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आर्थिक तंगी में गुजरा है इस अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी का जीवन, अब जरूरतमंदों को खिला रही खाना
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निशा परवीन अंतर्राष्ट्रीय खो-खो खिलाड़ी हैं। उन्होंने कई बार देश के बाहर खेल के मैदान में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। साउथ एशियन गेम्स में वह देश के लिए गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। वह बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने भी भयंकर गरीबी और अभाव में जिंदगी गुजारी है।
निशा परवीन 7 बहनें और एक भाई हैं। उनके पिता दिल्ली और हरियाणा से सटे बॉर्डर बदरपुर में ही वेज बिरयानी की रेहड़ी लगाते हैं। परवीन ने कहा कि उन्होंने दर्द को महसूस किया है। कई बार उन्हें घर में राशन की भी कमी झेलनी पड़ी। लोगों के दर्द को वह बाखूबी समझती हैं।
निशा परवीन ने एक चैनल से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने काफी गरीबी झेली है। परिवार में कमाने वाले अकेले उनके पिता थे। इनकी छोटी से दुकान से खर्च मुश्किल से चलता था। हांलाकि अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल में पहचान बनने के बाद उन्हें एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में जॉब मिल गई।
परवीन निशा कोच सुमित भाटिया और अन्य सीनियर खिलाड़ियों के साथ मिलकर अपने सेंटर पर ट्रेनिंग करने वाले जरूरतमंद खिलाड़ियों की मदद कर रही हैं। वे अब तक तीन बार खिलाड़ियों को राशन दे चुकी हैं। पहली बार 16, दूसरी बार 30 और तीसरी बार 15 खिलाड़ियों को राशन का पैकेट दिया।
लॉकडाउन के कारण परवीन के सेंटर पर प्रेक्टिस करने वाले कई खिलाड़ियों के घरों में चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया। इनमें से ज्यादातर खिलाड़ियों के पिता या तो रेहड़ी लगाते हैं या दिहाड़ी मजदूर हैं। परवीन, कोच समेत अन्य खिलाड़ी जरूरतमंदों के घर जाकर आटा, दाल, चीनी, तेल, मसाला और चावल जैसी जरूरत की चीजें पहुंचा रहे हैं।