दुनिया का इकलौता मंदिर, जहां माता के संतान के रूप में होती है चूहों की पूजा
- FB
- TW
- Linkdin
करणी माता का यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है। जब करणी माता ने 1595 ने मंदिर परिसर की जगह अपना शरीर त्यागा तो यहां उस समय भी सैकड़ों की संख्या में चूहे थे।
अब 4 सदी बीत जाने के बाद इन चूहों की संख्या करीब 30ए000 हो चुकी है। यह संख्या 30ए000 के ऊपर कभी भी नहीं जाती है। क्योंकि यहां चूहों का जन्म तो होता है लेकिन उनमें से बहुत कम बच पाते हैं।
वही आमतौर पर हम देखते हैं कि चूहों के मरने के बाद उस जगह दुर्गंध आने लगती है। लेकिन करणी माता का मंदिर एक ऐसा मंदिर है यहां कई चूहे मर जाने के बाद भी दुर्गंध नहीं आती है।
इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि मंदिर में चूहों की संख्या तो काफी ज्यादा बढ़ सकती थी लेकिन प्राकृतिक घटनाओं के चलते चूहों की मौत हो जाती है। यदि ऐसा नहीं होता तो अब तक पूरे कस्बे में लाखों की संख्या में चूहे हो जाते।
करणी माता मंदिर में चूहें उनके बेटों के रूप में पूजे जाते है। इसके लिए वहां आने वाले भक्त उनके लिए दूध लेकर आते है। मान्यता है कि यदि आपकों सफेद चूहें के दर्शन हो गए मतलब आपकी मुराद पूरी हो गई।
बीकानेर के देशनोक में बने इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि मंदिर परिसर में चूहों के बच्चे कभी भी आपको नजर नहीं आएंगे। यहां बड़े चूहे ही दिखाई देंगे। चूहों के मरने पर कभी भी बदबू नहीं आएगी। वही जो प्रसाद भक्त चढ़ाते हैं उन्हें भी यह चूहे नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। प्लेग जैसी महामारी में जहां दुनियाभर में लाखों की मौत हो गई वहीं इस मंदिर में एक चूहा भी इससे संक्रमित नहीं हुआ।
मंदिर परिसर के बाहर एक चूहा तक नहीं जा पाता है। जबकि यहां ऐसा कोई प्रबंध नहीं है कि चूहों को रोकने के लिए कोई सिक्योरिटी गार्ड या कोई पिंजरे लगाए हुए हैं।