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कोई दृष्टिहीनों की जिंदगी में भर रहा रोशनी, तो कोई ब्रिज के नीचे गरीबों को पढ़ा रहा...ये हैं बेस्ट टीचर

नई दिल्ली. किसी भी देश या समाज के निर्माण में शिक्षा की अहम भूमिका होती है। कहा जाता है कि शिक्षक समाज का आईना होता है। यहां तक की भारतीय संस्कृति में शिक्षक को ईश्वर का रूप माना जाता है। आज शिक्षक दिवस है। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वैसे तो भारत में तमाम चर्चित शिक्षक हुए हैं, लेकिन हम आपको देश के कुछ ऐसे बेस्ट शिक्षकों के बारे में बता रहे हैं, जो काफी चर्चित हैं। 

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Asianet News Hindi
Published : Sep 05 2020, 07:21 AM IST
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1- सोनम वांगचुक- सोनम वांगचुक के किरदार को लगभग हम सब लोग जानते हैं। दरअसल, आमिर खान ने 3 इडियट्स फिल्म में जिस शख्स का किरदार निभाया था, वे लद्दाख के शिक्षक सोनम वांगचुक हैं। शिक्षक और मैकेनिकल इंजीनियर वांगचुक बीते 3 दशक से शिक्षा की अलख जगाए हुए हैं। उन्होंने सरकार, समाज और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर शिक्षा को व्यावहारिक और उपयोगी बनाने के तमाम सफल प्रयास किए हैं। उन्होंने शिक्षा में पिछड़े लद्दाख में छात्रों में शिक्षा के प्रति जागरूकता जगाने का काम किया है। वांगचुक उन चंद भारतीयों में से हैं, जिन्हें रेमन मैग्सेसे पुरुस्कार मिल चुका है। 

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2- राजेश कुमार शर्मा: राजेश कुमार शर्मा देश की राजधानी दिल्ली में गरीब बच्चों को पिछले 14 साल से फ्री में शिक्षा दे रहे हैं। राजेश के स्कूल में ना तो कोई छत है और ना ही कोई दीवार। पुल (ब्रिज) के नीचे चलने वाला यह स्कूल राजधानी की गलियों में किसी दुकान की ही तरह है। उनके अंडर द ब्रिज स्कूल में लगभग 200 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। ये सभी बच्चे वे हैं, जो गरीबी के चलते स्कूल नहीं जा पाए। खास बात ये है कि इस स्कूल के पास ना तो इमारत है और ना कुर्सी। इतना ही नहीं राजेश कुमार खुद गरीबी के चलते अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए थे, इसके बाद उन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया। 

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3- आनंद कुमार:  बिहार के पटना जिले में रहने वाले शिक्षक आनंद कुमार का नाम भारत ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चित है। वे हर साल 30 गरीब बच्चों को आईआईटी-जेईई के लिए तैयारी कराते हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चों का चयन होता है। 2018 तक आनंद कुमार के पढ़ाए हुए 480 बच्चों में 422 बच्चे आईआईटी में चयनित हो चुके हैं। 

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4- आदित्य कुमार: आदित्य कुमार को 'साइकिल गुरुजी' के नाम से जाना जाता है। वे साइंस से ग्रेजुएट हैं। आदित्य शिक्षा को उन जगहों तक पहुंचाते हैं, जहां तक स्कूलों की पहुंच नहीं। आदित्य अपनी साइकिल से हर रोज 60-65 किलोमीटर तक का सफर तय कर लखनऊ के आस-पास के इलाकों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। आदित्य का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। वे 1995 से इस कार्य में जुटे हैं। आदित्य अपनी साइकिल पर एक बोर्ड लेकर चलते हैं, उन्हें जहां बच्चे मिलते हैं, वे पढ़ाने लगते हैं। 

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5- सुगत मित्रा: प बंगाल के कोलकाता के रहने वाले सुगत स्कूल इन द क्लाउड कंसेप्ट के जरिए बच्चों को पढ़ाते हैं। इस कंसेप्ट के तहत एक बच्चा दूसरे को पढ़ाता है। एजुकेशनल रिसर्चर सुगत मित्रा का मानना है कि बच्चों में खुद पढ़ने और दूसरों को पढ़ाने की अद्भुद क्षमता होती है। सुगत को टेक्नोलॉजी, एंटरटेनमेंट, डिजाइन अवार्ड भी मिल चुका है। 

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6- गगन दीप सिंह: गगनदीप सिंह राजस्थान के जैसलमेर के रहने वाले हैं। वे अब तक दर्जनों दृष्टिहीन बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का दीपक जलाकर रोशनी भर चुके हैं। गगनदीप ने हर बच्चे के लिए अलग शैक्षिक प्रोग्राम बनाया और उसे पढ़ाया। वे बच्चों के साथ साथ परिवार की भी काउंसलिंग करते हैं, ताकि वे बच्चों को फुल सपोर्ट दे सकें। गगनदीप बच्चों को बच्चों को ब्रेलर्स जैसे उपकरणों का इस्तेमाल करना भी सिखाते हैं। 

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7- बाबर अली: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में रहने वाले बाबर अली काफी कम उम्र से बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। यानी जिस उम्र में बच्चे पढ़ते हैं, उस उम्र से वे दूसरे गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बाबर अली 9 साल की उम्र से शिक्षा दे रहे हैं। अब बाबर की उम्र करीब 21 साल है, उन्होंने एक स्कूल बनाया, इसमें वे 300 गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इस काम के लिए उन्होंने 6 और शिक्षकों को भी रखा है। 

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8- अरविंद गुप्ता: अरविंद गुप्ता बच्चों को विज्ञान पढ़ाते हैं। लेकिन वे इस अंदाज से पढ़ाते हैं, उससे बच्चों को विज्ञान जैसा कठिन सब्जेक्ट भी आसानी से समझ आ जाता है। अरविंद बच्चों को खिलौना बनाने की प्रक्रिया के माध्यम से पढ़ाते हैं। वे इसके लिए कबाड़ का इस्तेमाल करके ही खिलौने बनाते हैं, और बच्चों को खेलते खिलाते विज्ञान समझा देते हैं। वे अपने वीडियो यू ट्यूब पर भी अपलोड करते हैं।

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