MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • States
  • Other State News
  • जिसने यह यात्रा कर ली, उसने आकाश-पाताल और धरती के चमत्कार देख लिए, अमरनाथ यात्रा की कुछ पुरानी PHOTOS

जिसने यह यात्रा कर ली, उसने आकाश-पाताल और धरती के चमत्कार देख लिए, अमरनाथ यात्रा की कुछ पुरानी PHOTOS

नई दिल्ली. आखिरकार इस बार बाबा अमरनाथ यात्रा कैंसल करने का आदेश निकाल दिया गया। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए फैसला लेना पड़ा। बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने मंगलवार को यह फैसला लिया। बता दें कि यह तीर्थ यात्रा श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन पूरी होती है। इसके बाद गुफा को बंद कर दिया जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव ने पार्वती को इसी गुफा में एक कथा सुनाई थी। इसमें अमरनाथ यात्रा और उसके मार्ग में आने वाली जगहों का वर्णन है। अमरनाथ यात्रा हिंदू धर्म में खास स्थान रखती है। गुफा में बर्फ जमने से शिवलिंग का निर्माण होता है। यह यात्रा अपने आप में आलौकिक दुनिया की सैर कराता है। आइए देखिए पिछली यात्रा की कुछ यादगार तस्वीरें...

2 Min read
Asianet News Hindi
Published : Jul 22 2020, 10:54 AM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
134

अमरनाथ गुफा श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

234

गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा की ऊंचाई 11 मीटर है।

334

अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहते हैं। कहते हैं कि इसी गुफा में शिवजी ने पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

434

पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। इसलिए इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।

534

कहते हैं कि शिवलिंग का आकार चंद्रमा के घटने-बढ़ने पर निर्भर होता है।

634

सावन पूर्णिमा पर शिवलिंग अपने पूर्ण आकार में होता है। वहीं, अमावस्या तक धीरे-धीरे घट जाता है।

734

गुफा में ठंडे पानी की टपकती बूंदों से करीब 10 फीट ऊंचा बर्फ का शिवलिंग बनता है।

834

आमतौर पर आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में लाखों भक्त यहां आते हैं।

934

अमरनाथ यात्रा पर जाने के दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। 

1034

पहलमान और बलटाल तक बसों आदि से पहुंचा जा सकता है। इसके बाद गुफा तक पैदल जाना पड़ता है।

1134

पहलगाम वाला रास्ता सरल और सुविधाजनक है। बलटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी 14 किलोमीटर है। लेकिन यह रास्ता बेहद दुर्गम है। चूंकि इस मार्ग पर आतंकवादी घटनाएं होती रहती हैं, इसलिए इसे सुरक्षित नहीं मानते।

1234

इस यात्रा की सुरक्षा आदि की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार लेती है।

1334

पहलगाम के बाद अमरनाथ यात्रा का पहला पड़ाव 8 किमी दूर चंदनबाड़ी होता है। पहली रात तीर्थयात्री यहीं रुकते हैं। 

1434

चंदनबाड़ी से 14 किमी दूर शेषनाग दूसरा पड़ाव होता है। यह मार्ग खड़ी चढ़ाई के कारण खतरनाक है।

1534

रोमाचंक, लेकिन खतरनाक यात्रा होने के बावजूद बुजुर्ग भी बड़ी संख्या में अमरनाथ आते हैं।

1634

अमरनाथ यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं होती।

1734

दुर्गम रास्ते भी हीं रोक पाते लोगों की यहां आने को लेकर भक्ति।
 

1834

इस तरह के प्राकृतिक नजारें देखने को मिलते हैं।

1934

बुजुर्ग भी यहां पूरे साहस के साथ आते देखे जा सकते हैं।

2034

इस तरह का मंजर यहां आम बात है।

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved