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ऑनलाइन क्लास में जब टीचर को हुई पढ़ाने में दिक्कत, तो मोबाइल स्टैंड के लिए निकाली यह देसी जुगाड़
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ऑनलाइन पढ़ाने का यह तरीका आपको हैरान कर सकता है, लेकिन इसने टीचर की टेंशन दूर कर दी है। तस्वीर में देख सकते हैं कि कैसे टीचर ने रेफ्रिजरेट की पारदर्शी ट्रे को मोबाइल का स्टैंड बनाया। दो डिब्बों पर ट्रे रखकर उसके ऊपर मोबाइल रख दिया। ट्रे के नीचे किताब रखी है। इससे वो मोबाइल पर नजर रखने के साथ किताब को भी आसानी से पढ़ पा रही है। यानी उसे बार-बार मोबाइल या किताब से नजरें हटाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। इस देसी जुगाड़ से न सिर्फ उसके लिए पढ़ा पाना आसान हुआ, बल्कि गर्दन भी दर्द नहीं करेगी। आगे पढ़िए ऑनलाइन क्लास की एक अन्य देसी जुगाड़...
ऑनलाइन क्लास का यह सरल तरीका पिछले दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसे एक आईएफएस अधिकारी सुधा रमन ने अपने ट्वीटर शेयर किया था। ये कोई केमिस्ट्री की टीचर हैं। इन्होंने मोबाइल को हैंगर पर कपड़ों के धांगों से लटका रखा है। मोबाइल पर चालू करके वे बोर्ड पर पढ़ा रही हैं। यह मोबाइल पर नजर आ रहा है। आगे पढ़िए अलग-अलग क्षेत्रों के ऐसे ही देसी जुगाड़ से जन्मे आविष्कार...
खेत से टिड्डियों के दल और जानवरों को भगाने का यह देसी जुगाड़ सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें लगे पंखे बिना बिजली के हवा के दबाव से घूमते हैं। इसमें साइकिल की बीयरिंग का इस्तेमाल किया गया है, जिस पर ये पंखुड़ियां घूमती हैं। पंखुड़ियों के घूमने से बीयरिंग से बंधी लोहे की एक पतली रॉड भी घूमती है। इसके दोनों छोर पर छोटे नस कंसे हुए हैं। इनके घूमने से नट थाली पर पड़ते हैं। जब यह तेजी से घूमते हैं, तो तेज आवाज आती है। इससे टिड्डियां और जानवर खेत से भाग जाते हैं। आगे पढ़े बिलासपुर में रेलवे ने बनाई अनूठी साइकिल...
बिलासपुर, छत्तीसगढ़. भारतीय रेलवे ने सबसे सस्ते मॉडल यानी करीब 5 हजार रुपए वाली साइकिल को अपने के लिए बेहद काम की चीज बना दिया। साइकिल के बाद अब रेलवे ट्रैक की पेट्रोलिंग करना आसान हो गया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन-बिलासपुर अब इस साइकिल का इस्तेमाल करने लगा है। बता दें कि बिलासपुर में 13 हजार ट्रैकमेंटेनर हैं। प्रत्येक करीब 5 किमी पैदल चलकर रेलवे ट्रैक की निगरानी करता है। इस साइकिल के जरिये अब वे 15 किमी तक बिना थके पेट्रोलिंग कर सकते हैं। इस जुगाड़ वाली साइकिल का नार्थ वेस्टर्न रेलवे-अजमेर पहले ही सफल प्रयोग कर चुका है। इस साइकिल पर हथौड़ा, पेचकस, प्लास आदि भारी चीजों को एक थैले में रखकर आसानी से लटकाया जा सकता है। इस साइकिल का वजन महज 20 किलो है। वहीं इसकी गति 10 किमी/प्रति घंटा है। साइकिल के अगले पहिये को एक लोहे के पाइप के जरिये व्हील से जोड़ा जा गया है। वहीं, दूसरी पटरी तक भी एक व्हील दो पाइप के जरिये जोड़ी गई है। इससे साइकिल व्हील पर तेजी से पटरी पर भागती है। आगे पढ़िए कोरोना से बचने दुकानदार का अनूठा आविष्कार...
यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। किसी गांव के एक दुकानदार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने यह अनूठी मशीन बना दी। उसने साइकिल के पहिये, रस्सी और तसले से एक मशीन तैयार की। तसला रस्सी से बंधा है। यह साइकिल के पहिये को घुमाने पर आगे-पीछे जाता है। दुकानदार इसमें चीजें रखकर दूर खड़े ग्राहक तक पहुंचा सकता है। आगे पढ़िए बच्चे ने बनाई..अनूठी बाइक...
देसी जुगाड़ का यह मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के आमला गांव का है। यहां 9वीं क्लास के बच्चे ने लॉकडाउन में अपनी क्रियेटिविटी का सदुपयोग किया और साइकिल में ही इंजन लगाकर उसे बाइक में बदल दिया।यह है अक्षय राजपूत। इन्होंने कबाड़ी से पुरानी चैम्प गाड़ी का इंजन खरीदा। इसके बाद कुछ दिनों की मेहनत से उसे साइकिल में फिट करके बाइक का रूप दे दिया। अक्षय के पिता बताते हैं कि उसे इस तरह के प्रयोग का शौक रहा है। इसी शौक की वजह से उसे कलेक्टर और विधानसभा अध्यक्ष ने सम्मानित किया था।आगे पढ़िए..किसान ने खेती के लिए बनाया सुपर स्कूटर...
देसी जुगाड़ का यह मामला झारखंड के हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ के उच्चघाना से जुड़ा है। यह मामला कुछ समय पुराना है, लेकिन इसे आपको इसलिए पढ़ा रहे हैं, ताकि मालूम चले कि असंभव को कैसे संभव किया जाता है। यह हैं रमेश करमाली। ये संयुक्त परिवार में रहते थे। लेकिन एक दिन इनके छोटे भाई ने मजबूरी में अपनी दोनों भैंसें बेच दीं। भैंसें खेतों की जुताई में भी काम आती थीं। लिहाजा, रमेश को अपने खेत जोतने में दिक्कत होने लगी। रमेश एक छोटे-मोटे मैकेनिक भी रहे हैं। उन्होंने तीन हजार में कबाड़ से एक स्कूटर खरीदा और पांच हजार रुपए और खर्च करके देसी जुगाड़ से पॉवर टीलर बना लिया। यह पॉवर टीलर दस गुने कम खर्च पर खेतों की जुताई कर रहा है। यानी ढाई लीटर पेट्रोल में पांच घंटे तक खेतों की जुताई कर सकता है।