विकास दुबे ने 100 बार देखी थी सनी देओल की ये फिल्म और बन गया खूंखार गैंगस्टर
कानपुर. गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार को एनकाउंटर में मारा गया। वह उज्जैन से गिरफ्तार हुआ था। विकास पर आरोप था कि 2 जुलाई की रात उसने 8 पुलिसकर्मियों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। ये पुलिसकर्मी उसे किसी मामले में गिरफ्तार करने गए थे। विकास दुबे पिछले 1 हफ्ते में देश विदेश की मीडिया में छाया रहा। जुर्म से एनकाउंटर तक उसके तमाम पहलू फिल्मी अंदाज में गुजरे। बताया जा रहा है कि उसे सनी देओल की फिल्में काफी पसंद थीं।
- FB
- TW
- Linkdin
करीबियों से मिली जानकारी के मुताबिक, उसने सनी देओल की फिल्म अर्जुन पंडित 100 बार देखी। खुद को अभिनेता की जगह फिट कर जिंदगी के सीन दोहराए। अपराध उसके बाद फरारी और सरेंडर सब फिल्मी अंदाज में हुआ।
बचपन में विकास दुबे कानपुर के काकादेव, शास्त्री नगर और गीतानगर में पला बढ़ा। जब उसने 1999 में अपराध की दुनिया में कदम रखा तो उसने उस वक्त सिनेमा घरों में आई फिल्म अर्जुन पंडित को देखा। इस फिल्म में सनी देओल धोखा खाने के बाद गैंगस्टर बनते हैं।
ऐसे ही विकास दुबे ने भी अपनी जिंदगी को कहानी से जोड़ते हुए गैंगस्टर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया। उसने पुलिस, प्रशासन और दबंगों के बीच खुद को अर्जुन पंडित की तरह पेश किया।
विकास दुबे का बिल्हौर, चौबेपुर, शिवली से लेकर कन्नौज तक सीमा पर खूब सिक्का चला। वह ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को नौकरियां दिलाकर मसीहा की भूमिका में आ गया। इसका फायदा उसे चुनावों में मिला।
करीबियों के मुताबिक, यहां तक की विकास दुबे बिकरू गांव में खुद आदालत लगाता था। इसमें वह जमीन के मामले, आपसी रंजिश और विवादों के मामले निपटाता था। यहां वह खुद ही सजा भी सुनाता था।
विकास दुबे ने अपराध के हर काम में हाथ डाला। उसने पहले अवैध जमीनों का धंधा, नेपाल से अवैध सामान की तस्करी और फिर शराब और खनन माफिया से संपर्क में आ कर मददगार बना।
भागने की फिराक में हुआ ढेर
विकास को उज्जैन से गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था। वह सड़क के रास्ते उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था। कानपुर से पहले एसटीएफ की उस कार का एक्सीडेंट हो गया, जिसमें वह सवार था। इसके बाद विकास ने बंदूक छीनकर फायरिंग करने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में विकास ढेर हो गया। विकास पर 5 लाख रुपए का इनाम था।