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  • प्रोफेसर से राजनीति के संकटमोचक तक का सफर...40 साल से एक डायरी रही रहस्य, प्रणब मुखर्जी से जुड़ी 10 खास बातें

प्रोफेसर से राजनीति के संकटमोचक तक का सफर...40 साल से एक डायरी रही रहस्य, प्रणब मुखर्जी से जुड़ी 10 खास बातें

नेशनल डेस्क.  Pranab Mukherjee dies: देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है। उन्हें कोरोना से ग्रस्त होने के बाद आर्मी अस्पताल में एडमिट किया गया था। इलाज के दौरान ही प्रणब मुखर्जी को फेफड़ों का इंफेक्शन हो गया था। जिसके कारण वो सेप्टिक शॉक में थे। उनका इलाज वेंटिलेटर पर लगातार चल रहा है और वो गहरे कोमा में थे। लेकिन शाम होते-होते उनकी हालत बिगड़ती गई और उन्होंने 84 साल की उम्र में ली अंतिम सांस ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति  बेहद प्रभावी राजनीतिज्ञ रहे हैं उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज थे। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें जो हर किसी को प्रभावित करती हैं-  

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Asianet News Hindi
Published : Aug 31 2020, 06:24 PM IST| Updated : Aug 31 2020, 06:59 PM IST
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प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति थे, 15 जून, 2012 को प्रणव मुखर्जी भारत के राष्ट्रपति बने थे। प्रणब मुखर्जी बेहद प्रभावी राजनीतिज्ञ रहे, उन्होंने कांग्रेस पार्टी समेत देश की समस्याओं को सुलझाने में अपना बड़ा योगदान दिया था। प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के संकटमोचक कहा जाता था। 

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11 दिसंबर, 1935 को जन्मे प्रणब मुखर्जी प्रोफ़ेसर भी रहे थे, उन्होंने 1963 में पश्चिम बंगाल के विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस छात्रों को पढ़ाया था।

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इतना ही नहीं, प्रणब मुखर्जी ने स्थानीय बंगाली समाचार पत्र देशर डाक में बतौर पत्रकार भी काम किया था।

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शायद कम लोग ही जानते हैं कि राजनीती में प्रणब मुखर्जी को इंदिरा गांधी लेकर आई थीं और उन्होंने ही राज्यसभा का सदस्य बनने में प्रणब का मार्गदर्शन किया था।  

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प्रणब मुखर्जी के बारे में कहा जाता है कि वो बहुत कामकाजी थे। उनकी आदत में लगातार काम करना शामिल था, उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भी बताती थी कि प्रणब एक दिन में 18 घंटे काम किया करते थे, वो मुश्किल से छुट्टियां लेते थे। प्रणब केवल दुर्गा पूजा के दौरान ही छुट्टी लेकर अपने गृह नगर मिराती जाते थे।

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प्रणब के बारे में कहा जाता है कि वो एकमात्र ऐसे मंत्री थे जिन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा के बल पर चार बड़े मंत्रालय यानी रक्षा, वाणिज्य, विदेश और वित्त मंत्रालय को संभाला था। ये उनका टेलेंट ही था जो उन्होंने एक साथ सभी मंत्रालयों को विस्तार दिया था।

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प्रणब अपनी तरह के एकलौते वित्तमंत्री हुए थे जिन्होंने सात बार बजट पेश किया था, इसके लिए उन्हें 1984 में यूरोमनी मैग्जीन द्वारा दुनिया का सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री भी घोषित किया गया था।

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एक समय ऐसा भी आया था जब प्रणब मुखर्जी ने  कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी, वो समय था इंदिरा गांधी के निधन के बाद का समय, प्रणब ने तब कांग्रेस छोड़ कर अपनी राजनीतिक पार्टी “राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी” थी।

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प्रणब दा के बारे में एक बात कही जाती रही है कि वो एक डायरी रखते हैं जो पिछले 40 सालों से उनके पास है, जिसे उन्हें निधन के बाद ही प्रकाशित किया जाना है।

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वो देश के उन राष्ट्रपतियों में से एक थे, जिन्होंने कई दया याचिकाएं खारिज की थीं। प्रणब ने 7 दया याचिकाओं को खारिज किया था। जिनमें अफजल गुरु और अजमल कसाब की भी दया याचिका शामिल थी।

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इतना ही नहीं, प्रणब का बच्चों, छात्रों और जिज्ञासु युवाओं के प्रति खासा झुकाव था। उन्होंने इसका एक सबूत साल 2015 में दिया था जब शिक्षक दिवस के मौके पर 5 सितंबर को स्कूल के बच्चों को उन्होंने राजनीति शास्त्र पढ़ाकर इतिहास बनाया था।

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