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- जांबाज अफसर शहीद..फोटो लेकर बैठी पत्नी,बोली-मैं उनकी शहादत पर आंसू नहीं बहाऊंगी, मुझे गर्व है पति पर
जांबाज अफसर शहीद..फोटो लेकर बैठी पत्नी,बोली-मैं उनकी शहादत पर आंसू नहीं बहाऊंगी, मुझे गर्व है पति पर
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मीडिया से बात करते हुए कर्नल शर्मा की पत्नी ने कहा- मैं आखिरी बार आशुतोष से इसी साल 28 फरवरी को उधमपुर में मिली थी। वहीं दो दिन पहले 1 मई को उनसे आखिरी बार बात हुई थी। उस दौरान मैंने उनको राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की 26वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं दी थीं। वह अपने ऑपरेशन में बिजी थे, इसलिए ज्यादा बात नहीं हो पाई। बस उन्होंने यही कहा था-तुम अपना और परिवारवालों का ख्याल रखना, मैं ऑपरेशन से लौटकर जल्दी आऊंगा।
शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा की एक बेटी है, जिसका नाम तमन्ना है, वह जयपुर के जयश्री पेडीवाल स्कूल में छठी क्लास पढ़ती है। तमन्ना की भी आखिरी बार 1 मई को पापा से बात हुई थी। बेटी ने कहा-पापा ने बस यही कहा था कि बेटिया में ऑपरेशन से वापस आकर तुमको फोन करूंगा।
शहीद कर्नल आशुतोष की मां ने रोते हुए कहा-अब मेरे एक ही बेटा रह गया। उसने मुझसे दो दिन पहले हुई बात में कहा था कि मां में आपको जल्द ही हंदवाड़ा घुमाऊंगा। लेकिन वह तो मुझको छोड़कर चला गया। अपना किया हुआ वादा भी तोड़ गया।
आशुतोष शर्मा 21 राष्ट्रीय राइफल के कमांडिंग ऑफिसर थे। उनकी बहादुरी के चलते उन्हें दो बार आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने के लिए वीरता पुरस्कार भी मिल चुका है। कर्नल शर्मा मूलत: यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। बड़े भाई पीयूष शर्मा की नौकरी जयपुर में लगने के बाद पूरा परिवार यहां आ गया।
शर्मा के अलावा हंदवाडा में मेजर अनुज शूद, नायक राजेश, लांस नायक दिनेश भी शहीद हुए हैं। इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को भी ढेर कर दिया है।
आशुतोष कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग अफसर थे, जिन्होंने पिछले 5 साल में एंकाउंटर में अपनी जान गंवाई हो। इससे पहले जनवरी 2015 में कर्नल एमएन राई ने घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में अपनी जान गंवाई थी।