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तिरंगे में लिपटे सपूत को देखने उमड़े 25 हजार लोग, हाथों में फूल और आंखों में थे आंसू..सबकी एक ही चाहत
जोधपुर (राजस्थान). वीर सैनिकों के सम्मान में हर शख्स का सिर झुकता है, क्योंकि सेना हिंदुस्तानी की जान है। लेकिन जब जवान देश की रक्षा करते शहीद हो जाता है तो हर आंख नम हो जाती है। हर कोई उसको अंतिम बार देखना चाहता है। कुछ ऐसा ही नजारा राजस्थान के जोधपुर जिले में देखने को मिला। जहां आसपास के कई गांव के लोग अपने वीर सपूत लक्ष्मण को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे थे। जैसे-जैसे शहीद की शव यात्रा घर से आगे बढ़ती गई, वैसे वैसे हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ बढ़ रही थी। जन सैलाव देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई बड़े नेता की रैली हो। हर तरफ हाथों में तिरंगा थामे लोग जोश से भरे लोग लक्ष्मण अमर रहे के नारे लगा रहे थे। लोगों ने बताया कि यह ऐसा पहला अपसर है जब किसी शहीद को इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने अंतिम विदाई दी गई हो। गांव में हर तरफ लोग ही लोग नजर आ रहे थे। करीब 25 हजार शहीद को अंतिम विदाई देने खेजड़ला गांव पहुंचे हुए थे।
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दरअसल, दो दिन पहले बुधवार को जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से राजौरी सेक्टर में की गई गोलीबारी में लक्ष्मण कुमार शहीद हो गया था। घायल हो जाने के बाद उनके साथी सैनकों में जवान को सेना के अस्पताल में भर्ती करा दिया था। लेकिन डॉक्टर उनको नहीं बचा सके। बता दें कि अगले ही महीने जवान की शादी होने वाली थी। जिसकी तैयारियां जोर-शोर से घर पर चल रही थीं। लेकिन इसी बीच जब उनके शहादत की खबर परिवार को पता चली तो सारी खुशियां मातम में बदल गईं।
शुक्रवार सुबह जब लोगों को पता चला कि शहीद लक्ष्मण कुमार का खेजड़ला में अंतिम संस्कार होने वाला है तो आसपास के कई गांव के लोगों की भीड़ जुटने लगी। वहीं ताबूत में रहे अपने बेटे को देख-देखकर वह विलख रही थी। मां का दुलार देख कई लोगों की आंखों से आंसू आ गए। वह बेटे के शव को लेने नहीं जा रही थी सिर्फ एक टक उसे देखे जा रही थी। बार उसके चेहरे को छूती और अपने सीने से लगा लेती। किसी तरह परिवार के लोगों को समझा कर रीति रिवाज के बाद शहीद की अंतिम यात्रा निकाली गई।
जब शहीद अंतिम यात्रा पर निकला तो आसपास का माहौल गमगीन हो गया। गांव के लोग वीर जवान को घर से 5 किलोमीटर की दूरी पर श्मशान स्थल पर ले जाया जाया गया। शहीद के सम्मान में गांव का बाजार पूरी तरह से बंद कर दिया गया। जो लोग जानते भी नहीं थे वह भी उसे अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़े। आलम यह था कि कोई पेड़ पर चढ़ा हुआ था तो कई अपनी कार के ऊपर चढ़कर शहीद की एक झलक देखना चाहता था।
शहीद लक्ष्मण जोधपुर के बिलाड़ा इलाके के खेजड़ला गांव के रहने वाले थे। परिवार में माता-पिता व एक छोटा भाई व बहन है। उनके पिता किसान हैं। पूरा परिवार शादी की खुशियों को लेकर उत्साहित था। परिवार के लोगों के मुताबिक अगले महीने लक्ष्मण की शादी होने वाली थी। इसके लिए वह जल्द ही छुट्टियों पर घर आने वाला था।
बता दें कि शहीद होने से एक दिन पहले ही जवान ने अपनी मां से फोन पर बात की थी। साथ ही शादी की तैयारी और नए मकान के बार में पूछा था। उसने कहा था कि मेरे दोस्ते के यहां से सामान ले आना मैंने उसे बोल दिया है। लेकिन उससे पहले ही उसकी शहीद होने की खबर आ गई।
बताते चले कि शादी से पहले लक्ष्मण के गांव में पक्का मकान बनाने का काम चल रहा था। तस्वीर में यह वही मकान जिसका काम चल रहा था।