवीआईपी की सुरक्षा में नहीं लगाई जाती।
910
किसी मिशन पर जाते समय न जाने कैसी स्थिति सामने आ जाए। इससे निपटने के लिए हाई बैलेंस भी कराया जाता है।
1010
कई तरह की मार्शल आर्ट की कलाएं भी सिखाई जाती हैं। दुश्मन के हाथों से चाकू छीनकर कैसे उससे उसी का गला काटना है, ये खतरनाक तरीका भी इन कमांडोज को सिखाया जाता है।